ट्राईसिटी टुडे के ट्वीटर स्पेश 'मैं फ्लैट खरीदार बोल रहा हूं' में लोगों ने खुलकर बात रखी

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में फ्लैट बायर्स के लिए बनेगी ग्रीवेंस सेल : ट्राईसिटी टुडे के ट्वीटर स्पेश 'मैं फ्लैट खरीदार बोल रहा हूं' में लोगों ने खुलकर बात रखी

ट्राईसिटी टुडे के ट्वीटर स्पेश 'मैं फ्लैट खरीदार बोल रहा हूं' में लोगों ने खुलकर बात रखी

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Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर के फ्लैट खरीदारों की समस्याओं पर बात करने के लिए आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल ट्राईसिटी टुडे ने ट्वीटर स्पेश 'मैं फ्लैट खरीदार बोल रहा हूं' का आयोजन किया। जिसमें करीब 250 फ्लैट खरीदार शामिल हुए। लोगों ने खुलकर बात रखी। जेवर के विधायक ठाकुर धीरेन्द्र सिंह, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के विशेष कार्याधिकारी सौम्य श्रीवास्तव और नोएडा के विशेष कार्याधिकारी प्रसून द्विवेदी ने समस्याएं सुनीं। विधायक धीरेन्द्र सिंह ने फ्लैट खरीदारों के लिए डेडिकेटेड ग्रीवेंस सेल बनाने का सुझाव दिया। जिसे ओएसडी सौम्य श्रीवास्तव ने स्वीकार कर लिया। इस सेल में सभी जिम्मेदार विभागों के कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा।

बिल्डरों पर नजर रखेगा इंफोर्समेंट ग्रुप
फ्लैट खरीदारों ने शिकायत की। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बिल्डरों के खिलाफ आने वाले शिकायतों पर सुनवाई नहीं करता है। जानकारी मांगने पर नहीं दी जाती हैं। बिल्डर मनमानी कर रहे हैं। प्रोजेक्ट के नक्शों में हेरफेरी करके अतिरिक्त निर्माण कर रहे हैं। ओएसडी सौम्य श्रीवास्तव ने आश्वासन दिया कि इन मामलों को देखने लिए एक इंफोर्समेंट ग्रुप भी बनाया जाएगा। यह ग्रुप बिल्डरों की गंभीर शिकायतों पर संज्ञान लेगा।

किसने क्या कहा
फ्लैट्स की बिक्री पर ट्रांसफर चार्जेज बैन होने चाहिए। इसी वजह से बिल्डर जानबूझकर रजिस्ट्रेशन शरू करने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। अपनी मनमर्जी से ट्रांसफर चार्ज ले रहे हैं। अथॉरिटी को इस रोक लगानी चाहिए। इसी तरह बिजली आपूर्ति के नाम पर गैरकानूनी बिलों की वसूली है। प्री-पेड मीटर से मेंटिनेंस चार्ज काटने पर रोक है लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
नरेश नौटियाल
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समस्याओं को सामान्य रूप से ना देखें। प्रोजेक्ट्स का श्रेणीकरण किया जाए। एक श्रेणी में वह बिल्डर हैं, जो प्रोजेक्ट बना नहीं पाएगा। उसकी आर्थिक दशा वाकई खराब है। दूसरी श्रेणी में ऐसे बिल्डर हैं, जो पैसा ट्रांसफर करके बैठे हैं। उन पर दबाव पड़ेगा तो काम पूरा करेंगे। तीसरी श्रेणी में ऐसे बिल्डर हैं, जो छोटा-मोटा काम अधूरा छोड़कर बैठे हैं। वह मेंटेनेंस और बिजली के नाम पर मोटी कमाई कर रहे हैं। अपनी ही कंपनियों को ऊंची दरों पर ठेके दे रखे हैं। अजनारा होम्स से जुड़ा 44 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। सोसायटी के निवासियों का पैसा हड़पकर बिल्डर एनसीएलटी में चला गया है।
दीपांकर पांडेय 
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एनसीडीआरी, सुप्रीम कोर्ट और रेरा के आदेशों का पालन बिल्डर नहीं करता है और अथॉरिटी पालन करवा नहीं पाती है। एक नजीर है कि जब तक बिल्डर ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं ले लेता, तब तक मेंटेनेंस चार्जेज नहीं लेगा। ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में तमाम बिल्डरों ने अब तक सीसी-ओसी नहीं लिए हैं। प्रोजेक्ट अधूरे पड़े हैं। लोग खतरा उठाकर रह रहे हैं। फिर भी बिल्डर मोटी रकम मेंटिनेंस चार्ज के नाम पर हर महीने वसूल कर रहे हैं।
सुबोध कुमार सिंह
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बिल्डर कंपनियों के निदेशक बोर्ड छोड़कर भाग रहे हैं। जब प्रोजेक्ट लॉन्च हुए थे तो तीन-चार निदेशक कंपनियों में थे। बड़ी संख्या में लोग अधूरे प्रोजेक्ट्स में रह रहे हैं। यह खतरनाक स्थिति है। बैंकों ने सारे जोखिमों को ध्यान में रखकर कर्ज नहीं दिए। आखिर सारे नुकसान फ्लैट खरीदार ही उठाएंगे। कंपनियों और अथॉरिटी की कोई जिम्मेदारी या जवाबदेही नहीं है।
रश्मि पांडेय 
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रेरा सही ढंग से काम क्यों नहीं कर पाया? लगातार कंस्ट्रक्शन क्यों चल रहा है? दिवालिया बिल्डर भी फ्लैट बुकिंग कर रहे हैं। जब प्रोजेक्ट फंसे हैं तो घरों की बुकिंग पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही है? कोई सर्विलांस क्यों नहीं है? अथॉरिटी के पुराने अफसर बर्बाद करके चले गए और उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया है।
हिमांशु सारस्वत
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इस बर्बादी के लिए प्राधिकरण जिम्मेदार है। हम लोग घर लेकर फंस गए हैं। एक तरफ बैंकों को कर्ज चुका रहे हैं और दूसरी तरफ किराए के घरों में रहने के लिए मजबूर हैं। इसके बावजूद प्राधिकरण और सरकार कहते हैं कि चीजें सुधर रही हैं। आखिर कब तक इन्तजार किया जाए? लोग घर बुक करके मर गए। रिटायर हो चुके लोग अपने घर में नहीं पाए।
जीएन सिंह राठौर
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हमारी सोसायटी महागुन माइवुडस का बिल्डर हमेशा बिजली और पानी का बिल देरी से भरता है। उस पर पेनल्टी देता है और हमसे वसूलता है। हम तो उसे टाइम से पहले पैसा चुका रहे हैं। उससे पानी की पुरानी बकाया वसूली प्राधिकरण नहीं कर रहा है। इन कमियों का असर फ्लैट बायर पर आ रहा है। इस महीने सवा करोड़ रुपये का बिल है, जो बिल्डर 13 मई को भरेगा। जब उसे कनेक्शन काटने का डर लगता है तब एनपीसीएल को बिजली का बिल देगा। उससे कोई सवाल नहीं करता है कि वह लगातार डिफॉलटर क्यों हो जाता है?
अनिल वर्मा
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बिल्डर का पैसा कहां गया? सारा पैसा बिल्डर के पास है। पैसा डूबने की बातें अफवाह हैं। बिल्डरों ने अथॉरिटी को केवल 10 प्रतिशत पैसा दिया है। प्रोजेक्ट पूरे नहीं किए हैं। फ्लैट बायर से सारा पैसा ले लिया है। पैसा नहीं होने का झूठ फैलाया जा रहा है। अथॉरिटी के अफसरों ने कैसे सीसी-ओसी दिए हैं। इनकी भी जांच होनी चाहिए। सबसे बड़े जिम्मेदार अफसर हैं।
करुणाकर बिस्वाल
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हम हर महीने 15 हजार रुपये अतिरिक्त दे रहे हैं। हम अथॉरिटी के पास जाते हैं, हमें अथॉरिटी से उम्मीद होती है। जब बिल्डर परेशान करता है तो प्राधिकरण से न्याय मांगते हैं। अगर हमें अथॉरिटी ना सुने तो कैसा लगता होगा? प्राधिकरण ने बिल्डर को टेंपरेरी ओसी दिया। बिल्डर ने टेंपरेरी ओसी के नाम पर बायर से पैसा ले लिया। आज भी सोसायटी रहने लायक नहीं है। टेंपरेरी ओसी क्या होता है? यह बेकार का डॉक्युमेंट है। दरअसल, ग्राउंड लेवल पर बहुत फेलियर हैं। जब कहीं सुनवाई नहीं होती तो सड़क पर खड़े होना पड़ता है।
विभूति चौरसिया
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मैं आम्रपाली में कार्यरत था। साल 2017 तक वहां 3,800 से ज्यादा कर्मचारी थे। उन्होंने हमें नौकरियों से निकालना शुरू कर दिया। हमें वेतन नहीं दिया गया। बड़ी संख्या में आपूर्तिकर्ताओं और ठेकेदारों के पैसे बकाया हैं। डीएम, विधायक, सांसद और अथॉरिटी ने हमारी बात नहीं सुनी। हमने सुप्रीम कोर्ट में भी मुकदमा किया है। बिल्डरों ने केवल होम बायर्स को तबाह नहीं किया है बल्कि हमारे जैसे भी हजारों लोगों को सड़कों पर छोड़ दिया है।
कपिल त्यागी
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प्राधिकरण का काम ठीक नहीं है। मुद्दों पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। खुद अथॉरिटी ध्यान नहीं रखती और कोई शिकायत करता है तो उस पर सुनवाई नहीं होती है। सुप्रीम कोर्ट का यह कहना कि नोएडा और ग्रेटर नोएडा के अफसर बिल्डरों के साथ भ्रष्टाचार में शामिल हैं, यह हमारे लिए बेहद निराशाजनक है। कितनी बुरी दशा में फ्लैट खरीदार हैं, कोई अंदाजा नहीं लगा सकता है। पूरी तरह लोगों बर्बाद करके छोड़ दिया है और न्याय की उम्मीद नहीं है।
एडवोकेट अंकुश महाजन
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बिल्डर अवैध रूप से नक्शे बदल रहा है। गलत ढंग से निर्माण कर रहा है। इस पर सुनवाई की जानी चाहिए। हमारी सोसायटी समृद्धि ग्रैंड एवेन्यू के लोगों ने कई बार अथॉरिटी से शिकायत की है। कोई सुनवाई नहीं की गयी। बिल्डरों को रोकने की जिम्मेदारी तो अथॉरिटी की है। हमें सुना क्यों नहीं जाता है? प्राधिकरण के दफ्तर में कोई सीधे मुंह बात नहीं करता है।
किशोर नेगी
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पिछले 6 वर्षों में अथॉरिटी ने तीन गुना काम किया है : सौम्य श्रीवास्तव

फ्लैट खरीदारों की बातें सुनने के बाद ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के विशेष कार्याधिकारी (बिल्डर्स मामले) सौम्य श्रीवास्तव ने कहा, "साल 2017 तक ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से संबंधित केवल 25 हजार रजिस्ट्री हुई थीं। 2017 से लेकर अब तक 76 हजार रजिस्ट्री हुई हैं। मतलब, जब से ग्रेटर नोएडा बना है तब से यह सरकार बनने तक जितना काम हुआ, उससे तीन गुना काम इस सरकार के कार्यकाल में हुआ है। ग्रेटर नोएडा के 57 हाऊसिंग प्रोजेक्ट ऐसे हैं, जिनमें काम बंद है। उनमें से 41 पूरे हैं और केवल 16 अधूरे हैं। अभी क्रियाशील हाऊसिंग प्रोजेक्ट 56 हैं। इनमें से 45 डिफॉलटर हैं और केवल 11 प्रोजेक्ट ठीक हैं। हमने 9 की लीज डीड ख़ारिज की हैं। लेकिन लीज डीड रद्द करने से फ्लैट खरीदारों को ही नुकसान होता है। अगर इस समस्या को सुलझाने के लिए कदम उठाने की बात करें तो चीफ सेक्रेटरी ने पिछले कुछ दिनों में तीन बैठक की हैं। जिसमें कई मुद्दों पर सहमति बनी है। अगर ट्रांसफर चार्जेज जैसे मुद्दे की बात करें तो बिल्डर केवल आधा फ़ीसदी ले सकता है। यह यूपी अपार्टमेंट एक्ट में व्यवस्था है। इससे जुडी शिकायतें मिलती हैं। उन पर काम किया जाता है। हम लगातार फ्लैट खरीदारों की परेशानियों पर काम कर रहे हैं। यह बात भी सही है कि अभी और काम करने की जरूरत है। आज इस ट्वीटर स्पेश पर सामने आए मुद्दों के तहत और विधायक जी के निर्देश के मुताबिक प्राधिकरण में एक ग्रीवेंस सेल बनाई जाएगी। जिसमें सभी जिम्मेदार विभागों के कर्मचारियों शामिल करेंगे। बिल्डरों के खिलाफ मिलने वाली गंभीर शिकायतों पर काम करने के लिए इन्फोर्समेन्ट ग्रुप बनाया जाएगा।

फ्लैट खरीदारों को परेशान और सड़क पर देखकर दर्द होता है : धीरेन्द्र सिंह
ट्राईसिटी टुडे के ट्वीटर स्पेश में जेवर से विधायक धीरेन्द्र सिंह ने फ्लैट खरीदारों की परेशानी सुनीं। उन्होंने कहा, "यह समस्या 2017 से पहले की हैं। उस वक्त अफसरों, बिल्डरों और नेताओं ने मिलकर गलत ढंग से भूमि आवंटन किया। बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार किया गया। मैं चाहता हूं कि अथॉरिटी फ्लैट खरीदारों के लिए अलग से एक ग्रीवेंस सेल बना दें। कर्मचारी फ्लैट खरीदारों की बात संजीदगी से सुनें। कोई जनप्रतिनिधि या प्राधिकरण नहीं चाहेगा कि समस्याएं लंबित रहें। हमें फ्लैट खरीदारों को परेशान और सड़क पर देखकर दर्द होता है। पिछले दिनों फ्लैट खरीदारों का समूह मुख्यमंत्री जी से मेरे साथ लखनऊ जाकर मिला था। उस वार्तालाप के दौरान बहुत सारे नए मुद्दे संज्ञान में आए थे। जिनकी हमें जानकारी भी नहीं थी। आज यहां ट्वीटर स्पेश के जरिए उठाए गए मुद्दों पर जल्दी फिर से लखनऊ में चर्चा करेंगे। हमारी सरकार तेजी से फ्लैट खरीदारों की समस्याओं का निदान करने के लिए काम रही है। मुख्यमंत्री जी से इसमें और तेजी लाने का निवेदन करेंगे।"

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