सुप्रीमकोर्ट की एक फटकार में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अफसरों की अक्ल ठिकाने हुई, जानिए पूरा मामला

बड़ी खबर : सुप्रीमकोर्ट की एक फटकार में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अफसरों की अक्ल ठिकाने हुई, जानिए पूरा मामला

सुप्रीमकोर्ट की एक फटकार में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अफसरों की अक्ल ठिकाने हुई, जानिए पूरा मामला

Tricity Today | Greater Noida Authority

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को सुप्रीम कोर्ट की फटकार क्या लगी। सभी अफसरों की अकल ठिकाने आ गई। कोर्ट के आदेश पर 2 दिन के भीतर ही उसने जमीन अधिग्रहण के मामले में भूस्वामी किसानों को विकसित भूखंड की लीज डीड और कब्जा देने पर अमल कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भूस्वामी किसानों को बढ़े मुआवजे के साथ विकसित भूखंड पर कब्जा देने में वर्षों की देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अगर आदेश पर 21 मार्च तक पूरी तरह अमल नहीं किया गया तो ग्रेटर नोएडा अथारिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण 21 मार्च को अदालत में निजी तौर पर पेश होंगे।

क्या है पूरा मामला
राजीव शर्मा ने कहा था कि ग्रेटर नोएडा के गांव तुसियाना, लखनावली और कासना में 2002 में जमीन अधिग्रहण हुआ था। इसमें उनके करीब दो दर्जन मुवक्किलों की जमीन का भी अधिग्रहण हुआ। अधिग्रहण के इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी जमीन पर 64.7 प्रतिशत बढ़ा मुआवजा और 10 प्रतिशत विकसित भूखंड भूस्वामी किसानों को देने का आदेश दिया था। इस मामले में अथारिटी ने 64.7 प्रतिशत बढ़ा मुआवजा तो दे दिया, लेकिन विकसित भूखंड पर कब्जा और लीज डीड आज तक एक्जीक्यूट नहीं हुई। यह आदेश जस्टिस दिनेश महेश्वरी और विक्रम नाथ की पीठ ने गत 14 मार्च को ग्रेटर नोएडा अथारिटी के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल करने वाले करीब दो दर्जन भूस्वामी किसानों के वकील डाक्टर राजीव शर्मा की दलीलें सुनने के बाद दिया था। 

2017 में अथारिटी ने दिया अलाटमेंट लेटर
शर्मा ने कहा कि भूखंड न मिलने पर उन्होंने कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी, लेकिन 2017 में अथारिटी ने भूखंड का अलाटमेंट लेटर दे दिया। इसके बाद उन्होंने अपनी अवमानना याचिका वापस ले ली। परंतु 2017 से अभी तक पांच वर्ष से ज्यादा बीत चुके हैं। अथारिटी ने न तो भूखंड की लीज डीड (पट्टा विलय जारी किया है) एक्जीक्यूट की है और न ही उन्हें भूखंड का कब्जा दिया गया है। वे कई चक्कर अथारिटी के लगा चुके हैं। दो बार पत्र भी लिख चुके हैं। जब कुछ नहीं हुआ तो उन्होंने फिर से यह अवमानना याचिका दाखिल की है।

अभी तक लीज डीड और कब्जा देना है बाकी
ग्रेटर नोएडा अथारिटी की ओर से पेश वकील रवींद्र कुमार ने कोर्ट से आदेश पर पूरी तरह अमल के लिए कुछ और समय दिए जाने का अनुरोध किया। लेकिन कोर्ट ने लंबी मुकदमेबाजी और आदेश में अमल पर इतनी देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि भूखंडों के अलाटमेंट लेटर दे दिए गए। लेकिन अभी तक लीज डीड और कब्जा देना बाकी है। कोर्ट ने ग्रेटर नोएडा इंडस्टि्रयल डेवलपमेंट अथारिटी के अधिकारियों द्वारा आदेश पर पूरी तरह अमल नहीं किए जाने पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि वह अंतिम मौका देते हुए मामले की सुनवाई टाल रहा है। मामले को 21 मार्च को फिर सुनवाई पर लगाया जाए। अगर इस बीच आदेश पर पूरी तरह अमल नहीं होता है तो उस दिन अवमानना याचिका में प्रतिवादी (नरेंद्र भूषण-सीईओ ग्रेटर नोएडा अथारिटी) निजी तौर पर कोर्ट में पेश होंगे।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कब्जा देने की तैयारी
आदेश के दो ही दिन के भीतर ही ग्रेटर नोएडा अथारिटी रास्ते पर आ गई। भूस्वामी किसानों के वकील शर्मा ने बताया कि आनन-फानन में अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल करने वाले उनके मुवक्किल सभी याचिकाकर्ता भूस्वामियों को भूखंड की लीज डीड एक्जीक्यूट की और विधिवत कब्जा देने की तैयारी भी पूरी कर ली है। सिर्फ दो लोग बाकी रह गए हैं, क्योंकि वे विदेश में हैं। उन्हें भी भूखंड पर कब्जा देने की बात कही गई है।

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