ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से फ्लैट खरीदकर फंस गए गरीब, घर का सपना पूरा करने के फेर में टूटी कमर

फ्लैट बायर्स ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से फ्लैट खरीदकर फंस गए गरीब, घर का सपना पूरा करने के फेर में टूटी कमर

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से फ्लैट खरीदकर फंस गए गरीब, घर का सपना पूरा करने के फेर में टूटी कमर

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की शहर के सेक्टर म्यू-2 में बीएचएस-16 आवासीय स्कीम के निवासियों ने अपनी समस्याओं से ऑथोरिटी को अवगत कराया है। निवासियों का कहना है, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की इस योजना में वर्ष 2013 में निम्न आय वर्ग के फ्लैट का आवंटन किया गया था। प्राधिकरण ने 5250 आवेदकों को 30 वर्ग मीटर के फ्लैट आवंटित किए थे। करीब चार साल के भीतर फ्लैट का कब्जा सितंबर 2017 में अथॉरिटी को देना था। इस परियोजना में अभी तक सभी मूलभूत सुविधाओं का अभाव होने के कारण मुश्किल से 30 फीसदी अलॉटी यहां रहने की हिम्मत जुटा सके हैं। करीब 7 वर्ष बाद भी परियोजना में समस्याएं हैं। जिसके कारण आवंटी शिफ्ट नहीं हो पा रहे हैं।
  1.  ग्रेटर नोएडा में बिजली आपूर्ति करने वाली कम्पनी एनपीसीएल ने आज तक परियोजना को बिजली कनेक्शन नहीं दिए हैं।
  2. पानी की आपूर्ति के लिए अंडर ग्राउंड जलाशय का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है। जिसके कारण फ्लैटों में सुचारू जल आपूर्ति नहीं हो रही है।
  3. प्रोजेक्ट के मेन गेट के सामने सर्विस रोड का निर्माण अभी तक नहीं हुआ है। सीमेंटेड सड़क के अभाव में कीचड़ भरी सड़क है। बारिश के मौसम में सोसाइटी में प्रवेश करना मुश्किल है।
  4. गांव के कुछ किनारों पर बाउंड्री वॉल अधूरी हैं, जो ग्रामीणों को अपने मवेशियों व असमाजिक तत्वों को सोसाइटी परिसर के अंदर लाने की अनुमति देती है। यह सोसाइटी के निवासी के लिए सुरक्षा की चिंता है।
  5. परियोजना में खुदाई के गड्ढे हैं, जहां जल जमाव हो रहा है।
  6. स्ट्रीट लाइट और बच्चों के लिए पार्क, खेल क्षेत्र का विकास अभी तक नहीं हुआ है। सभी प्रवेश द्वार टूटे हुए हैं।

सोहनपाल, कमलेश, अनिल, अरुण, नवेन्दु, विजय, राधेश्याम, राजाराम, संजय, जितेंद्र पंडित आदि निवासियों का कहना है कि यह सारी सुविधाएं बहुत ही आवश्यक हैं। इस परियोजना को 4 साल के भीतर पूरा किया जाना था, लेकिन सात साल बाद भी हाल जस का तस है। हम निम्न आय वर्ग के लोग हैं, इसलिए हम परियोजना में असामान्य देरी के कारण आर्थिक रूप से और ज्यादा पीड़ित हो गए हैं।

इन लोगों का कहना है कि प्राधिकरण ने परियोजना की लागत में 85,000 रुपये की वृद्धि की है और भुगतान में देरी के लिए या कब्जा लेने में देरी के लिए विभिन्न तरह के दंड भी लगाए हैं। प्राधिकरण की ओर से बहुत सारे काम लंबित हैं, उन पर कोई सुनवाई करने वाला नहीं है।

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