कांग्रेस की नर्सरी का पौधा सपा में बना दरख्त, पतझड़ के बाद भाजपा में सक्सेसफुल ट्रांसप्लांट

नरेंद्र सिंह भाटी : कांग्रेस की नर्सरी का पौधा सपा में बना दरख्त, पतझड़ के बाद भाजपा में सक्सेसफुल ट्रांसप्लांट

कांग्रेस की नर्सरी का पौधा सपा में बना दरख्त, पतझड़ के बाद भाजपा में सक्सेसफुल ट्रांसप्लांट

Google Image | नरेंद्र सिंह भाटी

Greater Noida News : यूपी विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब प्रदेश में विधान परिषद के चुनाव का बिगुल बज चुका है। बीजेपी ने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। बुलंदशहर-गौतमबुद्ध नगर सीट से मौजूदा एमएलसी नरेंद्र भाटी को बीजेपी की तरफ से टिकट दिया गया है। काफी वर्षों से समाजवादी पार्टी के सिपाही रहे भाटी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए हैं। इनके मैदान में उतरने के बाद जिले की राजनीति हलचल तेज हो चुकी है। उम्र के लिहाज से 64 साल के नरेंद्र सिंह भाटी करीब 47 वर्षों से राजनीति कर रहे हैं। केवल 18 साल की उम्र में कांग्रेस से राजनीति का ककहरा सीखने वाले भाटी समाजवादी पार्टी में एक 'पॉवरफुल पॉलिटिशियन' रह चुके हैं।

जिले की राजनीति में सबसे पुराने नेता
नरेंद्र सिंह भाटी मूलरूप से ग्रेटर नोएडा में बोड़ाकी गांव के रहने वाले हैं। उनका जन्म 1958 में एक किसान परिवार में हुआ था। तब दादरी तहसील मेरठ जिले का हिस्सा थी। नरेंद्र सिंह भाटी ने महज 18 साल की उम्र में वर्ष 1975 में अपने राजनीतिक कैरियर में पहला  कदम रखा था। उन्हें दादरी ब्लॉक युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 1977 में मिहिरभोज इंटर कॉलेज से इंटर की पढ़ाई पूरी की। तभी बुलंदशहर और मेरठ का विभाजन करके तत्कालीन एनडी तिवारी सरकार ने गाजियाबाद जिले का गठन किया। दादरी तहसील गाजियाबाद जिले में शामिल हो गई। नरेंद्र भाटी ने 1980 में चुनावी राजनीतिक की शुरुआत की। वह दादरी के ब्लॉक प्रमुख बने। करीब 3 साल बाद वह लोकदल में शामिल हो गए थे। उसके बाद नरेंद्र सिंह भाटी ने सिकंदराबाद विधानसभा सीट से 1989, 1991 और 1996 में चुनाव जीते।

कांग्रेस से लोकदल, सपा और अब भाजपा
कांग्रेस से निकलकर नरेंद्र भाटी लोकदल गए थे। जब चौधरी अजित सिंह और मुलायम सिंह यादव अलग हुए तो नरेंद्र भाटी समाजवादी पार्टी में चले गए। नरेंद्र सिंह भाटी समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता माने जाते थे। एक समय था, जब नरेंद्र भाटी और मुलायम सिंह यादव के इतने घनिष्ठ संबंध थे कि मुलायम सिंह ने भरी सभा में बोल दिया था, "आप इन्हें हारते रहो और मैं टिकट देता रहूंगा।" वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह दादरी में जनसभा करने आए और उन्होंने झोली फैलाकर नरेंद्र सिंह भाटी के लिए वोट मांगे।

गुर्जर राजनीति का बड़ा चेहरा नरेंद्र भाटी
नरेंद्र सिंह भाटी खनन मामले में तत्कालीन आईएएस एसडीएम दुर्गशक्ति नागपाल पर कड़ी कार्रवाई के बाद सुर्खियों में आए थे। उन्होंने दनकौर में एक कार्यक्रम में 41 मिनट के भीतर दुर्गाशक्ति को सस्पेंड कराने का दावा किया था। इसके बाद भाटी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आए थे। नरेंद्र भाटी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर राजनीति का बड़ा चेहरा माना जाता रहा है। नरेंद्र भाटी को साइकिल की सवारी से उतारकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और गौतमबुद्ध नगर के मौजूदा सांसद डॉ.महेश शर्मा भारतीय जनता पार्टी में लाए हैं।

भाटी को मिहिरभोज प्रकरण का मिला फायदा
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दादरी में गुर्जर सम्राट मिहिरभोज की प्रतिमा का अनावरण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था। प्रतिमा के साथ गुर्जर सम्राट नहीं लिखने से गुर्जर समाज में भारी आक्रोश देखने को मिला था। नरेंद्र भाटी के दखल के बाद मिहिरभोज का मामला क्षेत्र में ठंडा हुआ था। उस वक्त नरेंद्र भाटी ने ट्राईसिटी टुडे से बातचीत की थी। उन्होंने सीधे तौर पर मुख्यमंत्री का पक्ष लिया था। कहा था, "प्रतिमा के नाम पर विवाद करना गलत है। अब तब प्रतिमा पर गुर्जर सम्राट लिख गया है तो विवाद खत्म हो गया है। कुछ लोग बिना वजह राजनीति चमका रहे हैं। वैसे भी स्थानीय नेता इसके लिए जिम्मेदार हैं।" वैसे तो जब योगी आदित्यनाथ दादरी आए थे तभी नरेंद्र भाटी को भाजपा में शामिल होना था। लेकिन भाजपा के कुछ गुर्जर नेता इस बात से खफा थे और भाटी को मंच पर आने से रोक दिया गया था। वहीं, दूसरी तरफ भाटी बिना मंच पर चढ़े बीजेपी के साथ खड़े नजर आए। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नरेंद्र भाटी विधिवत रूप से भाजपा में शरीक हो गए।

अब भाजपा में सारे विरोध नाकाम हुए
नरेंद्र भाटी के बीजेपी में आने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गुर्जर राजनीति और तेज हो गई है। भाजपा के प्रमुख गुर्जर नेता भाजपा में हैं। राज्यसभा सांसद सुरेन्द्र नागर पहले ही समाजवादी पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा का दामन थाम चुके हैं। वीरेंद्र सिंह कांधला भाजपा के एमएलसी हैं। नवाब सिंह नागर मंत्री हैं। भाजपा में 5 गुर्जर विधायक और 2 एमएलसी हैं। अब नरेंद्र भाटी को टिकट दिया गया है। उनकी जीत तय मानी जा रही है। कुल मिलाकर उनके खिलाफ भाजपा में उठे तमाम विरोध के स्वर सुने नहीं गए। कांग्रेस की नर्सरी का यह पौधा सपा में दरख्त बना और अब पतझड़ के बाद भाजपा में सक्सेसफुल ट्रांसप्लांट हो गया है।

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