Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में हुए कुणाल शर्मा हत्याकांड के बाद गौतमबुद्ध नगर की जनता को पूर्व पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह और एसएसपी वैभव कृष्ण याद आ गए हैं। तमात सोशल मीडिया अकाउंट पर लोग आलोक सिंह और वैभव कृष्ण को याद कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि उन दोनों अफसरों के समय में जिले की स्थिति काफी बेहतर थी, लेकिन वर्तमान में स्थिति बेहद निराशजनक है।
"लक्ष्मी सिंह के कार्यकाल ने काफी निराश किया"
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले मयंक प्रताप का कहना है "कमिश्नरेट सिस्टम होने के बाद भी शहर की हालत ज्यादा बेहतर नहीं है। एसएसपी वैभव कृष्ण का कार्यकाल यादगार है। वह अकेले अफसर आज पूरे कमिश्नरेट के बराबर थे। गौतमबुद्ध नगर के सबसे पहले पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह का भी कार्यकाल काफी अच्छा रहा, लेकिन लक्ष्मी सिंह के कार्यकाल ने काफी निराश किया है।"
"आलोक सिंह की पुलिसिंग एक दम बढ़िया थी"
विवेक रमन का कहना है, "आलोक सर की पुलिसिंग एक दम बढ़िया थी। क्राइम एक दम लगभग ख़त्म हो गया था। अगर कोई समस्या होती थी तो पुलिस वाले बात भी सुनते थे, अब तो सब रामभरोसे है।" तन्मय त्यागी का कहना है, "आलोक सिंह एडीजी स्तर के अधिकारी हैं और जमीनी अफसर हैं।"
"सीसीटीवी कैमरे में अपहरणकर्ता कैद, फिर भी कोई एक्शन नहीं"
रघुराज भाटी का कहना है, "कुणाल शर्मा हत्याकांड बहुत दुखद घटना है। इस तरह की घटना पूर्व में भी कई हुई है, लेकिन पुलिस-प्रशासन का एक शब्द होता है कि घटना की जांच चल रही है। यह कहकर पुलिस अफसर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। अगर पुलिस गंभीर हो जाए तो इस तरह घटना नहीं होगी। हैरानी इस बात की है कि जिस जगह से बच्चे का अपहरण हुआ, उस रोड के दोनों तरफ कासना पुल पर पुलिस का पहरा रहता है। नट मंडिया गोल चक्कर पर पुलिस का पहरा रहता है। सीसीटीवी कैमरे में अपहरणकर्ता दिखाई दे रहे हैं। उसके बावजूद भी अपहरण कर हत्या कर दी। इसमें पुलिस की लापरवाही दिख रही है। कुछ समय पहले अपहरण और हत्या को लेकर बिलासपुर में व्यापारी धरने पर बैठे थे। इस छोटे से जिले में कप्तान लेवल के लगभग 25 अधिकारी है और जिले का क्राइम प्रदेश में नंबर वन पर है। इसका उत्तर यह है कि किसी 2 स्टार दरोगा को लाइन हाजिर कर देंगे। मृतक बच्चे के मां-बाप पर क्या बीत रही होगी, इससे किसी को फर्क नहीं पड़ेगा।
"पहले भी हुई ऐसी सनसनीखेज वारदात, लेकिन पुलिस लापरवाह"
ग्रेटर नोएडा की समाजसेवी दीपा का कहना है, "बहुत ही दुखद घटना है। ऐसी एक घटना सेक्टर-22 में भी हुई थी। हम लोग कई महीने तक सेक्टर-24 के थाने में चक्कर लगाते रहे और बच्चे की आज तक कोई खबर नहीं है। अगस्त से लापता बच्चों की आज तक कोई खोज खबर ही नहीं निकल पाई। नोएडा पुलिस से सवाल पूछते है तो कहती है कि तलाश जारी है।" केपी नागर का कहना है, "यह हत्याकांड पुलिस-प्रशासन की घोर लाह लापरवाही का नतीजा है।"
"जिसका बेटा गुजरा, उसके दिन पर क्या बीत रही होगी"
शहर के निवासी राजेश भाटी का कहना है, "बहुत ही शर्मनाक प्रशासन का रवैया रहा है। इस पर उच्च अधिकारियों को जरूर संज्ञान लेना चाहिए। कल ऐसा तो किसी के साथ भी हो सकता है। जिस भाई का बेटा चला गया, उसका सब कुछ चला गया। उसका जीवन ही बेकार हो जाता है। इस बहुत बड़े दर्द को हम और आप ही जान सकते हैं। आज उन मां-बाप पर क्या गुजर रही होगी।"
"पुलिस की गलती से गई वैभव के बाद कुणाल की जान"
सभा के राष्ट्रीय सचिव श्याम सिंह भाटी एडवोकेट ने कहा, "ग्रेटर नोएडा पुलिस की लापरवाही की वजह से ही कुणाल की हत्या हुई है, यदि ग्रेटर नोएडा पुलिस सही समय पर मामले की गंभीरता को समझते हुए निर्णय लेती है तो यह घटना नहीं घटित होती और कुनाल की जान बच जाती। पीड़ित परिजनों का आरोप है कि पुलिस द्वारा अपराधियों को ढूढ़ने के बजाय कुणाल के ही परिवार वालों को उठाकर थाने में ले आई। जिससे अपराधियों को घटना को अंजाम देने का समय मिल गया और उन्होंने कुणाल की हत्या करके उसका शव बुलंदशहर में फेंक दिया। इस मामले में पुलिस की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। जिस तरह से बिलासपुर में वैभव सिंघल हत्याकांड में पुलिस में लापरवाही बरती थी, उसी तरह कुणाल हत्याकांड में भी पुलिस ने बड़ी लापरवाही बरती है।"