शहर में आवारा डॉगी की संख्या 20 हजार से ज्यादा, लोगों और कुत्तों एक-दूसरे पर हमले बढ़ाए

ग्रेटर नोएडा : शहर में आवारा डॉगी की संख्या 20 हजार से ज्यादा, लोगों और कुत्तों एक-दूसरे पर हमले बढ़ाए

शहर में आवारा डॉगी की संख्या 20 हजार से ज्यादा, लोगों और कुत्तों एक-दूसरे पर हमले बढ़ाए

Tricity Today | Symbolic Photo

  • - आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से परेशान हैं लोग
  • - पिछले दो महीनों से शहर में नसबंदी अभियान बन्द
  • - निवासियों ने आवारा कुत्तों की संख्या पर चिंता जताई
  • - एक ओर शहर वासियों पर कुत्तों के हमले बढ़ रहे हैं
  • - दूसरी तरफ कुत्तों पर हमलों की संख्या तेजी से बढ़ी
Noida News : शहर में आवारा कुत्तों की नसबंदी दो महीने पहले बन्द हो गई है। नसबंदी अभियान बंद होने के साथ शहर में आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। शहर भर के निवासियों और गैर सरकारी संगठनों का कहना है कि आवारा कुत्तों की संख्या फिर से बढ़ रही है। इसी कारण कुत्तों के काटने और फिर बदले में उनके खिलाफ क्रूरता के मामले भी बढ़ रहे हैं। इस मसले में विकास प्राधिकरण को ध्यान देना चाहिए। पशुओं से जुड़े कार्यक्रम चलाने वाली संस्थाओं का अनुमान है कि ग्रेटर नोएडा शहर और इसके गांवों में आवारा कुत्तों की संख्या 20,000 से ज्यादा है। ऐसे में कुत्ते लोगों पर हमले कर रहे हैं तो दूसरी ओर कुत्तों पर भी हमलों की संख्या बढ़ रही है।

इस महीने नसबंदी अभियान फिर शुरू होगा
नवंबर की शुरुआत में शहर की पशु जन्म नियंत्रण समिति में नसबंदी अभियान की सदस्य ने कहा कि उन्होंने और एक अन्य पशु कार्यकर्ता ने पैनल छोड़ दिया है। क्योंकि ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण दिलचस्पी नहीं ले रहा था। कोई गतिविधि नहीं चल रही थी। उनके इस्तीफे अभी तक स्वीकार नहीं किए गए हैं। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा के अधिकारियों ने बताया कि कुत्तों से जुड़ी चिकित्सा प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए शहर की एकमात्र सुविधा स्वर्ण नगरी में है। वहां अस्थायी "डॉग यूनिट" का नवीनीकरण किया जा रहा है। क्योंकि मानसून के दौरान वहां पानी भर गया था। कुत्तों की नसबंदी ड्राइव दिसंबर में फिर से शुरू की जाएगी।

फरवरी से अगस्त तक 1000 कुत्तों की नसबंदी हुई
दूसरी ओर प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक इस साल 24 फरवरी से 30 अगस्त के बीच 'प्रोजेक्ट भैरव' अभियान चलाया गया। जिसके तहत लगभग 1,000 आवारा कुत्तों की नसबंदी की गई। यह मुख्य रूप से शहर के सेक्टर ओमिक्रॉन-2, सेक्टर-37, इको विलेज, ग्रीनआर्क और परी चौक के आसपास वाले क्षेत्रों पर केंद्रित था। शहर में कुत्तों की गणना नहीं है। पशु कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों का अनुमान है कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों लगभग 20,000 आवारा कुत्ते हैं। अब यह आंकड़ा बढ़ सकता है, क्योंकि नसबंदी अभियान उस वक्त बन्द हुआ जब कुत्तों के लिए प्रजनन का सबसे मुफीद वक्त था।

भुगतान को लेकर प्राधिकरण से मतभेद
ग्रेटर नोएडा की अग्रणी पशु अधिकार कार्यकर्ता और सोफी मेमोरियल एनिमल रिलीफ ट्रस्ट चलाने वाली कावेरी राणा भारद्वाज ने कहा, "जंगली कुत्ते आमतौर पर शरद ऋतु या मानसून के बाद के मौसम में प्रजनन करते हैं। शहर में पिछले दो महीनों में नसबंदी नहीं हो रही है। इस दौरान कुत्तों ने बड़ी संख्या में पिल्लों को जन्म दिया है।" दूसरी तरफ प्राधिकरण की अपनी परेशानियां हैं। शहर की कई आरडब्ल्यूए ने लंबे समय पहले सोसायटी में आवारा कुत्तों की नसबंदी करवाईं लेकिन प्राधिकरण को अपने हिस्से का भुगतान नहीं किया था। सोसायटी वाले कहते हैं, "प्राधिकरण की टीम नसबंदी अभियान के लिए नहीं आई है, जिसके लिए हमने कुछ समय पहले भुगतान किया था। इससे समाज में आवारा कुत्तों की संख्या में इजाफा हुआ है। हमने पिछले साल ड्राइव के लिए प्राधिकरण को भुगतान भी किया था, तब उन्होंने अभियान ही नहीं चलाया था।

शहर में बढ़ रहे हैं कुत्तों के हमले
पिछले कुछ दिनों में कुत्तों के काटने के कई मामले सामने आए हैं। आवारा कुत्तों के हमले महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर बढ़ रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर विकास समिति के अध्यक्ष रश्मि पांडे ने कहा, "शहर में वरिष्ठ नागरिक और बच्चे अपने घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं। ग्रेटर नोएडा में सोसायटी और अपार्टमेंट परिसरों के भीतर रहने वाले कुत्ते की नसबंदी के लिए 250 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। सड़कों पर रहने वाले कुत्तों के लिए प्राधिकरण लागत वहन करता है। कुत्तों के हमले बढ़ने से आवारा कुत्तों के खिलाफ क्रूरता के मामलों भी बढ़ रहे हैं।"

शहर में कुत्तों पर भी हम लोग की संख्या बढ़ी
कावेरी राणा भारद्वाज कहती हैं, "हमने लगभग एक दर्जन आवारा कुत्तों को मरने से बचाया है, जिन्हें पिछले कुछ महीनों में बेरहमी से पीटा गया था।" आवारा कुत्तों से जुड़ी गतिविधियां संचालित करने के लिए जिम्मेदार प्राधिकरण की समिति के सदस्य यश भारद्वाज ने चले दिनों इस्तीफा दे दिया। वह कहते हैं कि उनकी सिफारिशें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अनसुनी कर दी गई थीं। उन्होंने कहा, "हम नसबंदी अभियान को फिर से शुरू करने के लिए प्राधिकरण पर दबाव बना रहे थे, लेकिन इससे कोई फायदा नहीं हुआ। अब पशु क्रूरता और कुत्ते के काटने की घटनाएं फिर से बढ़ रही हैं।"

नसबंदी केंद्र में जलभराव से परेशानी हुई
ग्रेटर नोएडा में पशु कल्याण संगठन की स्थापना करने वाले यश राज भारद्वाज ने कहा, "जिन क्षेत्रों में नसबंदी का स्तर 80% तक पहुंच गया था, अब वहां फिर से कुत्तों की आबादी तेजी से बढ़ गई है।" बेटा विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि यह देरी डॉग यूनिट में नवीनीकरण के कारण हुई। "डॉग यूनिट एक ग्रीन बेल्ट में है, बारिश के मौसम में वहां जलभराव हो गया इसलिए हम वहां टाइलें लगा रहे हैं। दो सप्ताह पहले काम शुरू हुआ है। क्योंकि मानसून के दौरान इसे शुरू नहीं किया जा सकता था।" प्राधिकरण के एक अधिकारी ने कहा, "दिसंबर के पहले सप्ताह से नसबंदी अभियान फिर से शुरू होगा।"

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.