गौतमबुद्ध नगर एडीएम एलए दफ्तर में थी माफिया की घुसपैंठ, कई बाबुओं की जांच कर रही है पुलिस

तुस्याना भूमि घोटाला : गौतमबुद्ध नगर एडीएम एलए दफ्तर में थी माफिया की घुसपैंठ, कई बाबुओं की जांच कर रही है पुलिस

गौतमबुद्ध नगर एडीएम एलए दफ्तर में थी माफिया की घुसपैंठ, कई बाबुओं की जांच कर रही है पुलिस

Tricity Today | तुस्याना भूमि घोटाला

Greater Noida : ग्रेटर नोएडा तुस्याना गांव में हुए करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में जिला प्रशासन के एडीएम लैंड विभाग के तत्कालीन अधिकारी और बाबूओं की जांच की जा रही है। जमीन के दस्तावेजों की जांच किए बगैर ही करोड़ों रुपए के मुआवजे की बंदरबाट कैसे कर दी गई। वहीं, इस जमीन का 6 प्रतिशत आबादी का प्लॉट लगाने वाले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के लैंड विभाग के अधिकारी भी घेरे में आ रहे हैं। पूरी जांच पड़ताल किए बगैर ही 6 प्रतिशत आबादी का प्लॉट कैसे राजेंद्र मकोड़ा और उसके परिवार के लोगों को आवंटन कर दिया।

जमीन का मुआजवा उठाने का मामला दिसंबर 1998 का है। दो बार में अलग-अलग मुआवाज दिया गया। जिसमें दिसंबर 1998 में 1.42 करोड़ रुपये और 92,490 रुपये मुआवजा दिया गया। जबकि, यह जमीन दादरी तहसील के राजस्व अभिलेखों में बंजर और झाड़ी दर्ज थी। पुरानी चकबंदी वर्ष 1960 में हुई थी। तब पुराने खसरा नंबर 1240, 1245, 1241, 1244, 1246, 1252, 1242, 1243 और 1253 मिलजुमला नंबर थे। पुरानी चकबंदी के आकार पत्र-41 और 45 में भी यह जमीन बंजर दर्ज थी। यह जमीन असंक्रमणीय भूमि रही है। जिसे विक्रय करने का किसी को अधिकार नहीं है। जिस तरह जमीन का मुआवजा फर्जीवाड़ा करके लिया गया उससे साबित होता है कि राजेंद्र सिंह की एडीएम लैंड के कार्यालय में घुसपैंठ थी। घोटाले में बाबूओं की अहम भूमिका रही है।

केवल संक्रमणीय भूमिधर जमीन की ही खरीद-फरोख्त कर सकता है, लेकिन राजेंद्र सिंह ने फर्जी तरीके से पावर ऑफ अटार्नी बनवाईं। राजेंद्र पुत्र महताब निवासी मकोड़ा ने इन पावर ऑफ़ अटॉर्नी के जरिए श्वेता पत्नी मनोज पुत्र राजेंद्र, मधु सिंह पुत्री जीएस कंबोज पत्नी दीपक पुत्र राजेंद्र, रविंद्र सिंह पुत्र रामदास निवासी आन्नदपुर, गीता पत्नी राजेंद्र कुमार झंडेवालान एक्सटेंशन नई दिल्ली के नाम सरकारी जमीन के बैनामे कर दिए। बाद में इन सारे लोगों ने मुआवजा लिया है।

फर्जी तरीके से बनवाई गई पावर ऑफ अटार्नी का सत्यापन दादरी के सब रजिस्ट्रार कार्यालय से करवाया गया। सब रजिस्टार ने 4 फरवरी 2020 को बताया कि ऐसी कोई पावर ऑफ़ अटॉर्नी उनके यहां रजिस्टर्ड नहीं करवाई गई है। साफ हो गया कि फर्जी पावर अटार्नी से जमीन की खरीद-फरोख्त की गई। न्यायालय को धोखा देकर सरकारी बंजर भूमि का मुआवजा उठाया गया है। मुआवजे के साथ ही जमीन के बदले में 6 प्रतिशत आबादी के प्लॉट का आवंटन करवाया है।

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