गौतमबुद्ध नगर पुलिस तो हाथ पर हाथ धरकर बैठी है

चिटहेरा भूमि घोटाले में शामिल गैंगस्टर गजेंद्र सिंह पर उत्तराखंड में ईनाम घोषित : गौतमबुद्ध नगर पुलिस तो हाथ पर हाथ धरकर बैठी है

गौतमबुद्ध नगर पुलिस तो हाथ पर हाथ धरकर बैठी है

Tricity Today | यशपाल के साथ उसका साथी गैंगस्टर गजेंद्र सिंह

Haridwar/Greater Noida : गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के चिटहेरा गांव में सैकड़ों करोड़ रुपये का भूमि घोटाला हुआ। जिसमें इंटरस्टेट भूमाफिया यशपाल तोमर और उसके गैंग ने अफसरों के साथ मिलकर सरकारी जमीन हड़पी है। इस घोटाले का मास्टरमाइंड यशपाल तोमर हरिद्वार जेल में बंद है। उसका ममेरा भाई गजेंद्र सिंह फरार चल रहा है। अब गजेंद्र सिंह की गिरफ्तारी पर उत्तराखंड स्पेशल टास्क फोर्स ने इनाम घोषित करवाया है। एसटीएफ की सिफारिश पर हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने 26 दिसंबर को ₹5000 के इनाम की घोषणा की है।

कौन है गजेंद्र सिंह
गजेंद्र सिंह चिटहेरा भूमि घोटाले के मास्टरमाइंड यशपाल तोमर का ममेरा भाई है। वह मूल रूप से बागपत जिले में किरठल गांव का रहने वाला है। फिलहाल उसका परिवार ईस्ट दिल्ली के कृष्णानगर इलाके में रहता है। उत्तराखंड एसटीएफ के मुताबिक गजेंद्र सिंह का आपराधिक इतिहास है। उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और तमाम दूसरे जघन्य आरोपों में मुकदमे चल रहे हैं। बागपत पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक गजेंद्र सिंह एक मामले में सजायाफ्ता भी है। वह फिलहाल बेल पर जेल से बाहर है। उत्तराखंड एसटीएफ ने इसी साल जनवरी महीने में यशपाल तोमर को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। वह तभी से हरिद्वार जेल में बंद है। दूसरी ओर गजेंद्र सिंह फरार चल रहा है। उसकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में तमाम जगहों पर छापेमारी की हैं, लेकिन अब तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। इसी आधार पर उत्तराखंड एसटीएफ ने गजेंद्र सिंह पर इनाम घोषित करने की सिफारिश की थी।

क्या है चिटहेरा घोटाले में भूमिका
यशपाल तोमर और उसके गैंग ने चिटहेरा गांव के किसानों को केवल एक-एक लाख रुपये देकर उनकी जमीनों के एग्रीमेंट हासिल किए थे। इसके बाद राजस्व पट्टों को बहाल करवाने की कार्यवाही शुरू की। जब पट्टे बहाल हो गए तो किसानों से जबरन बैनामे करवाए गए। किसानों को डराने, धमकाने और अपहरण तक करने के आरोप यशपाल तोमर और उसके गैंग पर हैं। किसानों का कहना है कि गजेंद्र सिंह और उसके साथी उन्हें आतंकित करते थे। इतना ही नहीं किसान अजीत सिंह से जिस जमीन का बैनामा करवाया गया था, उसकी एवज में दिया गया पैसा यशपाल तोमर गैंग ने अजीत के बैंक खाते से वापस निकाल लिया था। यह पैसा किसान अजीत सिंह के खाते से गजेंद्र सिंह के खाते में ट्रांसफर किया गया था। यह सारे साक्ष्य पूर्व में प्रकाशित समाचारों में ट्राईसिटी टुडे पाठकों के सामने रख चुका है।

गौतमबुद्ध नगर पुलिस मौन क्यों
एक तरफ उत्तराखंड एसटीएफ और हरिद्वार पुलिस लगातार यशपाल तोमर व उसके गैंग पर दबाव बनाए हुए हैं, दूसरी तरफ गौतमबुद्ध नगर पुलिस हाथ पर हाथ धरकर बैठी हुई है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चिटहेरा में हुए अरबों रुपए के भूमि घोटाले में यशपाल तोमर की बेनामी संपत्तियों के मालिक अरुण और मालू को अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। अरुण सिंह, यशपाल तोमर का मुखौटा है। वह उसका साला भी है। इन दोनों लोगों के नाम गांव की सरकारी और गैर सरकारी जमीन है। एग्रीमेंट वसीयतनामा और बैनामों के जरिए यशपाल तोमर ने दर्ज करवाई थी। बाद में यह सारी संपत्ति यशपाल तोमर ने अपने ससुर के नाम ट्रांसफर करवाई। आखिर में ससुर से पूरी प्रॉपर्टी अपनी पत्नी के नाम ट्रांसफर करवा ली थी। इस पूरे घटनाक्रम में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि प्रॉपर्टी ट्रांसफर करने के कुछ दिन बाद ही यशपाल तोमर के ससुर की मौत हो गई थी। कुल मिलाकर सारे तथ्य सामने हैं लेकिन गौतमबुद्ध नगर पुलिस आंखें मूंदकर बैठी हुई है।

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