Tricity Today | राष्ट्र चिंतन की दसवीं मासिक गोष्ठी का आयोजन
Greater Noida News : राष्ट्र चिंतना की दसवीं मासिक गोष्ठी कैलाश अस्पताल में "रोजगार माने सरकारी नौकरी की भ्रांति क्यों" विषय पर आयोजित हुई। विषय परिचय करवाते हुए एमिटी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर विवेक कुमार ने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति ने भारतीयों के अंदर अपनी सभ्यता, संस्कृति, भाषा के प्रति हीन भावना भरने का काम किया और अंग्रेजी को नौकरी के लिए आवश्यक है। इसलिए सरकारी भाषा घोषित कर दिया और सभी स्कूल और कॉलेज में अंग्रेजी में ही पढ़ाई हो, ऐसा कानून पारित किया।
"बेरोजगार केवल वही हैं जो हरामखोर हैं"
मुख्य वक्ता प्रोफेसर बलवंत सिंह राजपूत (पूर्व कुलपति कुमाऊं और गढ़वाल विश्वविद्यालय) ने कहा कि शिक्षा और नौकरी व रोजगार यह अलग-अलग विषय हैं। बेरोजगार केवल वही हैं जो हरामखोर हैं, कुछ करना नहीं चाहते। मेजर सुदर्शन ने कहा कि वर्तमान में लोगों को सहकारिता और कौशल विकास के लिए प्रेरित करना चाहिए।
पिछले 9 सालों में लाखों युवाओं को मिली नौकरी
सेवानिवृत्त विंग कमांडर आरएन शुक्ला ने कहा कि रोजगार देने के जो प्रयास पिछले 9 वर्षों में हुए हैं, वो बीते 70 वर्षों से कहीं अधिक हैं। गोष्ठी के अंत में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि कौशल आधारित शिक्षा को प्रोत्साहन दिया जाए। जिससे जॉब सीकर्स की जगह जॉब प्रोवाइडर्स पैदा हों। गोष्ठी में राजेन्द्र सोनी, मेजर निशा, डॉ उमेश, अशोक राघव, सरोज तोमर, प्रवीण तोमर, मेजर सुदर्शन, डॉ.आरती शर्मा, विवेक द्विवेदी, अवधेश गुप्ता, डॉ.अम्बिका प्रसाद, सूबेदार बिजेंद्र, ब्रज भूषण, सुशील, आर श्रीनिवास, धर्म पाल भाटिया और आरपी सिंह आदि प्रबुद्धजन मौजूद रहे।