Greater Noida : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के 22 सितंबर को गौतमबुद्ध नगर के दादरी में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा के अनावरण के मामले में राजपूत संगठन सख्त विरोध जता रहे हैं। क्षत्रिय समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली राजपूत करणी सेना, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा और राजपूत उत्थान समिति जैसे संगठनों ने मुख्यमंत्री से इस प्रतिमा का अनावरण नहीं करने की मांग की है। दरअसल मिहिर भोज को लेकर गुर्जर और राजपूत समुदाय में ठनी हुई है। गुर्जर समुदाय का कहना है कि राज मिहिर भोज गुर्जर शासक थे। जबकि क्षत्रिय समुदाय के मुताबिक मिहिर भोज प्रतिहार वंश के शासक थे और राजपूतों के पूर्वज हैं।
प्रतिमा का अनावरण करेंगे
दरअसल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 21-22 सितंबर को गौतमबुद्ध नगर में कार्यक्रम है। इसी दौरान 22 सितंबर को वह ग्रेटर नोएडा के दादरी कस्बे में रहेंगे। दादरी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के विधायक तेजपाल सिंह नागर ने कहा कि मुख्यमंत्री गुर्जर शासक मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। इसके बाद से ही राजपूत समुदाय विरोध जता रहा है। क्षत्रिय संगठनों का कहना है कि सीएम योगी तुष्टिकरण और गुर्जर वोट के लिए क्षत्रियों की भावनाएं आहत कर रहे हैं। राजपूतों के पूर्वज राजा मिहिर भोज को गुर्जर समुदाय का बताकर उनकी ऐतिहासिक पहचान को मिटा रहे हैं।
एमएलए धीरेंद्र सिंह को सौंपा ज्ञापन
राजपूत करणी सेना और राजपूत उत्थान सभा ने भी सम्राट मिहिर भोज को गुर्जर कहे जाने पर आपत्ति जताई है। उत्थान सभा के यूपी के अध्यक्ष धीरज सिंह रावत और करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष करण ठाकुर के नेतृत्व में गुरुवार को एक दल ने जेवर के विधायक धीरेंद्र सिंह से भेंट कर मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा। दोनों संगठनों ने कहा है कि सीएम आदित्यनाथ इस प्रतिमा का अनावरण करने न आएं। राजपुत उत्थान सभा का कहना है कि, दादरी में अनावरण होने वाली प्रतिमा पर मिहिर भोज के नाम से पहले गुर्जर शब्द का प्रयोग किया गया है। जबकि वह प्रतिहार राजपूत वंश के प्रतापी शासक थे। उन्हें गुर्जर जाति से इस प्रकार जोड़ा जाना गलत है। यह इतिहास के साथ छेड़छाड़ है।
वंशज अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे
राजपूत करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष करण ठाकुर ने ट्राइसिटी टुडे से बातचीत में बताया कि विधायक धीरेंद्र सिंह को सम्राट मिहिर भोज के क्षत्रिय राजा होने के सारे साक्ष्य उपलब्ध कराए गए हैं। यहां तक कि राजा के मौजूदा पीढ़ी के लोगों की लिस्ट भी उन्हें सौंपी गई है। ऑडियो, वीडियो, एएसाई रिकॉर्डिंग और ऐतिहासिक दस्तावेजों से यह साबित होता है कि मिहिर भोज क्षत्रिय शासक थे। इसीलिए उनके नाम के आगे गुर्जर लिखा जाना आपत्तिजनक है। अगर उत्तर प्रदेश सरकार उनकी प्रतिमा का अनावरण करना चाहती है, तो गुर्जर के बजाय ‘हिंदू हृदय सम्राट’ लिखकर कर सकती है। लेकिन गुर्जर लिखना उनकी पहचान के साथ छेड़छाड़ है। उनके मौजूदा वंशजों ने कहा है कि अगर सरकार उनके पूर्वज को राजपूत शासक नहीं मानेगी, तो वह अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।
भाजपा को नहीं देंगे वोट
करण ठाकुर ने आगे कहा, ‘भाजपा सरकार गुर्जर समाज को राजनीतिक दृष्टि से लुभाने के लिए जातिवाद का खेल खेल रही है। इससे राजपूत समाज में रोष व्याप्त है। यदि कार्यक्रम में बिना बदलाव के मुख्यमंत्री इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे, तो राजपूत समाज विशाल आंदोलन करने के लिए मजबूर होगा। इसकी पूरी जिम्मेदारी भाजपा सरकार की होगी। आगामी विधानसभा चुनावों में राजपूत भाजपा का बहिष्कार करेंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तरह भारतीय जनता पार्टी को अपने कोर वोटर से हाथ धोना पड़ सकता है।’ इस मौके पर गवेन्द्र राजपूत मिर्जापुर, डॉ लोकेन्द्र भाटी, ब्रजेश प्रताप राणा, दीपक भाटी रस्तमपुर, मनीष भाटी, ऋषि परमार, अध्यक्ष अखिल भारतीय क्षत्रिय सेना, बीनू राणा बिसाड़ा आदि मौजूद रहे।
पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग
इस मामले को लेकर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खत लिखा है। महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र सिंह तंवर और मुख्य राष्ट्रीय संरक्षक पूर्व केंद्रीय मंत्री महाराणा डॉ दिग्विजय सिंह ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग की है। इसमें कहा गया है कि, ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 22 सितंबर को गौतमबुद्ध नगर के दादरी कस्बे में एक कार्यक्रम में शामिल होंगे। इस दौरान वह नौंवी शताब्दी के राजपूत राजा मिहिर भोज प्रतिहार की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक गुर्जर समुदाय उन्हें अपना पूर्वज बता रहा है। भारतीय जनता पार्टी की हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के राजपूतों के इतिहास के साथ छेड़छाड़ को लेकर क्षत्रिय समाज पहले से ही नाराज है।’
इतिहास से छेड़छाड़ स्वीकार नहीं की जाएगी
संगठन ने आगे कहा है, ‘अब यूपी में इस तरह की घटना से राजपूत शांत नहीं बैठेंगे। इसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी को भुगतना पड़ेगा। उत्तर प्रदेश के दो करोड़ क्षत्रिय वोटर संगठन से जुड़े हुए हैं। ये अब तक भारतीय जनता पार्टी के कोर वोटर रहे हैं। लेकिन हमारे लिए हमारी ऐतिहासिक विरासत और पूर्वजों का सम्मान सबसे पहले है। हम इतिहास से छेड़छाड़ करने वाले ऐसे हर कदम का विरोध करेंगे। सत्ता में बैठे लोगों को क्षत्रियों के खिलाफ इस तरह के किसी भी प्रोपेगेंडा में शामिल नहीं होना चाहिए। यह खुलेआम हमारे अधिकारों और इतिहास के साथ छेड़छाड़ है। राजपूतों की सबसे पुरानी संस्था अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा राज्य सरकार के इस कदम का विरोध करती है। क्षत्रियों के साथ इस तरह की नाइंसाफी किसी भी हाल में स्वीकार नहीं की जाएगी।’
नहीं मिले हैं ऐतिहासिक साक्ष्य
इतिहासकारों को भी अब तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे यह साबित हो कि मिहिर भोज किसी गैर क्षत्रिय समुदाय से जुड़े हों। एएसआई के रिटायर्ड अफसर और प्राचीन भारत के इतिहासवेत्ता भगवान सिंह बताते हैं, ‘सम्राट मिहिर भोज प्रतिहार राजपूत राजा थे। उनके वंशज प्रतिहार राजपूत हैं। उनके पास एक विशाल सेना थी। आक्रमणकारियों में उनका बेहद खौफ था। अरब हमलावरों से मिले दस्तावेजों के मुताबिक वह रणक्षेत्र में अदम्य साहस दिखाते थे। मिहिर भोज ने हमलावरों को लगातार भारत में प्रवेश से रोका था। कई वर्षों तक वह भारतवर्ष की रक्षा करते रहे। उनका शासन मुख्यतः गुजरात में था। इसी वजह से उन्हें गुर्जर-प्रतिहार वंश के नाम से जाना गया।