Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में स्थित प्रेसिडेंसी इंफ्राहाइट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ निवासियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। निवासियों ने जिला मजिस्ट्रेट गौतमबुद्ध नगर को लिखे पत्र में बिल्डर पर बुनियादी सुविधाओं की कमी, अधिक शुल्क वसूलने और निर्माण की अधूरी स्थिति में फ्लैट्स का हैंडओवर देने का आरोप लगाया है। यह शिकायत यमुना एक्सप्रेसवे के सेक्टर-25 स्थित जेपी स्पोर्ट्स सिटी के तीन टॉवर (टी1, टी2 और टी7) के फ्लैट मालिकों द्वारा की गई है।
बिजली और पानी समेत काफी समस्या बनी हुई, कैसे होगा समाधान?
शिकायतकर्ताओं ने दावा किया है कि बिना बिजली, पानी और स्वच्छता जैसी आवश्यक सुविधाओं के बिल्डर ने उन्हें फ्लैट्स का हैंडओवर कर दिया है। इसके बावजूद इन बुनियादी सुविधाओं के बिना प्राधिकरण द्वारा कैसे ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (OC) जारी किया गया, इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
बिजली और पानी के भारी शुल्क वसूलने का आरोप
निवासियों ने आरोप लगाया है कि बिल्डर उन्हें वाणिज्यिक दरों पर बिजली और पानी उपलब्ध करवा रहा है। जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों से कई गुना अधिक है। निवासियों को लगभग 19 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली के बिल दिए जा रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा यह दर आवासीय इकाइयों के लिए बहुत कम है। शिकायत में यह भी बताया गया कि फ्लैट्स का रखरखाव करने वाली कंपनी मैक्ससर्व फैसिलिटीज मैनेजमेंट एलएलपी बिना उचित दस्तावेज और ब्रेकडाउन के अनियंत्रित बिलिंग कर रही है। जिससे निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
लोगों में पैदा हो रहा भारी आक्रोश
शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि टॉवरों का निर्माण कार्य अभी भी चल रहा है। जिससे निवासियों को असुविधा हो रही है। श्रमिक लिफ्ट और अन्य सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं। जबकि फ्लैट्स में अब भी निर्माण कार्य जारी है। इसके अलावा जल की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर सवाल उठाए गए हैं। जिसमें पानी दूषित और अस्वच्छ बताया गया है जो पीने और अन्य आवश्यक उपयोगों के लिए अनुपयुक्त है। साथ ही पानी ठहराव से मच्छरों के प्रजनन का खतरा पैदा हो गया है। जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
निवासियों की संपत्ति पर बिल्डर ने किया कब्जा
निवासियों ने आरोप लगाया कि बिल्डर द्वारा हैंडओवर में देरी की गई और इसके बावजूद कब्जे के दिन से ही रखरखाव शुल्क वसूलना शुरू कर दिया गया। जबकि कई निवासियों को फ्लैट्स की चाबी भी नहीं दी गई थीं। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि बिल्डर ने ग्राहकों से पहले ही कागजात पर हस्ताक्षर करवाए, जिससे निवासियों को कानूनी जाल में फंसने का खतरा बढ़ गया। निवासियों ने जिला मजिस्ट्रेट से शिकायत करके मदद की मांग की है।