इस बार गोल्ड मेडल पर नजर, जानिए मरने के ख्याल से विश्व रिकॉर्ड बनाने तक का रोमांचक सफर

ग्रेटर नोएडा का सूरज पेरिस पैरालंपिक में बिखेरेगा रोशनी : इस बार गोल्ड मेडल पर नजर, जानिए मरने के ख्याल से विश्व रिकॉर्ड बनाने तक का रोमांचक सफर

इस बार गोल्ड मेडल पर नजर, जानिए मरने के ख्याल से विश्व रिकॉर्ड बनाने तक का रोमांचक सफर

Tricity Today | सुंदर सिंह गुर्जर

Greater Noida News : पेरिस पैरालंपिक खेलों की शुरुआत में एक ही दिन बाकी है। इस बार भारत के 84 पैरा एथलीट 25 पदकों का लक्ष्य लेकर पेरिस पहुंच चुके हैं। आज ऐसे खिलाड़ी की बात करेंगे, जिसने टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में पुरुषों की भाला F46 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता और तीन स्पर्धाओं में तीन स्वर्ण पदक जीतकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।

सुंदर सिंह गुर्जर ने हादसे में हाथ गंवाया
सुंदर सिंह गुर्जर का जन्म 1 जनवरी 1996 को करौली, राजस्थान में  हुआ था। जब वे छोटे थे तो पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था। इसके चलते वे स्कूल से भाग जाया करते थे। वे 10वीं कक्षा में फेल हो गए थे. तब उनके एक अध्यापक ने सुंदर से खेलों में जाने को कहा था। सेलेक्शन ट्रायल में सफल होने के बाद सुंदर गुर्जर जयपुर चले गए। यहां वे स्पोर्ट्स हॉस्टल में रहने लगे। 2012 में सुंदर सिंह गुर्जर ने सबसे पहले जैवलिन स्पर्धाओं में हिस्सा लेना शुरू किया। वे नेशनल जूनियर लेवल पर खेले थे,लेकिन तीन साल बाद 2015 में उनके साथ एक हादसा हो गया। इस 25 वर्षीय एथलीट ने 2015 में एक दुर्घटना में अपना बायां हाथ गंवा दिया था।

चोट के बाद आए आत्महत्या के विचार
2012 में सुंदर सिंह गुर्जर ने सबसे पहले जैवलिन स्पर्धाओं में हिस्सा लेना शुरू किया। वे नेशनल जूनियर लेवल पर खेले थे। लेकिन तीन साल बाद 2015 में उनके साथ एक हादसा हो गया। अपने एक दोस्त के घर पर काम करने के दौरान वे टिन की चद्दर पर गिर गए। इससे उनका बाएं हाथ की हथेली कट गई। इस हादसे ने उन्हें बुरी तरह तोड़ दिया. उन्होंने एकबारगी तो जैवलिन छोड़ने की तैयारी कर ली थी। साथ ही उनके मन में सुसाइड करने का ख्याल भी आया था, लेकिन फिर उन्हें पैरा एथलेटिक्स का पता चला। इसके बाद उन्होंने खुद को इसमें पूरी तरह से झोंक दिया। महावीर सैनी की कोचिंग में रहते हुए उन्होंने अपने खेल को निखारा और हौसला देकर सब लोगों को जिंदगी में कठिनाईओं और मुश्किलों के बावजूद आगे बढ़ने की सीख दी।

वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा फिर भी नहीं मिला सोना
इस बीच साल 2020 में कोरोना वायरस के आने से उनकी तैयारियों पर असर पड़ा। इस बुरे समय में भी उन्होंने सरकारी हॉस्टल में रहकर तैयारियों में सुधार किया। उन्होंने इस बारे में पैरालंपिक की वेबसाइट से कहा था, अब मैं 68 मीटर से ऊपर थ्रो फेंक सकता हूं। इससे मुझे टोक्यो खेलों से पहले काफी आत्मविश्वास मिला क्योंकि 63.97 मीटर तो वर्ल्ड रिकॉर्ड है। सुंदर ने टोक्यो में वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ा लेकिन श्रीलंका के दिनेश प्रियान हेराथ ने 67.79 मीटर दूर भाला फेंका और नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उन्हें गोल्ड मेडल मिला। भारत के देवेंद्र झाझरिया ने 64.35 मीटर भाला फेंककर सिल्वर मेडल हासिल किया।

कई जगह लहराया भारत का तिरंगा
2016 में सुंदर सिंह गुर्जर ने दुबई में 8वें फॉजा आईपीसी एथलेटिक्स ग्रैंड प्रिक्स में 59.36 मीटर के प्रदर्शन के साथ 2016 रियो पैरालिंपिक के लिए 'ए' योग्यता अंक दर्ज किया। उन्होंने पंचकूला में 16वीं पैरा एथलेटिक्स राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के दौरान 68.42 मीटर के साथ राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। 9वीं फॉजा आईपीसी एथलेटिक्स ग्रां प्री में सुंदर सिंह गुर्जर ने महावीर प्रसाद सैनी की कोचिंग में 3 स्पर्धाओं- भाला फेंक, शॉट पुट और डिस्कस थ्रो में 3 स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने एशियाई पैरा गेम्स 2018 में भाला फेंक में रजत पदक और डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीता। एक भारतीय पैरालंपिक भाला फेंक खिलाड़ी, शॉट पुटर और डिस्कस थ्रोअर हैं जो F46 स्पर्धाओं में प्रतिस्पर्धा करते हैं। उन्होंने टोक्यो 2020 पैरालिंपिक में पुरुषों की भाला F46 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। उन्होंने पंचकूला में 16वीं पैरा एथलेटिक्स राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीन स्पर्धाओं में तीन स्वर्ण पदक जीतकर विश्व रिकॉर्ड बनाया। वह पैरा-एथलेटिक्स के लिए अर्जुन पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। 28 साल की उम्र में ही इन्होंने देश का परचम सबसे ऊपर लहराया है।

पैरा एथलीट में क्या होती F46 स्पर्धा
F46 विकलांगता एथलेटिक्स के लिए विकलांगता खेल वर्गीकरण है। इस वर्ग के लोगों को कोहनी के नीचे या ऊपर अपंगता होती है। विच्छेदित खेल समकक्ष वर्ग ISOD A6 और A8 वर्ग है। इस वर्ग के लोगों को अपने शेष ऊपरी अंग के अधिक उपयोग पर चोट लग सकती है। इस वर्ग में शामिल होने के लिए वर्गीकरण प्रक्रिया के चार भाग हैं। एक चिकित्सा परीक्षा, प्रशिक्षण के दौरान निरीक्षण, प्रतियोगिता के दौरान निरीक्षण और फिर इस वर्ग में वर्गीकृत किया जाना।
 

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