प्रसव पीड़ा से सड़क पर तड़प रही थी महिला, चुटकियों में डिलीवरी करके बचाई जच्चा-बच्चा की जान

ग्रेटर नोएडा में शारदा अस्पताल की नर्स बनी देवदूत : प्रसव पीड़ा से सड़क पर तड़प रही थी महिला, चुटकियों में डिलीवरी करके बचाई जच्चा-बच्चा की जान

प्रसव पीड़ा से सड़क पर तड़प रही थी महिला, चुटकियों में डिलीवरी करके बचाई जच्चा-बच्चा की जान

Tricity Today | नर्स बनी देवदूत

Greater Noida News : कहा जाता है कि ईश्वर के बाद अगर किसी व्यक्ति को जिंदगी देता है तो वह डॉक्टर है। इसीलिए इनको धरती का भगवान भी कहा जाता है। डॉक्टरी पेशे में कई बार ऐसे पल आते हैं, जब जीवन की उम्मीद लोग छोड़ देते हैं। उस वक्त डॉक्टर मौत को मात देकर जिंदगी बचा लेता है। डॉक्टर के यही प्रयास लोगों की जिंदगी में नया सवेरा लाते हैं। ऐसे ही ग्रेटर नोएडा की शारदा अस्पताल में काम करने वाली दो नर्स एक मां और उसके बच्चे के लिए भगवान का रूप बनकर आई। परीचौक पर प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला की डिलीवरी करवाकर बच्चे और मां दोनों की जान बचाई है। शारदा अस्पताल के डायरेक्टर ने इस मानवीय कार्य के लिए दोनों नर्स को 5100-5100 रुपये का पुरस्कार देने का ऐलान किया है। वहीं, अस्पताल में महिला और बच्चे का निशुल्क इलाज किया जाएगा।

क्या है पूरा मामला
शारदा अस्पताल की नर्स रेनू ने बताया, "मैं कासना से ड्यूटी पर जा रही थी। जैसे ही परीचौक पर ऑटो से उतरी तो एक महिला रोशनी सड़क पर लेटी हुई है। उनके पति प्रशांत लोगों से मदद की गुहार लगा रहे थे। मैं जैसे ही वहां पहुंची तो महिला प्रसव पीड़ा से तड़प रही है। मैंने अपनी साथी नर्स ज्योति को फोन किया वो भी ड्यूटी के लिए जा रही थी वो भी जल्द आ गई। हमने लोगों से कहा हम शारदा अस्पताल में नर्स है। पहले महिला को अपने शॉल से एक महिला की सहायता से कवर किया, उसके बाद हम दोनों ने महिला की नॉर्मल डिलीवरी करवा दी। उसके बाद बच्चे को अपने जैकेट में लपेटा ऑटो बुक करके अस्पताल जाने लगे। ऑटो में महिला को झटके से तकलीफ होने लगी पर हम उसे जगाते हुए अस्पताल में भर्ती करवाया।"

देवदूत बनी ज्योति और रेनू
शारदा अस्पताल की वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.रुचि श्रीवास्तव ने बताया,  "हमारी नर्सों ने डिलीवरी के बाद अस्पताल में फोन कर दिया। उसके बाद जैसे ही वो महिला और बच्चे को लेकर आए तो तुरंत हमने इलाज शुरू कर दिया। बच्चे का वजन करीब 2.50 किलो है। महिला का यह दूसरा बच्चा है, अब दोनों स्वस्थ है। इनका इलाज कासना स्थित एक अस्पताल में चल रहा था, लेकिन उन्होंने सिजेरियन बच्चे होने की बात कही। वहां से अपने घर लुक्सर चली गई। सुबह उनको लेबर पेन शुरू हुआ। जैसे ही परीचौक पहुंची, वहां सड़क पर गिर गई। हमारी नर्सो ने जो काम किया है इसको लेकर सभी को उन पर गर्व है।"

महिला बोली- एहसान नहीं उतार सकती हूं
शारदा अस्पताल में एडमिट महिला रोशनी ने कहा, "दोनों नर्स मेरे लिए देवी के रूप में आई मुझे और मेरे बच्चे की जान बचाकर मुझपर एहसान किया है, जो मैं बातों बयां नही कर सकती।" पति प्रशांत ने कहा, "मैं वहां सबसे मदद मांगता रहा लेकिन कोई आगे नहीं आया। नर्स रेनू और ज्योति ने जो किया है, इसका अहसान मैं कभी नही उतार सकता हूं।"

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