दादरी प्रकरण पर बोले नरेंद्र भाटी- गुर्जर शब्द जुड़ गया है, अब विरोध बेमायने, योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद

बड़ी खबर : दादरी प्रकरण पर बोले नरेंद्र भाटी- गुर्जर शब्द जुड़ गया है, अब विरोध बेमायने, योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद

दादरी प्रकरण पर बोले नरेंद्र भाटी- गुर्जर शब्द जुड़ गया है, अब विरोध बेमायने, योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद

Tricity Today | दादरी प्रकरण पर बोले नरेंद्र भाटी

Gautam Buddh Nagar News : दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर चल रहे विवाद पर दिग्गज नेता नरेंद्र भाटी का बड़ा बयान आया है नरेंद्र भाटी ने 'ट्राईसिटी टुडे' से बातचीत की और कहा दादरी में लगाई गई सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के नाम के साथ गुर्जर शब्द जोड़ दिया गया है स्थानीय युवाओं और हमारे समाज की पुकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुंची और उन्होंने हमारी भावनाओं को सम्मान देते हुए मांग को स्वीकार कर लिया है अब विरोध का कोई मतलब बाकी नहीं रह जाता है लिहाजा समाज को मुख्यमंत्री का धन्यवाद करना चाहिए मैं भी व्यक्तिगत रूप से मुख्यमंत्री को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं।"

मुझे कार्यक्रम में भाग लेने से रोका गया
नरेंद्र भाटी ने कहा, "मैं कई दशक से मिहिरभोज महाविद्यालय से जुड़ा हूं। मैंने अपनी सामर्थ्य के हिसाब से हमेशा इस संस्था के विकास और मान-सम्मान को बढ़ाने के लिए काम किया। अब जब सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाने के विचार को साकार रूप दिया गया तो इसके लिए भी भरपूर सहयोग दिया। जब मुख्यमंत्री का कार्यक्रम फाइनल हो गया तो गुर्जर विद्या सभा मुझे कार्यक्रम में बुलाना चाहती थी। यही वजह है कि उन लोगों ने शिलापट्ट पर मेरा नाम लिखवाया, लेकिन मुझे कार्यक्रम में आने से रोका गया। फोन करके बताया गया कि यह कार्यक्रम दो हिस्सों में होगा। पहले हिस्से में प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा और दूसरे हिस्से में जनसभा होगी। जनसभा पूरी तरह भारतीय जनता पार्टी की है और इसमें किसी दूसरे राजनीतिक दल के नेता को आमंत्रित करना संभव नहीं होगा।"

नरेंद्र भाटी ने आगे कहा, "हम लोगों ने पूर्व में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को मिहिरभोज डिग्री कॉलेज में आमंत्रित किया था। उस कार्यक्रम में मैंने वेदराम नागर जी से कार्यक्रम की अध्यक्षता करवाई थी। उस वक्त जो नेता समाजवादी पार्टी में नहीं थे और हमारे जनप्रतिनिधि नहीं थे, उन्हें भी बुलाया गया था। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री किसी एक राजनीतिक दल के नहीं होते हैं। मुख्यमंत्री तो सभी राजनीतिक दलों और प्रदेश की पूरी जनता के लिए बराबर होते हैं। उनके मंच पर किसी दूसरी पार्टी के जनप्रतिनिधि को रोकना बेतुकी बात थी। वैसे भी यह कार्यक्रम एक शिक्षण संस्थान की ओर से आयोजित किया गया था।"

मुख्यमंत्री के सामने मांग पत्र तक नहीं पढ़ा गया
एमएलसी नरेंद्र भाटी ने कहा, "मैंने मिहिर भोज डिग्री कॉलेज की बेहतरी के लिए कार्यक्रम में नहीं जाना उचित समझा। इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोई गलती नहीं है। सारी गलती कार्यक्रम को आयोजित करने वाले भाजपा नेताओं की है। इन लोगों ने मुख्यमंत्री के सामने मांग पत्र तक नहीं पढ़ा। कार्यक्रम को विधिवत रूप से संचालित नहीं किया गया। जब मुख्यमंत्री के सामने हम अपनी परेशानी और मांग नहीं रखेंगे तो वह कोई घोषणा क्यों करेंगे? इन लोगों ने कार्यक्रम से पहले समाज के लोगों से झूठ बोला। कहा गया कि डिग्री कॉलेज को यूनिवर्सिटी का दर्जा दिलवाया जाएगा। यह घोषणा मुख्यमंत्री तो तब करेंगे जब उनसे कोई मांग करेगा। जब घोषणा नहीं हुई तो समाज में इसका गलत संदेश गया है।"

रात में ही नाम हटाया और फिर रात में ही नाम लिखवाया गया
नरेंद्र भाटी ने पूरे प्रकरण को लेकर एक सवाल किया। उन्होंने पूछा कि रात में ही सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा से गुर्जर शब्द को हटाया गया और आज जब नाम के साथ गुर्जर शब्द जोड़ा गया तो भी रात में ही जोड़ा गया है। इससे समाज में गलत संदेश गया है। बार-बार गुर्जर जोड़ना और हटाना समाज को अपमानित करने जैसा है। यही वजह रही कि समाज के लोग आक्रोशित हो गए। सही बात यह है कि इस पूरे मामले में किसी भी राजनीतिक दल या व्यक्ति की शुरुआत में कोई भूमिका नहीं थी। स्थितियां बिगड़ने पर सारे लोगों ने विरोध करना शुरू किया।" नरेंद्र भाटी ने आगे कहा, "अब जब सरकार ने गुर्जर शब्द जोड़ने पर सहमति दे दी तो सार्वजनिक रूप से यह काम किया जाना चाहिए था। इसके लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया जाना चाहिए था, लेकिन रात में गुर्जर शब्द लिखवा कर सुबह दिन निकलते ही सोशल मीडिया पर पोस्ट करके वाहवाही लूटने की कोशिश की गई है। सामाजिक रूप से दिन में यह कार्यवाही करके लोगों को भंडारे में आमंत्रित करना चाहिए था। सब लोग मिलकर प्रसाद ग्रहण करते।"

अब सपा मुद्दे पर चुनावी लाभ उठाना चाहती है
नरेंद्र भाटी समाजवादी पार्टी के विधान परिषद सदस्य हैं, लेकिन कई वर्षों से पार्टी में सक्रिय नहीं हैं। उन्होंने कहा, "अब जब गुर्जर समाज में भारतीय जनता पार्टी का माहौल बिगड़ा तो समाजवादी पार्टी इसका राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। सपा के टिकट पर जो लोग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं, वह इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। दादरी सीट से सपा के कई संभावित उम्मीदवार हैं। यह सारे लोग एक-दूसरे को पार्टी और गुर्जर बिरादरी की नजरों में बेहतर साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि कोई पंचायत कर रहा है और कोई मिहिरभोज की प्रतिमा को गंगाजल से नहला रहा है। रात में भाजपा के सांसद ने चोरी-छिपे गुर्जर शब्द जुड़वाया और सुबह समाजवादी पार्टी के सारे संभावित उम्मीदवार मूर्ति पर चढ़कर नाच रहे थे। जिससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सबकुछ राजनीति के वशीभूत किया जा रहा है।"

नाम के साथ गुर्जर शब्द जुड़ गया है, सीएम को धन्यवाद दीजिए
नरेंद्र भाटी ने आगे कहा, "सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के साथ गुर्जर शब्द जोड़ना ही समाज की एकमात्र मांग थी। दो दिन पहले हुई पंचायत में भी यही मांग रखी गई थी। हमारे समाज की यह मांग मुख्यमंत्री तक पहुंच गई। उन्होंने मांग को स्वीकार कर लिया है। तभी प्रतिमा के नाम के साथ गुर्जर शब्द जोड़ा गया है। अब इस मुद्दे का पटाक्षेप हो गया है। लिहाजा, सभी को विवाद खत्म कर देना चाहिए। बल्कि पूरे समाज को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद ज्ञापित करना चाहिए। मैं समाज के लोगों से अपील करता हूं कि इस विवाद को खत्म कर दें और मुख्यमंत्री को हृदय से साधुवाद दें। अगर यह मामला आगे खींचा जाएगा तो इसका एकमात्र उद्देश्य सम्राट मिहिर भोज की आड़ में अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना होगा।"

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.