Greater Noida Desk : भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 200 और 500 रुपये के नोटों को लेकर एक अहम कदम उठाते हुए अप्रैल से सितंबर 2024 के बीच बाजार से बड़ी संख्या में नोटों को वापस लिया है। जारी आंकड़ों के अनुसार 200 रुपये के 137 करोड़ और 500 रुपये के 459 करोड़ नोट बाजार से हटाए गए हैं। आरबीआई का कहना है कि ये नोट गंदे, खराब या फटे-पुराने हो गए थे। जिनकी हालत में सुधार नहीं किया जा सकता था।
क्यों हटाए गए नोट?
आरबीआई हर साल अपने नियमित समीक्षा कार्यक्रम के तहत सभी मूल्यवर्ग के नोटों की स्थिति का आकलन करता है। इस दौरान गंदे, फटे या लिखावट वाले नोटों को बाजार से हटाने का फैसला लिया जाता है। पिछली बार के मुकाबले इस वर्ष वापस लिए गए नोटों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। विशेष रूप से 200 रुपये के नोटों की वापसी में 110 फीसदी और 500 रुपये के नोटों में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।
पिछले साल की तुलना में नोटों की खराबी में वृद्धि
पिछले वित्तीय वर्ष में पूरे साल में 200 रुपये के 135 करोड़ नोटों को हटाया गया था। जबकि इस वर्ष केवल छह महीनों में ही 137 करोड़ नोट बाजार से वापस ले लिए गए। इसी तरह 500 रुपये के 633 करोड़ नोट पिछले साल हटाए गए थे। जबकि इस साल छह महीनों में ही 459 करोड़ नोटों को हटाना पड़ा है। इस वृद्धि के पीछे गंदगी, कटाव और अन्य खराबी का बड़ा कारण बताया जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि नोटों के तेज गति से खराब होने के कारणों की जांच की जा रही है।
अन्य मूल्यवर्ग के नोटों की भी बड़ी संख्या में वापसी
आरबीआई ने अन्य मूल्यवर्ग के नोटों को भी बाजार से वापस लिया है। जारी आंकड़ों के अनुसार, 5 रुपये के 2.15 करोड़, 10 रुपये के 115 करोड़, 20 रुपये के 85.68 करोड़, 50 रुपये के 108 करोड़ और 100 रुपये के 321 करोड़ नोट वापस लेने पड़े हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि 200 रुपये के नोटों की खराबी में अचानक हुई वृद्धि के पीछे संभावित कारणों की खोज की जा रही है।