Tricity Today | राजा राव उमराव सिंह पर डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बना रहे हैं पंकज पाराशर
Noida News : देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम में सपरिवार प्राणों की आहुति देने वाले दादरी के राजा राव उमराव सिंह पर वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाराशर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रहे हैं। यह फिल्म स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रिलीज होगी। गुर्जर राजा राव उमराव सिंह ने गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर के इलाकों में ग़दर का नेतृत्व किया था। बाद में उन्हें, उनके परिवार के कई सदस्यों और सहयोगियों को ब्रिटिश हुकूमत ने दिल्ली, गाजियाबाद और बुलंदशहर के काला आम चौराहे पर फांसी दी थीं।
देश की आजादी के 'Unsung' हीरो हैं राव उमराव सिंह
पंकज पाराशर ने कहा, "राव उमराव सिंह और उनके सहयोगियों का बलिदान बहुत बड़ा है। दिल्ली के नजदीक और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस महत्वपूर्ण हिस्से में उन्होंने पहली क्रांति का नेतृत्व किया था। सबसे बड़ी बात यह है कि उनके नेतृत्व में हिंदू-मुस्लिम और तमाम जातियों के योद्धा एक झंडे के नीचे आए थे।" उन्होंने आगे कहा, "देश की आजादी का 75वां वर्ष है। इसे "आजादी का अमृत महोत्सव" के रूप में आयोजित किया जा रहा है। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और तमाम सामाजिक संगठन ऐसे ही योद्धाओं की कहानियों को सामने लेकर आ रहे हैं। इसी सिलसिले में राव उमराव सिंह के जीवन और कार्यों को इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म के जरिए सबके सामने पेश करने की कोशिश है।"
कौन हैं राव उमराव सिंह
राव उमराव सिंह दादरी के जागीरदार और राजा थे। जब 1857 में मेरठ से क्रांति की शुरुआत हुई तो गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर के क्षेत्रों में राव उमराव सिंह ने क्रांतिवीरों का नेतृत्व किया था। राव उमराव सिंह का जन्म दादरी के पास कटेहडा गांव में राव किशन सिंह भाटी के पुत्र के रूप मे हुआ था। अपने चाचा राव रोशन सिंह भाटी और चचेरे भाई राव बिशन सिंह भाटी के साथ अंग्रेज पलटन से गाजियाबाद में हिंडन नदी के किनारे युद्ध लड़ा था। मेरठ से दिल्ली जा रही अंग्रेज सेना को इन लोगों ने दो दिनों तक रोक कर रखा था। सितंबर 1857 में राव उमराव सिंह और 46 अन्य लोगों की दिल्ली, गाजियाबाद और बुलंदशहर में अंग्रेजों ने हत्याएं की थीं।
पंकज पाराशर ने बना चुके 'द ब्रदरहुड' और 'क्रश्ड ड्रीम्स' डॉक्यूमेंट्री
पंकज पाराशर वरिष्ठ पत्रकार हैं। देश के अग्रणी अखबारों दैनिक जागरण, अमर उजाला और हिन्दुस्तान में करीब दो दशक तक काम किया है। गौतमबुद्ध नगर में डेढ़ दशक से कार्यरत हैं। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की समस्याओं पर "क्रश्ड ड्रीम्स" नाम की डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई थी। जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया था। इसके बाद दादरी के बिसाहड़ा गांव में अखलाक हत्याकांड पर आधारित डॉक्यूमेंट्री फिल्म "द ब्रदरहुड" का निर्माण किया था। जिसमें इस क्षेत्र के सांप्रदायिक भाईचारे और सौहार्द को पेश किया गया था।