ग्रेटर नोएडा के सभी 93 गांवों को बचाने में जुटा एनजीटी, डीएम नोएडा समेत इन अफसरों को सौंपी जिम्मेदारी

खास खबर : ग्रेटर नोएडा के सभी 93 गांवों को बचाने में जुटा एनजीटी, डीएम नोएडा समेत इन अफसरों को सौंपी जिम्मेदारी

ग्रेटर नोएडा के सभी 93 गांवों को बचाने में जुटा एनजीटी, डीएम नोएडा समेत इन अफसरों को सौंपी जिम्मेदारी

Tricity Today | सीवर का तालाबों में पानी

  • - एनजीटी ने मांगी सभी 93 गांवों की रिपोर्ट
  • - सीवेज पानी बना सबसे बड़ी समस्या
  • - 2 हफ्ते के भीतर देनी होगी गांवों की रिपोर्ट
  • - ग्रेटर नोएडा के 2 निवासियों ने दाखिल की याचिका  
Greater Noida News : इस समय ग्रेटर नोएडा के गांव की सबसे बड़ी समस्या सीवेज की है। ग्रेटर नोएडा में 93 गांव है। इनमें सबसे ज्यादा समस्या सीवेज और गंदे पानी की है। लोग काफी समय से इस परेशानी से जूझ रहे हैं। इस समस्या का समाधान करवाने के लिए ग्रेटर नोएडा के दो लोगों ने याचिका दाखिल की। इन लोगों की याचिका पर अब एनजीटी ने कार्रवाई करते हुए इन समस्याओं का समाधान करवाने के लिए टीम का गठन किया है। जिसमें शासन स्तर से लेकर गौतमबुद्ध नगर के जिला अधिकारी भी शामिल है।

93 गांवों में सीवेज और गंदे पानी की समस्याएं
एडवोकेट आकाश वशिष्ठ ने बताया कि ट्रिब्यूनल ने मूलरूप से मिलक लच्छी गांव के रहने वाले करमवीर सिंह और सुनपुरा गांव निवासी प्रदीप कुमार ने एक याचिका दाखिल की है। याचिका के मुताबिक ग्रेटर नोएडा के सभी 93 गांवों में सीवेज की समस्या है। ग्रेटर नोएडा में काफी तेजी के साथ लोग बसने शुरू हो गए हैं। ग्रेटर नोएडा में हाईराइज सोसाइटी बन रही है, इसके बाद से ग्रेटर नोएडा के ग्रामीण इलाकों की हालत काफी ज्यादा दयनीय होती जा रही है। ग्रेटर नोएडा में 93 गांवों में सीवेज और गंदे पानी की समस्याएं है। गांवों की सड़कों पर गंदा पानी भरा रहता है।

एनजीटी ने किया टीम का गठन
उन्होंने बताया कि एनजीटी ने एक टीम का गठन किया है, जिसमें सीपीसीबी, यूपीपीसीबी, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, डीएम गौतमबुद्ध नगर और यूपी शहरी विकास सचिव समिति का हिस्सा हैं। एनजीटी ने आपने आदेश में सुनवाई करते हुए कहा, जो भी व्यक्ति या अधिकारी सुप्रीम कोर्ट के नियमों का पालन नहीं करेगा। उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। चूंकि पानी की समस्या सबसे बड़ी समस्या हैं। ग्रेटर नोएडा के 93 गांवों की पूरी रिपोर्ट बनाकर पेश किया जाए। 

2 सप्ताह में देनी होगी रिपोर्ट
एनजीटी ने इनको आदेश दिया है कि 2 सप्ताह के भीतर ग्रेटर नोएडा का दौरा करो, 93 गांवों के जाकर जायजा लो और एक्शन योजना तैयार करो। उसके बाद सीवेज और गंदे पानी की समस्याओं का निस्तारण किया जाएं। एनजीटी ने आदेश दिया है कि जो लोग पानी को दूषित कर रहे है या फिर नियमों का पालन नहीं कर रहे है। उनको और विभाग को चिन्हित करके पूरी रिपोर्ट एनजीटी के समक्ष पेश करो। एनजीटी ने जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान करने और उल्लंघनकर्ताओं और गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिए है।

सीवेज सबसे बड़ी समस्या
आकाश वशिष्ठ ने बताया कि सीवेज की समस्या के कारण हजारों लोगों को परेशानी है। इसके कारण लोग अधिकतर बीमार भी रहते हैं। सीवेज का पानी लोगों के घर के आगे भरा हुआ है। गली-रास्ते का बुरा हाल हुआ पड़ा है। गांवों के मेनरोड पर सीवेज का पानी भरा रहता है। सड़कें और नाली टूटी हुई है, जिसके कारण चारों तरह गंदा पानी भर जाता है। ग्रेटर नोएडा में 93 गांवों की स्थिति यह है कि सबसे ज्यादा सीवेज की समस्याएं है। सीवर का पानी तालाबों में जाता है, जिसके कारण लोगों को काफी दिक्कतें होती है। पीने के पानी की क्वालिटी ग्रेटर नोएडा के ग्रामीणों की हालत सबसे ज्यादा खराब हैं।

ग्रेटर नोएडा के विकसित गांवों का यह हाल
अकाश वशिष्ठ ने बताया कि जिन गांवों को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण विकसित बताता है, उन गांवों में ही सबसे ज्यादा समस्या है। वैसे तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण गांवों को स्मार्ट विलेज बना रहा है, लेकिन अगर जमीन पर जाकर देखा जाए तो तस्वीरें कुछ और ही मिलेंगी।  ग्रेटर नोएडा की गांव में यह हालत है कि बरसात का मौसम हो या फिर गर्मी का हमेशा सड़कों पर पानी भरा होता है और वह पानी कोई आम पानी नहीं बल्कि सीवेज का गंदा पानी होता है। आने वाले समय में यह स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएंगी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण गांव को विकसित करने की बात कही है लेकिन जमीनी स्तर पर गांवों में दूषित पानी सबसे बड़ी समस्या है। जिस पर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को ध्यान देना चाहिए।

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