गौतमबुद्ध नगर प्रशासन का दावा- ग्रामीणांचल में बढ़ी हैं स्वास्थ्य सुविधाएं, ग्रामीण बोले- झोलाछाप डॉक्टर से करा रहे इलाज

गांव में कोरोनाः गौतमबुद्ध नगर प्रशासन का दावा- ग्रामीणांचल में बढ़ी हैं स्वास्थ्य सुविधाएं, ग्रामीण बोले- झोलाछाप डॉक्टर से करा रहे इलाज

गौतमबुद्ध नगर प्रशासन का दावा- ग्रामीणांचल में बढ़ी हैं स्वास्थ्य सुविधाएं, ग्रामीण बोले- झोलाछाप डॉक्टर से करा रहे इलाज

Tricity Today | नीम के पेड़ के नीचे इलाज

  • मेवला गोपालगढ़ के निवासियों का कहना है कि जिला प्रशासन गांव में कोविड टेस्टिंग की बात कर रहा है
  • रोजाना गांव में 4-5 लोगों की मौत हो रही है
  • अस्पताल की कमी के कारण लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाना पड़ रहा है
  • गांव में दर्जनों लोगों की मौत बुखार और खांसी-जुखाम से हो चुकी है
  • दादरी के देहात क्षेत्र में खंडेरा गांव में करोड़ों की लागत से बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खंडहर में तब्दील हो चुका है
यूपी की शान और आर्थिक राजधानी गौतमबुद्ध नगर के गांवों में कोरोना वायरस की त्रासदी से हाहाकार मचा है। ग्रामीणों को कोरोना के कहर से ज्यादा शासन-प्रशासन की ढिलाई और लापरवाही अखर रही है। बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। लोगों को टेस्ट कराने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। ग्रामीणों की शिकायत है कि अफसर कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सैनीटाइजेशन, फॉगिंग और स्वच्छता अभियान के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में न अस्पताल हैं, न बेड और न इलाज। लोगों को नीम के पेड़ के नीचे खाट पर ग्लूकोज की ड्रिप लगाई जा रही है। ग्रेटर नोएडा, यमुना सिटी और जेवर क्षेत्र के हर गांव में कोरोना महामारी ने विकराल रूप अख्तियार कर लिया है। मौतों का सिलसिला जारी है। 

रोजाना लोग अश्रुपूर्ण आंखों से अपनों को विदा कर रहे हैं। हालांकि आज यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गौतमबुद्ध नगर के दौरे पर हैं। इस वजह से प्रशासन पिछले दिनों से कुछ सक्रिय है। लेकिन बदलाव की बयार बहनी बाकी है। जेवर क्षेत्र के गोपालगढ़ गांव मे लोग झोलाछाप डॉक्टरों से नीम के पेड़ के नीचे इलाज करवाने को मजबूर हैं। अब तक ग्रेटर नोएडा के ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों लोग जान गवां चुके हैं। जिला प्रशासन गांवों में टेस्टिंग को बढ़ाने का दावा कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग ग्रामीणांचल में जाकर संक्रमितों से हालचाल जान रही है। कोरोना पर काबू करने के लिए रबूपुरा और दनकौर के सामुदायिक केंद्रों को कोविड हॉस्पिटल में बदल दिया गया है।

गोपालगढ़ में नीम के पेड़ के नीचे हो रहा इलाज 
जेवर क्षेत्र के मेवला गोपालगढ़ के निवासियों का कहना है कि जिला प्रशासन गांव में कोविड टेस्टिंग की बात कर रहा है। लेकिन हमें जानकारी इसकी नहीं है। वे पूछते हैं कि आखिर टेस्टिंग हो कहां रही है? रोजाना गांव में 4-5 लोगों की मौत हो रही है। अस्पताल की कमी के कारण लोगों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज करवाना पड़ रहा है। गांव के हर घर में कोरोना वायरस के लक्षण वाले मरीज हैं। गांव में मरीज नीम के पेड़ की टहनियों में ड्रिप लटका कर इलाज करवा रहे हैं। ग्राम प्रधान योगेश तालान ने बताया कि मेवला गोपालगढ़ की कुल आबादी 3000 के करीब है। गांव में दर्जनों लोगों की मौत बुखार और खांसी-जुखाम से हो चुकी है। सैकड़ों लोग इन बीमारियों से पीड़ित हैं। सिलसिलेवार मौतों के बावजूद गांव मे किसी तरह के टेस्टिंग की सुविधा नहीं की गई है। इस वजह से हालात और बिगड़ गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रो के खस्ताहाल के कारण ग्रामीण झोलाझाप डॉक्टरों से इलाज कराने को मजबूर हैं। नीम के पेड़ से ऑक्सीजन ज्यादा मिलने की थ्योरी के चलते मरीज नीम के पेड़ के नीचे इलाज करवा रहे हैं।

जलालपुर गांव में मौतों का सिलसिला जारी
शनिवार को बिसरख स्वास्थ्य केंद्र के दो कर्मचारी ग्रेटर नोएडा वेस्ट के जलालपुर गांव में संदिग्ध मरीजों की जांच करने पहुंचे। इसी बीच गंभीर रूप से बीमार एक ग्रामीण सुरेश की मौत भी गई। सुरेश पेशे से डॉक्टर थे। आजाद समाज पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष रविंद्र भाटी ने बताया कि काफी प्रयास के बाद गांव के प्राइमरी स्कूल में जांच शिविर लगाया गया। इसमें 100 लोगों के स्वास्थ्य की जांच की गई। दो लोग पॉजिटिव पाए गए। तीन अन्य की रिपोर्ट भी संदिग्ध है। भाटी ने बताया कि गांव में 19 अन्य लोगों की भी मौत हो चुकी है।

रालोद नेता को भी नहीं मिला इलाज
जेवर के गांव मेवला गोपालगढ़ निवासी रालोद नेता ने विगत दिनों वैक्सीन की पहली डोज लगवाई थी। इससे उनको घबराहट हुई तो गांव के झोलाछाप चिकित्सक को दिखाया। चिकित्सक ने ऑक्सीजन की कमी बताकर नीम के पेड़ के नीचे चारपाई डालकर ग्लूकोज की बोतल चढ़ा दी। फिर भी बुखार नहीं उतरा तो रालोद नेता ने जेवर में कोरोना की जांच कराई। जहां उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने से परिजनों में हडकम्प मच गया। गांव गोपालगढ़ निवासी राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश सचिव ने 29 अप्रैल को कोरोना की प्रथम डोज लगवाई थी। बाद में उनको हल्के बुखार के साथ घबराहट हो गयी थी। रालोद नेता ने अपने गांव के चिकित्सक से परामर्श लिया। उसने बुखार के साथ ऑक्सीजन की कमी बताई। ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए नीम के पेड़ के नीचे चारपाई बिछवा कर नीम की टहनी से ग्लूकोज की बोतल बांधकर चढ़ा दी। आराम नहीं मिलने पर रालोद नेता ने परिजनों के कहने पर कोरोना की जांच करायी। रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर चिकित्सकों ने उनको दवाई देकर होम आईसोलेसन में रहने की सलाह दी है। फिलहाल उनके स्वास्थ्य में सुधार बताया जाता है।

स्वास्थ्य केंद्र खंडहर हो गया है
दादरी के देहात क्षेत्र में खंडेरा गांव में करोड़ों की लागत से बना प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र आजकल सुर्खियां बटोर रहा है। यहां न डॉक्टर है, न कर्मचारी, न दवा है। यहां तक कि भवन भी खंडहर में तब्दील हो चुका है। 50 बेड का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 5 वर्ष पूर्व बनाया गया था। स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए ग्राम सभा ने जमीन मुफ्त दी थी। करीब एक करोड़ की लागत से छोटे-बड़े एक दर्जन कमरे स्वास्थ्य केंद्र में बनाए गए। शुरू में यहां डॉक्टर-कंपाउंडर और सफाई कर्मियों की तैनाती की गई। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने यहां आना बंद कर दिया। 

झोलाछाप डॉक्टर ने ली जान
गौतमबुद्ध नगर जेवर क्षेत्र में एक झोलाछाप बंगाली डॉक्टर की लापरवाही के चलते 32 वर्ष की युवती की जान चली गई। युवती को बुखार था। डॉक्टर ने बिना कोविड टेस्ट कराए उसे ग्लूकोज की 15 बोतलें चढाईं। बंगाली डॉक्टर तब तक युवती का इलाज करता रहा, जब तक उसकी मौत नहीं हो गई। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, जेवर के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने इस मामले में गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ दीपक ओहरी को बंगाली डॉक्टर के खिलाफ कोविड महामारी रोकथाम अधिनियम के तहत कार्रवाई के लिए चिट्ठी लिखी है। साथ ही जेवर कोतवाली को प्रभारी निरीक्षक को डॉक्टर के खिलाफ जांच कर मामला दर्ज करने के लिए कहा है। दरअसल नोएडा स्वास्थ्य विभाग कोरोना महामारी के साथ-साथ झोलाछाप डॉक्टरों पर भी नकेल कस रहा है। 

बिना टेस्ट कराए करता रहा इलाज
मामला 14 मई का है। अपनी चिट्ठी में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी ने लिखा है कि, “शुक्रवार की सुबह अलका पुत्री रतनलाल (32 वर्ष) निवासी मोहल्ला दाऊजी, जेवर को ई-रिक्शा पर लेकर परिजन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जेवर पहुंचे। जांच के बाद पता चला कि अलका की पहले ही मौत हो गई थी। पूछताछ में परिजनों ने बताया कि उसे तेज बुखार था। उन्होंने कस्बे में स्थित बंगाली डॉक्टर से उसका इलाज कराया। बंगाली डॉक्टर ने युवता की कोविड टेस्ट भी नहीं कराया और उसे ग्लूकोज की बोतले चढ़ाता रहा। उसके कुल 15 बोतले चढ़ाई। इस दौरान अलका की हालत लगातार बिगड़ती गई। इसके बावजूद बंगाली डॉक्टर उसका गलत इलाज करता रहा।”  

विधायक ने खुलवाया ताला
जेवर विधायक धीरेंद्र सिंह ने कहा कि जेवर विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्र की स्वास्थ्य सेवाएं आने वाले दिनों में बेहतर होंगी। इसका पूरा प्रयास किया जा रहा है। विधायक ने शनिवार को बिलासपुर में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थित लोगों से बातचीत की। उन्होंने बिलासपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का डॉक्टरों की टीम के साथ ताला खुलवाते हुए निरीक्षण किया। वहां उपस्थित डॉ. नरेंद्र तिवारी व डॉ. पूनम से जरूरी उपकरणों के लिए जानकारी ली। इस मौके पर ओंकार भाटी, सुरेश शास्त्री, जबर सिंह, हिफजुर्रहमान खान, श्रवण कुमार, अनुपम, उमेश भाटी आदि मौजूद रहे।

जलालपुर गांव में 18 लोगों की मौत, एक ही दिन दो सगे भाइयों का निधन
बीते रविवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित जलालपुर गांव में रहने वाले अतर सिंह के बेटे पंकज की अचानक मौत हो गई। बेटे को मुखाग्नि देकर घर पहुंचे ही थे कि दूसरे बेटे दीपक ने दम तोड़ दिया। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 10 दिनों में गांव मे 6 महिलाओं समेत 18 लोगों की मौत हो चुकी है। 28 अप्रैल को मौतों का सिलसिला शुरू हुआ था। यह अब तक जारी है। गांव के निवासी अनिल नगर ने बताया कि उनके परिवार में उनके चाचा ऋषि नागर का अचानक देहांत हो गया। उसी दिन उनके बेटे की भी मौत हो गई। ज्यादातर लोगों की मौत घरों में हुई है। गांव वालों के मुताबिक सभी को पहले बुखार आया। फिर ऑक्सीजन लेवल घटता चला गया। लगातार हो रही मौतों से गांव वाले दहशत में हैं।

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