ग्रेटर नोएडा के किसानों की मांग पर सरकार का बड़ा फैसला, लीजबैक के मामलों की फिर जांच होगी

BIG BREAKING : ग्रेटर नोएडा के किसानों की मांग पर सरकार का बड़ा फैसला, लीजबैक के मामलों की फिर जांच होगी

ग्रेटर नोएडा के किसानों की मांग पर सरकार का बड़ा फैसला, लीजबैक के मामलों की फिर जांच होगी

Tricity Today | अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह

Greater Noida/Lucknow : ग्रेटर नोएडा के किसानों के लिए लखनऊ से ख़ुशखबरी आई है। राज्य सरकार ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव से जुड़े लीजबैक के मामलों में एक बार फिर जांच करने का आदेश दे दिया है। दरअसल, पिछले दिनों राज्य सरकार ने यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में गठित हुई स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट को अनुमोदन दिया था। जिसमें कई ऐसे प्रकरण हैं, जिन पर किसानों ने आपत्तियां ज़ाहिर कीं। किसानों ने आपत्तियां शासन को भेजी थीं। अब औद्योगिक विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इन आपत्तियों का निस्तारण करने के लिए लीजबैक से जुड़े प्रकरणों का पुनः परीक्षण करने की मंज़ूरी दे दी है।

क्या है पूरा मामला 
औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने रविकुमार एनजी को 6 अक्टूबर 2023 भेजे पत्र में लिखा है कि ग्रामीण आबादी स्थल प्रबंधन एवं विनियमितिकरण नियमावली के तहत 533 प्रकरण तैयार किए गए थे। इन प्रस्तावों की जांच यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुणवीर सिंह की अध्यक्षता में गठित एसआईटी से करवाई गई। जुलाई 2022 में एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी थी। इस रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के आधार पर आगामी बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखे जाएं। बोर्ड से मंज़ूरी लेकर लीजबैक के मामलों का निस्तारण किया जाए।

इतने मामलों में एसआईटी ने गड़बड़ियां पकड़ीं
विशेष जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इनमें से 99 ऐसे मामले हैं, जिनकी सैटेलाइट इमेजरी में पता लगा है कि वर्ष 2011 से पहले मौक़े पर कोई निर्माण नहीं किया गया था। इन प्रस्तावों से जुड़े किसानों को लाभ नहीं दिया जा सकता है। दो प्रकरण ऐसे सामने आए जिनके लाभार्थी गौतमबुद्ध नगर के मूल निवासी नहीं हैं। तीन प्रकरण ऐसे थे, जिनमें लाभार्थियों के नाम नक्शा 11 में शामिल नहीं पाए गए हैं। एक प्रकरण ऐसा सामने आया है, जिसमें प्राधिकरण बोर्ड से मंज़ूरी मिलने से पहले ही ज़मीन का मुआवज़ा दे दिया गाय था। 

लीजबैक पॉलिसी के नियमों का ख़्याल नहीं रखा गया
एसआईटी के सामने 20 मामले आए हैं, जिनमें लीजबैक करवाने के लिए आवेदन 31 दिसंबर 2011 से पहले किया गया है, लेकिन लीजबैक होने वाली जमीन का क्षेत्रफल 3000 वर्ग मीटर से अधिक है। 47 मामले ऐसे हैं, जिनमें आवेदन 31 दिसंबर 2011 के पश्चात प्राधिकरण में दाखिल हुए हैं, लेकिन 1000 वर्ग मीटर से अधिक जमीन लीजबैक करने का अनुमोदन किया गया है। 

आईडीसी ने कार्रवाई के लिए अफसरों के नाम मांगे
आईडीसी ने पत्र में लिखा है कि इन अनियमितताओं के निमित्त उत्तरदायी अधिकारियों को चिन्हित किया जाए। इन अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के लिए आरोप पत्र तैयार करके शासन को भेजें। औद्योगिक विकास आयुक्त ने सीईओ को बताया 296 मामलों से जुड़े किसान पात्र पाए गए हैं। ऐसे प्रकरणों में लीज बैक करने के लिए प्राधिकरण की नियमावली के तहत प्रक्रिया पूरी करें।

अब एसीएस मनोज कुमार सिंह ने क्या कहा
अब उत्तर प्रदेश के अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह ने ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी को फिर से पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि किसानों की ओर से दर्ज करवाई गई आपत्तियों का संज्ञान लिया जाए। इन आपत्तियों का निस्तारण करने के लिए लीजबैक से जुड़े मामलों का नए सिरे से परीक्षण करवा लिया जाए। राज्य सरकार ने लीजबैक के मामलों का पुनः परीक्षण करने के लिए अनुमति दे दी है। आपको बता दें कि किसानों ने ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को आपत्तियां दी थीं। उन आपत्तियों में बताया गया था कि एसआईटी की ओर से दी गई रिपोर्ट में कई त्रुटियां हैं। कुछ किसानों को गलत ढंग से वंचित किया गया है। लिहाजा, ऐसे प्रकरणों की दोबारा जांच की जानी चाहिए। ग्रेटर नोएडा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने किसानों की आपत्तियां और तमाम दस्तावेज औद्योगिक अवस्थापना आयुक्त को भेजे थे। जिनके आधार पर औद्योगिक विकास आयुक्त ने राज्य सरकार से दोबारा जांच करवाने की मंज़ूरी मांगी। अब राज्य सरकार ने जांच की मंज़ूरी दे दी है।

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