गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी फेल, अब सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में होगी पीआईएल

चिटहेरा भूमि घोटाला : गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी फेल, अब सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में होगी पीआईएल

गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी फेल, अब सीबीआई जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में होगी पीआईएल

Tricity Today | चिटहेरा भूमि घोटाला

Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर जिले की दादरी तहसील के चिटहेरा गांव में हुए अरबों रुपये के भूमि घोटाले से जुड़ी बड़ी ख़बर है। इस मामले की जांच गौतमबुद्ध नगर पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) ने की है। एसआईटी की जांच में तमाम झोल हैं। घोटाले को अंजाम देने वालों और भूमाफ़िया गैंगस्टर यशपाल तोमर को संरक्षण देने वालों को क्लीन चिट दे दी गई है। इतना ही नहीं, इस घोटाले से लाभान्वित होने वाले यशपाल तोमर के परिजनों से पूछताछ तक नहीं की गई है। चिटहेरा गांव के किसानों को फ़र्ज़ी मुक़दमा में फंसाकर जेल भेजने वाले पुलिस अफ़सरों तक भी एसआईटी नहीं पहुंच पाई है। लिहाजा, सामाजिक संगठन गौतमबुद्ध नगर विकास समिति ने इस मामले की जांच सीबीआई से करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।

किसानों को न्याय नहीं मिला : गौतम बुद्ध नगर विकास समिति
गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की अध्यक्ष रश्मि पांडेय ने कहा, “इस मामले की जांच बहुत सतही ढंग से की गई है। जबकि यह बेहद गंभीर मामला है। चिटहेरा गांव में अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और बच्चों से भूमाफ़िया यशपाल तोमर व उसके गैंग ने ज़मीन हड़पी है। इतना ही नहीं, यशपाल तोमर को आईएएस और आईपीएस अफ़सरों ने संरक्षण दिया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री उनके परिवार और रिश्तेदारों की भूमिका भी सामने आयी है। दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड और राजस्थान पुलिस के कई बड़े अफ़सर इस आपराधिक षड्यंत्र में शामिल हैं। यशपाल तोमर गैंग और इन सारे लोगों के बीच फ़ाइनेंशियल ट्रांजेक्शन सामने आए हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी ने अफ़सरों के रिश्तेदारों, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों-अधिकारियों और दादरी तहसील के अफ़सरों को क्लीन चिट दे दी है। दूसरी ओर किसानों को इस जांच से रत्ती भर फ़ायदा नहीं मिला है। यशपाल तोमर गैंग द्वारा हड़पी गई ज़मीन अब तक किसानों को वापस नहीं लौटायी गई है। सरकारी ज़मीन को वापस राज्य सरकार में निहित नहीं किया गया है। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से लिया गया करोड़ों रुपया का मुआवज़ा वापस नहीं लौटाया गया है। किसानों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज करके जेल भेजने वाले पुलिस अफ़सरों के ख़िलाफ़ एसआईटी ने जांच करना ही मुनासिब नहीं समझा है। कुल मिलाकर चिटहेरा भूमि घोटाले की जांच में भी बड़ा घोटाला हुआ है। किसानों और न्याय हित को ध्यान में रखते हुए गौतमबुद्ध नगर विकास समिति ने इस पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जाने का फ़ैसला लिया है। इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को गौतमबुद्ध नगर विकास समिति की बैठक होगी। जिसमें जनहित याचिका दायर करने के लिए प्रस्ताव पास किया जाएगा।”

पुलिस ने जांच पूरी की, चार चार्जशीट दाखिल कीं
गौतमबुद्ध नगर पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने जांच पूरी कर ली है। पुलिस ने चार चार्जशीट जिला न्यायालय में दाख़िल की हैं। जिनमें तीन नामज़द अभियुक्तों को क्लीन चिट दे दी गई है। गैंगस्टर भूमाफिया यशपाल तोमर समेत 12 लोगों के ख़िलाफ़ आरोप पत्र दाख़िल किए गए हैं। बड़ी बात यह है कि इस घोटाले से लाभान्वित होने वाली यशपाल तोमर की पत्नी अंजना, उसका साला अरुण सिंह, किसानों को फ़र्ज़ी मुकदमों में जेल भेजने वाला दिल्ली पुलिस का एसीपी देवेंद्र सिंह, किसानों को दहशतज़दा करने वाला कुख्यात गैंगस्टर गजेंद्र सिंह, दादरी तहसील के अफ़सर और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अफ़सर छोड़ दिए गए हैं।

IAS और IPS अफसरों के चार्जशीटेड रिश्तेदारों को मिली क्लीन चिट
गौतमबुद्ध नगर के चिटहेरा भूमि गांव में अरबों रुपये की सरकारी और किसानों की जमीन भू-माफिया यशपाल तोमर व उसके गैंग ने हड़प ली। इस मामले की जांच कर रही गौतमबुद्ध नगर पुलिस अब खुद सवालों के घेरे में खड़ी हो गई है। दरअसल, गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने तीन नामजद आरोपियों को पहले चार्जशीट किया और फिर यकायक अपनी चार्जशीट को खारिज करके क्लीन चिट दे दी। यह तीनों आरोपी उत्तराखंड में तैनात आईएएस और आईपीएस अफसरों के माता-पिता और सास हैं। अफसरों के चार्जशीटेड रिश्तेदारों को क्लीन चिट कैसे मिली गई? अरबों रुपये के घोटाले की जांच पर सवाल खड़े हो गए हैं। आपको बता दें कि आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल TRICITY TODAY ने इस घोटाले का खुलासा किया था। अब आपको चार्जशीट और क्लीन चिट की सिसिलेवार कहानी बताते हैं।

13 नवंबर 2022 : पुलिस ने पहली चार्जशीट दाखिल की
इस घोटाले में गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी सुहास एलवाई के आदेश पर दादरी कोतवाली में 22 मई 2022 को एफआईआर दर्ज करवाई थी। राजस्व निरीक्षक पंकज निर्वाल इस मामले में वादी हैं। मुख्य अभियुक्त यशपाल तोमर को यह एफआईआर दर्ज होने से पहले ही उत्तराखंड एसटीएफ ने दिल्ली से गिरफ्तार कर लिया था। गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त आलोक सिंह ने जांच करने के लिए एसआईटी गठित की थी। एफआईटी ने करीब साढ़े चार महीने बाद 4 अक्टूबर 2022 को चिटहेरा गांव में तैनात रहे लेखपाल शीतला प्रसाद को गिरफ्तार किया। लिहाजा, 13 नवंबर 2022 को यशपाल तोमर और शीतला प्रसाद के खिलाफ अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (विशेष न्यायालय एससी-एसटी एक्ट) में चार्जशीट दाखिल की। ख़ास बात यह है कि जिला प्रशासन ने लेखपाल शीतला प्रसाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करवाई थी। पुलिस की जांच में यह तथ्य सामने आया कि शीतला प्रसाद ने सरकारी जमीन यशपाल तोमर और उसके गुर्गों के नाम की हैं।

25 नवंबर 2022 : फिर पहली सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की
जिला प्रशासन ने 9 आरोपियों यशपाल तोमर, नरेंद्र कुमार, कर्मवीर, बैलू, कृष्णपाल, एम भास्करन, केएम संत उर्फ़ खचेरमल संत, गिरीश वर्मा और सरस्वती देवी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। इनमें एम भास्करन उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सचिव मीनाक्षी सुंदरम के ससुर हैं। केएम संत उर्फ़ खचेरमल संत उत्तराखंड कैडर में आईएएस ब्रजेश संत के पिता हैं। ब्रजेश संत उत्तराखंड में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिव हैं। केएम संत उत्तर प्रदेश कैडर से रिटायर आईएएस हैं। सरस्वती देवी उत्तराखंड में 2006 बैच के आईपीएस राजीव स्वरूप की मां हैं। सरस्वती देवी के पति रामस्वरूप राम बिहार से सांसद रह चुके हैं। पुलिस ने 25 नवंबर 2022 को अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किया। जिसमें नरेंद्र कुमार, कर्मवीर, बैलू, कृष्णपाल, एम भास्करन, केएम संत उर्फ़ खचेरमल संत, गिरीश वर्मा, सरस्वती देवी, अनिल राम और साधना राम के नाम शामिल थे। 

पूर्व मुख्यमंत्री के रिश्तेदार बनाए गए आरोपी
अनिल राम और साधना राम उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जोशी के समधी और समधन हैं। जांच में इनकी भूमिका सामने आए थी। एफआईआर में नामजद और चार्जशीटेड नरेंद्र कुमार त्रिदेव रिटेल कंपनी प्राइवेट लिमिटेड का निदेशक है। इसे अनिल राम और साधना राम ने अथॉराइज्ड सिग्नेट्री बनाकर चिटहेरा में बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी थी। इस कंपनी को जिला प्रशासन ने भू-माफिया घोषित किया। एफआईआर दर्ज होने और भू-माफिया घोषित होने के बाद अनिल राम और साधना राम की कंपनी ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को मुआवजा वापस लौटाया था। इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें कोई रियायत नहीं दी और चार्जशीट कर दिया।

कानूनगो गोवर्धन गिरफ्तार, यशपाल के मुखौटे मालू का सरेंडर
इसी बीच एसआईटी ने 25 नवंबर 2022 को दादरी तहसील के राजस्व निरीक्षक गोवर्धन को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि लेखपाल शीतला प्रसाद की तरह राजस्व निरीक्षक गोवर्धन भी 'यशपाल तोमर एंड कंपनी' को मदद पहुंचा रहा था। इसके बाद 27 जनवरी 2023 को यशपाल तोमर के सबसे करीबी और उसके मुखोटे मालू ने गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। उसे अदालत ने जेल भेज दिया। एक साल से वांछित मालू को क्राइम ब्रांच गिरफ्तार नहीं पाई।

26 फरवरी 2023 : अफसरों के रिश्तेदारों को दी क्लीन
गौतमबुद्ध नगर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 26 फरवरी 2023 को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम की अदालत में दूसरा अनुपूरक आरोप पत्र दाखिल किया। इस आरोप पत्र में यकायक पुलिस की पूरी कहानी बदल गई। क्राइम ब्रांच ने उत्तराखंड कैडर के आईएएस और आईपीएस अफसरों के माता-पिता व ससुर को क्लीन चिट देते हुए एफआईआर से नाम निकाल दिए। इस पूरक आरोप पत्र में मालू और गोवर्धन को आरोपी बनाया गया है। इस तरह न्यायालय में दाखिल की गई दूसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में 9 अभियुक्त हैं और 3 अभियुक्तों को क्लीन चिट दी गई है। कुल मिलाकर अफसरों के चार्जशीटेड रिश्तेदारों को क्लीन चिट कैसे मिली गई? अरबों रुपये के घोटाले की जांच पर यह सवाल खड़े हो गए हैं।
 

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