ऑनलाइन क्लास बन रही बड़ी बाधा, गौतमबुद्ध नगर के 30 फीसदी छात्र हुए प्रभावित, पढ़ें खास खबर

बड़ी खबर: ऑनलाइन क्लास बन रही बड़ी बाधा, गौतमबुद्ध नगर के 30 फीसदी छात्र हुए प्रभावित, पढ़ें खास खबर

ऑनलाइन क्लास बन रही बड़ी बाधा, गौतमबुद्ध नगर के 30 फीसदी छात्र हुए प्रभावित, पढ़ें खास खबर

Google Image | ऑनलाइन क्लास बन रही बड़ी बाधा

Gautam Buddh Nagar: कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी की वजह से जब स्कूलों की ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की गई थीं, तब यह माना गया था कि धीरे-धीरे यह भारतीय शैक्षणिक व्यवस्था का हिस्सा बन जाएगा। लेकिन उत्तर प्रदेश के सबसे हाईटेक जिले और आर्थिक राजधानी गौतमबुद्ध नगर के आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन शिक्षण पद्धति भारतीय परिवेश में पूरी तरह सफल नहीं है। क्योंकि जब गौतमबुद्ध नगर जैसे जिले में आंकड़े संबल न दें, तो 24 करोड़ आबादी वाले उत्तर प्रदेश के दूर-दराज के गांव में यह पद्धति कितनी सफल होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। 

हालांकि नोएडा में भी इससे जुड़ा कोई आधिकारिक सर्वे नहीं किया गया है। लेकिन अफसरों के अनुमान, पैरेंट्स एसोसिएशन और स्कूलों से मिले फीडबैक के आधार पर रिपोर्ट चौंकाने वाली है। गौतम बुध नगर में करीब 1646 सरकारी और प्राइवेट स्कूल हैं। अनुमान के मुताबिक इनमें पढ़ने वाले करीब 30% बच्चों की पढ़ाई कोरोना वायरस महामारी के दौरान मोबाइल, इंटरनेट, लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि की कमी के चलते बाधित हुई। जबकि कोविड काल के दौरान जनपद में 5-10 प्रतिशत छात्रों को आर्थिक और पारिवारिक वजहों के चलते प्राइवेट स्कूलों से निकलकर सरकारी स्कूलों में दाखिला कराना पड़ा है। ये सभी निजी स्कूलों की मोटी फीस चुकाने में असमर्थ थे। 

30 फीसदी बच्चे प्रभावित हुए
जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) धर्मवीर सिंह के अनुसार, हाल में काफी संख्या में छात्रों ने निजी स्कूलों से सरकारी विद्यालयों में नामांकन कराया है। उन्होंने कहा कि इसकी मुख्य वजह कोविड संक्रमण है। कम पारिवारिक आय या ज्यादा फीस भी अहम वजह हैं। इनके चलते 5-10% निजी स्कूलों में पढ़ाई कर रहे बच्चे सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित हो गए। उन्होंने आगे कहा, लगभग 30% बच्चों की शिक्षा ऑनलाइन कक्षाओं के लिए जरूरी गैजेट्स की कमी के चलते प्रभावित हुई। इनमें से ज्यादातर बच्चे अर्ध-ग्रामीण और ग्रामीण क्षेत्रों के निम्न-मध्यम और निम्न-आय वाले परिवारों के हैं। हालांकि स्कूलों से ड्रॉपआउट होने वाले बच्चों की संख्या कम है। 

छूटा हुआ सिलेबस पूरा कराएंगे
डीआईओएस ने कहा, प्रवासी परिवारों के कई बच्चे जो महामारी के दौरान जिले से चले गए थे, धीरे-धीरे वापस लौट रहे हैं। ये फिर से स्कूलों में आने लगे हैं। उन्होंने बताया कि अब जब स्कूल फिर से खुल रहे हैं, इन बच्चों की छूटी हुई कक्षाओं की पूर्ति के लिए पहल की जा रही है। हम उम्मीद करते हैं कि बच्चे इससे लाभान्वित होंगे। अधिकारी ने बताया कि महामारी के दौरान शिक्षण-सह-अध्ययन का एक बहुमुखी मॉडल पेश किया गया था। इसके कुछ समय तक जारी रहने की संभावना थी। इस पर गौतमबुद्ध नगर पैरेंट्स वेलफेयर सोसाइटी (जीपीडब्ल्यूएस) के संस्थापक मनोज कटारिया ने कहा, कोरोना के कारण सरकारी स्कूलों में काफी संख्या में छात्रों के माता-पिता अपने मूल स्थान पर चले गए। इस वजह से उन बच्चों को पढ़ाई छोड़नी पड़ी। जबकि ऑनलाइन क्लास के लिए उनके पास पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। 

40 फीसदी अभिभावकों ने मना किया
हालांकि ज्यादातर बड़े स्कूलों की मोटी फीस चुकाने वाले अभिभावकों ने भी अपने बच्चों को कम बजट के विद्यालयों में भेजना शुरू कर दिया है। कटारिया के मुताबिक पलायन का मुख्य कारण आर्थिक तंगी और फीस देने में असमर्थता थी। उन्होंने बताया कि, हमने हाल ही में यह समझने के लिए एक गूगल सर्वे किया था कि वर्तमान स्थिति में कितने माता-पिता ने स्कूलों को फिर से खोलने के लिए सहमति व्यक्त की है। सर्वे के मुताबिक लगभग 30%-40% निजी स्कूल बंद हैं। ये सभी छात्रों के आने की राह देख रहे हैं। गौतमबुद्ध नगर के जिला प्रोबेशन अधिकारी अतुल सोनी ने कहा, गौतमबुद्ध नगर में महामारी के कारण अनाथ हुए सात बच्चों में से छह स्कूल जाने वाले थे। डीआईओएस धर्मवीर सिंह ने कहा कि अधिकारियों ने स्कूलों के सहयोग से अनाथ बच्चों के लिए 100% फीस माफी की व्यवस्था की है। यह खुशी की बात है कि एक भी स्कूल ने इस कदम का विरोध नहीं किया।

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