वैज्ञानिक अंदाज और औद्योगिक पैमाने पर बन रहा था ड्रग्स

ग्रेटर नोएडा में ड्रग्स फैक्ट्री देख पुलिस कमिश्नर हैरान : वैज्ञानिक अंदाज और औद्योगिक पैमाने पर बन रहा था ड्रग्स

वैज्ञानिक अंदाज और औद्योगिक पैमाने पर बन रहा था ड्रग्स

Tricity Today | पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह

Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने ग्रेटर नोएडा में अफ्रीकी मूल के नागरिकों द्वारा संचालित की जा रही ड्रग्स लैबोरेट्री पकड़ी है। करीब 200 करोड़ रुपए का फाइन क्वालिटी वाला एमडीएमए जब्त किया गया है। करीब 100 करोड़ रुपए कीमत का ड्रग्स बनाने लायक केमिकल बरामद हुए हैं। गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह इस लैबोरेट्री को देखने मौके पर पहुंची और हालात देखकर दंग रह गईं। लक्ष्मी सिंह ने बताया कि यहां ड्रग्स इंडस्ट्रियल स्केल पर बनाया जा रहा था और इसकी क्वालिटी बेहद ऊंची है। जिससे पता चलता है कि ड्रग्स बनाने वाले नागरिकों को किसी प्रोफेशनल ने ट्रेंड किया

साइंटिस्ट या केमिकल इंजीनियर की भूमिका संभव
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह का कहना है, "पकड़ा गया ड्रग्स अच्छी क्वालिटी का है। यह बिलकुल सफेद है। करीब 46 किलोग्राम सफेद एमडीएमए बरामद हुआ है। बड़ी मात्रा में ब्राउन एमडीएमए और रसायन जब्त किए गए हैं। बनाने का तरीका बिलकुल वैज्ञानिक है। मात्रा बहुत जयादा है। तमाम औद्योगिक उपकरण इस्तेमाल में लाए जा रहे थे। इनके पीछे कोई साइंटिस्ट या केमिकल इंजीनियर हो सकता है, लेकिन अभी कोई नाम सामने नहीं आया है। गिरफ्तार किए गए अफ्रीकी मूल के नागरिकों से पूछताछ की जा रही है।"

पुलिस कमिश्नर को खाना पड़ा एंटी एलेर्जिक
शहर के सेक्टर थीटा-2 में यह ड्रग्स फैक्ट्री पकड़ी गई है। ऑपरेशन सफल होने की बाद वहां खुद पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह पहुंची। लक्ष्मी सिंह प्रेस कॉन्फेंस में पहुंची तो उन्हें छींक आ रही थीं। उन्होंने बताया कि ड्रग्स के कारण एलर्जी हुई है। उन्हें एंटी एलर्जिक लेना पड़ा है। लक्ष्मी सिंह ने बताया, "ड्रग्स फैक्ट्री से सल्फ्यूरिक एसिड और हाइड्रोक्लोरिक एसिड जैसे कई रसायन मिले हैं। अफ्रीकी मूल के 9 नागरिक गिरफ्तार किए गए हैं। इन लोगों ने ग्रेटर नोएडा के सेक्टर थीटा-2 में ड्रग्स बनाने के लिए लैबोरेट्री और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए बेस बना रखा था। यहां एक फैक्ट्री सेट-अप बनाया था। ड्रग मैन्युफैक्चरिंग के बाद दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई कर रहे थे। इनके कब्जे से 46 किलोग्राम मैथाफीटामाइन या एमडीएमए ड्रग्स बरामद किया गया है। यह बेहद उच्च गुणवत्ता वाला ड्रग है और एकदम सफेद है। जिसकी बाजार में कीमत करीब 200 करोड़ रुपए है। सेंट्रल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुमान के मुताबिक यह कीमत आंकी गई है। इस लैबोरेट्री से भारी मात्रा में अधिक बना ड्रग और ड्रग्स बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले केमिकल बरामद किए गए हैं। इन केमिकल से 100 करोड़ रुपए का ड्रग्स बनाया जा सकता है। इस तरह ग्रेटर नोएडा में चल रही इस ड्रग्स फैक्ट्री से करीब 300 करोड़ रुपए का नशा बरामद किया गया है।"

अब पूरे ड्रग्स कार्टेल का पता लगाएगी पुलिस
पुलिस कमिश्नर ने कहा, "जिस हालात में यह लैबोरेट्री पकड़ी गई है, उसे देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां लंबे अरसे से ड्रग्स बनाया जा रहा था। यह ड्रग उत्तर भारत समेत देश के बाकी राज्यों और शहरों में कहां भेजा जा रहा था? यह पता लगाया जाएगा। दरअसल, इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स को केवल गौतमबुद्ध नगर या दिल्ली-एनसीआर में खपाना संभव नहीं है।" पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा, "यह भी संभावना हो सकती है कि यहां से इस ड्रग्स की सप्लाई विदेश की जा रही हो। इस पूरे ड्रग कार्टेल का पता लगाकर पर्दाफाश किया जाएगा।" पुलिस कमिश्नर ने आगे कहा, "गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने इस गैंग को पकड़ने के लिए धैर्य के साथ काम किया। काफी वक्त लगा और बहुत अंदर तक जाकर जांच-पड़ताल की। जिसका श्रेय ग्रेटर नोएडा के डीसीपी साद मियां खान और उनकी टीम को जाता है। बहुत शानदार ढंग से इस ड्रग रैकेट को पकड़ा है।"

क्रिप्टो करेंसी से हुआ लेनदेन
लक्ष्मी सिंह ने बताया, "अफ्रीकी मूल के नागरिकों के पास कोई बैंक खाता, एटीएम या फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट नहीं मिला है। इन लोगों से पूछताछ की जा रही है। शुरुआती पूछताछ में पता चला है कि पैसे का लेनदेन क्रिप्टोकरंसी के जरिए किया जा रहा था। यही वजह है कि इनके पास कोई बैंक खाता और एटीएम जैसे डॉक्यूमेंट नहीं मिले हैं। यह लोग किस तरह पैसा ले रहे थे और उस पैसे को कहां ट्रांसफर कर रहे थे? इन सारे पहलुओं की जांच की जा रही है। इनके फाइनेंसियल ट्रांजैक्शन और इंटरनेशनल कनेक्शन का पता लगाया जाएगा। हम इनकी बैकग्राउंड और फॉरवर्ड लिंकेज पता लगाने का काम कर रहे है।"

टेरर फंडिंग से इंकार नहीं : कमिश्नर
जब पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से ट्राईसिटी टुडे की ओर से पूछा गया कि इतनी बड़ी मात्रा में ड्रग्स मिलना विरल से विररलतम घटना है। क्या इस ड्रग्स रैकेट का लिंक टेरर फंडिंग से हो सकता है? इस पर लक्ष्मी सिंह ने कहा, "नारको और टेरर कनेक्शन सामान्य बात रही है। इस लिंकेज से इनकार नहीं किया जा सकता है। इन सारी संभावनाओं पर काम किया जा रहा है। हमने केंद्रीय एजेंसियों को इस बारे में जानकारी दे दी है। सेंट्रल नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और लखनऊ में एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) को पूरी सूचनाएं भेजी गई हैं। दोनों एजेंसी जांच में सहयोग करेंगी।" आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में पहली बार इतनी भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ा गया है। ट्राईसिटी टुडे के एक अन्य सवाल के जवाब में पुलिस आयुक्त ने कहा, "गिरफ्तार किए गए अफ्रीकी मूल के नागरिकों का आपराधिक इतिहास हो सकता है। उनके दूतावास को जानकारी भेजी गई है। इन विदेशी नागरिकों के आपराधिक इतिहास का पता लगाया जाएगा।

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