Greater Noida : ट्राईसिटी टुडे के 'ऑपरेशन रसूखदार' में आपने देखा कि ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) को कैलाश भाटी ने अपनी ऐशगाह बना रखा है। उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण का मैनेजर और भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी नरेंद्र भाटी का छोटा भाई कैलाश भाटी अरबों रुपए के तुस्याना भूमि घोटाले में जालसाजी करने का आरोपी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कैलाश की जमानत अर्जी ख़ारिज कर दी है। उसने अपने रसूख का इस्तेमाल किया और पिछले डेढ़ महीने से जिम्स में मौज छान रहा है। इसमें जिम्स प्रशासन की भूमिका बेहद नकारात्मक रही है। जिम्स प्रशासन ने पुलिस को अंधेरे में रखा और जेल प्रशासन की एक नहीं सुनी।
अस्पताल में तीसरे फ्लोर पर अकेला रखा गया
जिम्स प्रशासन ने अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर कैलाश भाटी को अकेला रखा गया है। पिछले डेढ़ महीने से इस फ्लोर के बाकी कमरों को खाली रखा गया है। किसी को भर्ती नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह कैलाश भाटी को छिपाकर रखना है और उसकी गतिविधियों को आम आदमी से दूर बनाकर रखना है। कैलाश को जनरल वॉर्ड में नहीं रखा गया। जबकि सहारनपुर के जिस बंदी की सोमवार को जिम्स अस्पताल में मौत हुई है, उसे जनरल वॉर्ड में रखा गया था। उसके पास चौबीसोब घंटे पुलिस वाले कुर्सियों पर बैठकर निगरानी कर रहे थे। कैलाश पर निगरानी रखने के लिए तैनात किए पुलिस कर्मियों को जिम्स प्रशासन ने दूर अलग कमरा दे रखा था।
जिम्स प्रशासन ने स्थानीय पुलिस को मेमो नहीं भेजा
किसी सामान्य दुर्घटना में घायल व्यक्ति अगर जिम्स में जाता है तो सबसे पहले मेमो स्थानीय पुलिस स्टेशन को भेजा जाता है। कैलाश भाटी 2 मार्च को जिम्स में भर्ती करवाया गया था। आज तक जिम्स प्रशासन की ओर से मेमो कासना पुलिस स्टेशन को नहीं भेजा गया है। सोमवार को ट्राईसिटी टुडे पर 'ऑपरेशन रसूखदार' चलने के बाद स्थानीय पुलिस जिम्स पहुंची। निदेशक डॉ.राकेश गुप्ता से जानकारी हासिल की। पुलिस को कैलाश भाटी उसी कमरे में मिला है, जिसका वीडियो ट्राईसिटी टुडे ने चलाया है।
जेल सुपरिंटेंडेंट ने जिम्स डायरेक्टर को 3 पत्र लिखे
गौतमबुद्ध नगर जेल प्रशासन जिम्स के डायरेक्टर को बार-बार पत्र लिखकर कैलाश भाटी को वापस भेजने की मांग करता रहा, लेकिन जिम्स डायरेक्टर ने जेल प्रशासन की एक नहीं सुनी। इस मामले में ट्राईसिटी टुडे ने गौतमबुद्ध नगर जेल के अधीक्षक अरुण प्रताप से बातचीत की। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, "कैलाश भाटी को स्पाइनल और डायबिटीज की समस्या बताई गई थी। वह 2 मार्च 2023 को इलाज के लिए कासना में स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए गए थे। उसके बाद मैंने अस्पताल को सबसे पहला पत्र 12 मार्च को भेजा। उसके बाद 4 अप्रैल और फिर 15 अप्रैल को कैलाश भाटी की जेल में वापसी के लिए जिम्स के डायरेक्टर डॉ.राकेश कुमार गुप्ता को पत्र भेजा गया। इसमें केवल एक ही पत्र का जवाब देते हुए बताया गया कि अभी उपचार जारी है। बाक़ी दो पत्रों का जवाब जिम्स के डायरेक्टर ने नहीं दिया।” जेल महानिदेशक एसएन साबत ने बताया कि उन्होंने मामले में जांच का आदेश दिया है।
जिम्स डायरेक्टर का रवैया बेहद आपत्तिजनक
कैलाश भाटी को अस्पताल के तीसरे फ्लोर पर अकेला रखने और तमाम लग्जरी देने के बारे में जब जिम्स के डायरेक्टर डॉ.राकेश गुप्ता से 'ट्राईसिटी टुडे' ने बात की तो उनका रवैया बेहद आपत्तिजनक रहा। उन्होंने कहा, "मैं किसी के दबाव में काम नहीं करता हूं। हम किसी मरीज पर कोई नियंत्रण नहीं कर सकते हैं। यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह अपने बंदी की गतिविधियों पर नजर रखें।"
ऑपरेशन रसूखदार से कैलाश भाटी पर खड़े हुए सवाल
कैलाश भाटी की यह ऐश कई सवाल खड़े करती है। पहला सवाल, क्या कैलाश भाटी खुलेआम मोबाइल का इस्तेमाल कर सकता है?
दूसरा सवाल, क्या कैलाश भाटी को जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड में एयर कंडीशनर, कोल्ड ड्रिंक्स, बाहर का खाना और ऐशोआराम मिल सकता है?
तीसरा सवाल, क्या बिना रोकटोक और दिन-रात कैलाश भाटी को लोगों से मिलने की इजाजत दी सकती है?
चौथा सवाल, कैलाश भाटी को ऐसी कौन सी बीमारी है, जिसके इलाज के लिए वह डेढ़ महीने से जिम्स के प्राइवेट वॉर्ड की ऐश ले रहा है?
पांचवां सवाल, कैलाश भाटी की निगरानी के लिए जिन पुलिस वालों की ड्यूटी लगी है, वे इस सब से बेदार क्यों हैं?
जिला कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका की
अब हम आपको बताते हैं कि आखिर कैलाश भाटी किस जुर्म के लिए जेल गया और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका क्यों खारिज कर दी। कैलाश भाटी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में बतौर मैनेजर लंबे अरसे तक कार्यरत रहा है। इसी दौरान तुस्याना गांव में अरबों रुपये का भूमि घोटाला हुआ। इस घोटाले के मास्टरमाइंड राजेंद्र सिंह को फायदा पहुंचाने के लिए कैलाश भाटी ने जालसाजी की। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने कैलाश को पिछले साल 16 नवंबर को गिरफ्तार किया था। उस पर आईपीसी की धाराओं 406, 420, 467, 468, 471 और 120-B के तहत चार्जशीट दाखिल की गई। पहले गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय और फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी।
कैलाश भाटी को हाईकोर्ट ने इसलिए नहीं दी जमानत
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2023 को यह कहते हुए कैलाश भाटी की जमानत याचिका ख़ारिज की, "आरोपी ऊंचे पद पर कार्यरत और रसूखदार है। शिकायत करने वाले ने अपनी जान को खतरा बताया है। मामले की जांच और ट्रायल के दौरान गवाहों व सबूतों को प्रभावित कर सकता है। मामले की खूबियों या खामियों पर कोई राय व्यक्त किए बिना यह न्यायालय आवेदक को जमानत देने के लिए अच्छा आधार नहीं पाता है। लिहाजा, जमानत अर्जी खारिज की जाती है। "कुल मिलाकर साफ़ है, अदालत में भले ही कैलाश भाटी का रसूख काम नहीं आया, लेकिन उसने जेल से बाहर फाइव स्टार सहूलियतें हासिल करने का इंतजाम कर लिया।