Greater Noida : ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) के प्रॉजेक्ट विभाग में तैनात अधिकारियों ने पैसा कमाने (भ्रष्टाचार) का नया तरीका खोज निकाला है। डिविजन के जेई की मुट्ठी गर्म करो और अवैध कॉलोनी-फ्लैट बगैर रोक-टोक बना सकते हैं। यह खेल ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के डिविजन-1, 2 और 3 में धडल्ले से चल रहा है। इस भ्रष्टाचार की वजह से ग्रेटर नोएडा वेस्ट एरिया में अरबों रुपये की जमीन ग्रेटर नेाएडा अथॉरिटी के हाथ से निकल गई है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी, ओएसडी और महाप्रबंधक आंखें मूंदकर बैठे हुए हैं।
ग्रेटर नोएडा वेस्ट की दो डिवीजन का बुरा हाल
जिस जमीन पर इंडस्ट्री लगनी है और अथॉरिटी आपसी सहमति से 15 गांवों में खरीद रही है, उसी जमीन को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के वर्क सर्किल-2 में तैनात इंजीनियर राजेश निम अवैध कॉलोनी कटवाने और बिल्डरों के टावर बनवाने में लगा हुआ है। इस काम में राजेश निम का साथ दो सफेदपोश नेताओं के बेटे और अथॉरिटी में तैनात दलाल दे रहे हैं। सेक्टर गामा-1 के निवासी राजेंद्र नागर ने इस बाबत सीएम योगी आदित्यनाथ को लेटर भेजा है। जिसमें बताया गया है कि वर्क सर्किल-2 में तैनात जेई को मैनेजर का चार्ज दिया गया है। राजेश निम नोएडा अथॉरिटी में तैनात एक सीनियर मैनेजर का रिश्ते में साढ़ू लगता है। राजेंद्र ने सीएम से कहा है कि राजेश निम और चेतराम डिविजन-1 में पड़ने वाले गांव सैनी, सुनपुरा, वेदपुरा, सादुल्लापुर, रोजा जलालपुर, रोजा याकुबपुर, धूम मानिकपुर, महावड़, बम्बावड़, कूड़ीखेड़ा, कैलाशपुर, तिलपता, खौदना खुर्द, खौदना कला, हैबतपुर, इटेडा, शाहबेरी, पतवाडी, बिसरख और ऐमनाबाद समेत एरिया के दर्जनों गांवों में अवैध कॉलोनी काटने में राजेश निम का साथ है।
सुरेंद्र सिंह का तबादला होते ही बिल्डरों की मौज
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी और मेरठ के मंडलायुक्त सुरेंद्र सिंह ने ग्रेटर नोएडा में चार्ज लेते ही अवैध कॉलोनी और बिल्डरों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया था। बड़े पैमाने पर अवैध कॉलोनियों को तोड़ा गया था। जिससे भूमाफिया, बिल्डरों और कॉलोनाइजरों में खलबली मच गई थी। करीब 2 महीने तक ग्रेटर नोएडा के गांवों में अवैध निर्माण पूरी तरह बंद रहा था। सुरेंद्र सिंह का तबादला होते ही इस गैंग की फिर मौज आ गई है। खुलेआम अवैध कॉलोनियां बनाई जा रही हैं। दूसरी ओर प्राधिकरण के दफ्तरों में बैठकर इंजीनियर और मैनेजर मौज की छान रहे हैं।