Google Image | निजी अस्पताल ने शव सौंपने से किया इनका
ग्रेटर नोएडा के बिसरख थाना क्षेत्र में स्थित एक निजी अस्पताल पर मरीज की मौत के बाद परिजनों से ज्यादा पैसा वसूलने का आरोप लगा है। इससे गुस्साए परिजनों ने जमकर हंगामा किया। मृतक के बेटे का आरोप है कि उनके पिता की चार लाख की मेडिक्लेम पॉलिसी थी। अस्पताल ने कभी परिजनों से पैसे की मांग नहीं की। लेकिन उनकी मौत के बाद अचानक 14 लाख का बिल दिया। शव देने से पहले पैसा जमा करने के लिए दबाव बनाया गया। इस मामले में पीड़ित परिवार ने शासन-प्रशासन में शिकायत दर्ज कराई है। मामला बिसरख थाना पुलिस के भी संज्ञान में है।
गौतमबुद्ध नगर में निजी अस्पतालों पर इस तरह के आरोप आम हो गए हैं। जिला स्वास्थ्य विभाग अब तक 12 अस्पतालों में ज्यादा रकम वसूलने के आरोपों को सही ठहरा चुका है। हालांकि इन सभी मरीजों को ज्यादा ली गई रकम वापस करा दी गई है। लेकिन इस तरह का लूटखसोट जनपद के अस्पतालों में अब भी जारी है। दादरी के रहने वाले तरुण गोयल ने बताया कि उनके पिता सुदेश गोयल कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। बीते 21 अप्रैल को उन्हें बिसरख थाना क्षेत्र में स्थित एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां बीते रविवार की देर रात उनका देहांत हो गया। कोरोना के इलाज के दौरान वह कुल 41 दिन तक अस्पताल में रहे।
मौत के बाद मांगे 14 लाख रुपये
मृतक के बेटे ने बताया कि उन्हें भर्ती करते वक्त पिता की 4 लाख रुपये की मेडिक्लेम पॉलिसी के बारे में अस्पताल को जानकारी दी गई थी। उसके बाद उनका इलाज शुरू हो गया था। बीच में कभी भी हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने परिजनों से अतिरिक्त रकम जमा करने के लिए नहीं कहा। पूछे जाने पर बिल की जानकारी भी नहीं दी। रविवार को उनकी मौत के बाद परिजनों को अचानक 14 लाख रुपये का बिल दिया। कहा कि इसे जमा कराने के बाद ही मृतक की लाश सौंपी जाएगी। इस पर परिजनों और परिचितों ने नाराजगी जताई। अस्पताल में हंगामा होने लगा।
आरोप- ऑक्सीजन बंद होने से गई जान
जानकारी मिलते ही पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। तरुण गोयल ने बताया कि अभी 1 हफ्ते पहले तक उनके पिता की हालत बिल्कुल ठीक थी। उन्हें डिस्चार्ज करने के बारे में बताया गया था। लेकिन रात में ऑक्सीजन बंद हो जाने से उनके पिता की हालत बिगड़ी और उन्हें आईसीयू में रखा गया। उनका आरोप है कि उनके पिता की लाश को फ्रीजर में न रख कर एक कमरे में रखा गया था। उनका शव फर्श पर खून से लथपथ पड़ा था। पुलिस के हस्तक्षेप के बावजूद हॉस्पिटल मैनेजमेंट अपनी जिद पर आ रहा। बिना पैसे जमा किए शव देने से इंकार कर दिया।
शासन-प्रशासन से शिकायत की
अंत में परिजनों ने 5 लाख रुपये जमा कराए। 4 लाख रुपये की मेडिक्लेम पॉलिसी थी। हॉस्पिटल ने 2 लाख रुपये बाद में जमा कराने का लिखित आश्वासन लिया। उसके बाद ही परिजनों को शव सौंपा गया। प्रबंधन ने हॉस्पिटल पर लगाए गए आरोपों को निराधार बताया है। अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि अस्पताल में कभी भी ऑक्सीजन की सप्लाई बंद नहीं हुई थी। मरीज को लंबे समय तक आईसीयू में रखकर इलाज किया गया। इसलिए ज्यादा खर्च आया।