लिफ्ट एक्ट यूपी विधानसभा में पारित, पढ़ें सभी 7 कानून और नियम

धीरेन्द्र सिंह की मेहनत और 'ट्राईसिटी टुडे' की मुहीम : लिफ्ट एक्ट यूपी विधानसभा में पारित, पढ़ें सभी 7 कानून और नियम

लिफ्ट एक्ट यूपी विधानसभा में पारित, पढ़ें सभी 7 कानून और नियम

Tricity Today | पढ़ें सभी 7 कानून और नियम

Greater Noida/Lucknow News : उत्तर प्रदेश विधानसभा में लिफ्ट और एस्केलेटर एक्ट पारित हो गया। इस एक्ट के बाद अब कहीं पर भी लिफ्ट के भीतर कोई हादसा होता है तो जिम्मेदारों पर एक्शन होगा। पिछले कुछ समय से नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत कई इलाकों में लिफ्ट हादसे हुए। इसके लिए जेवर विधायक धीरेन्द्र सिंह ने योगी आदित्यनाथ के सामने मुद्दा उठाया था और 'ट्राईसिटी टुडे' ने प्रमुखता से खबरें प्रकाशित की। अब धीरेन्द्र सिंह की मेहनत और 'ट्राईसिटी टुडे' की मुहीम के कारण यूपी में लिफ्ट एक्ट लागू हुआ। इसके लिए कुछ कानून और नियम बनाए गए हैं।

पहला नियम : लिफ्ट संस्थापित करने वाला स्वामी सेवा प्रदाता कंपनी से अनिवार्य रूप से एएमसी लेगा, जो हर वर्ष लेनी अनिवार्य होगी। एएमसी तकनीकी टीम के निरीक्षण करते समय लिफ्ट के सही होने का प्रमाण-पत्र और समय समय पर की गई तकनीकी जांच एवं अनुरक्षण लॉग बुक में दर्ज करना होगा।
दूसरा नियम : छोटी तकनीकी खराबी आने के तुरंत बाद लिफ्ट सही होने तक "लिफ्ट प्रयोग में नहीं है" का बोर्ड चस्पा कराना होगा।
तीसरा नियम : दुर्घटना होने और लिफ्ट में भीतर फसे यात्रियों को कैसे सुरक्षित निकला जाए, उसके लिए वर्ष में दो बार मॉक ड्रिल का अभ्यास किया जाएगा।
चौथा नियम : स्वामी को बिजली आपूर्ति अथवा अन्य खराबी की स्थिति में स्वचालित बचाव युक्ति की स्थापना अनिवार्य होगी। इसके अलावा लिफ्ट में पर्याप्त प्रकाश, द्विमार्गी संचार, आपतकालीन घंटी और यात्रियों के लिए अनुदेशक का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
पांचवां नियम : सार्वजनिक परिसरों में स्थापित सभी लिफ्टों में सीसीटीवी कैमरा और लिफ्ट का उपयोग करने वाले यात्रियों के जोखिम को देखते हुए अनिवार्य रूप से बीमा कराया जाएगा।
छठा नियम : स्वामी द्वारा चूक करने की दिशा में यथाविहित नियमों द्वारा स्वामी से क्षतिपूर्ति वसूली जाएगी।
सातवां नियम : सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के पास भारतीय दंड संहिता की धारा 176 में विहित समस्त शक्तियां होंगी।

स्वामी की जिम्मेदारियां होंगी तय
लिफ्ट और एस्केलेटर स्थापित करने वाले स्वामी को दिन-प्रतिदिन के संचालन के दौरान आने वाली किसी भी तकनीकी खराबी को तुरंत दूर किए जाने का भी कानून में उल्लेख दिया गया है। साथ ही आपातकालीन स्थिति में लिफ्ट के भीतर फंसे यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए स्वामी को वर्ष में कम से कम दो बार मॉक ड्रिल अभ्यास किए जाने का भी हवाला दिया गया है। इस अधिनियम में स्वामी को बिजली आपूर्ति में किसी भी खराबी की स्थिति में अंदर फंसे यात्रियों को बचाने के लिए लिफ्ट या एस्केलेटर में एक स्वचालित बचाव युक्ति की स्थापना करनी अनिवार्य है। 

ऑटेमेटिक रेस्क्यू सिस्टम लगाना होगा
दुर्घटना होने पर स्वामी द्वारा वित्तीय क्षतिपूर्ति भी पीड़ित परिवार को प्रदान की जाएगी। लिफ्ट और एस्केलेटर की स्थापना एवं संचालन के संबंध में शिकायत मिलने पर स्वामी अथवा संबंधित एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान भी किया गया है। अब इस कानून में इमारत के मालिक को लाइट जाने के बाद लिफ्ट में फंसे लोगों के बचाव के लिए ऑटेमेटिक रेस्क्यू सिस्टम लगाना होगा। इससे बिजली आपूर्ति बाधित होने की स्थिति में लिफ्ट नजदीकी तल पर पहुंचे जाएगी। उसके दरवाजे अपने आप खुल जाएंगे। वहीं, इसके अलावा लिफ्ट में पर्याप्त रोशनी और अंदर फंसे लोगों से बाहर के लोगों की बातचीत की प्रणाली लगानी होगी। वहीं लिफ्ट में आपातकालीन घंटी होना अनिवार्य होगा।

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