विरासत में मिले अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और कर्जा, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को पटरी पर लाना आसान नहीं

रितु महेश्वरी के सामने चुनौती : विरासत में मिले अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और कर्जा, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को पटरी पर लाना आसान नहीं

विरासत में मिले अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और कर्जा, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को पटरी पर लाना आसान नहीं

Tricity Today | Ritu Maheshwari

Greater Noida Authority : नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी को उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रेटर नोएडा की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। शनिवार को छुट्टी होने के बावजूद ऋतु महेश्वरी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पहुंची। उन्होंने कार्यभार ग्रहण किया। साथ ही अथॉरिटी के जिम्मेदार अफसरों के साथ बैठक की है। ऋतु महेश्वरी को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में तीन बड़ी चुनौतियां विरासत में मिली हैं। इनमें प्राधिकरण में तैनात अनुशासनहीन अफसर और कर्मचारी सबसे बड़ा सिर दर्द हैं। प्राधिकरण में भ्रष्टाचार और घोटालों का बोलबाला है। इस वक्त किसानों को आबादी के लिए दिए जाने वाले 4%, 6% और 10% आबादी भूखंडों में हुआ बड़ा घोटाला सामने आया है। शुक्रवार को नियुक्ति घोटाले पर राज्य सरकार ने उनसे 2 दिनों में रिपोर्ट मांगी है। प्राधिकरण भारी-भरकम 7,000 करोड़ रुपए के कर्ज तले दबा हुआ है। खजाना पूरी तरह खाली है। ग्रेटर नोएडा शहर की हालत दिनोंदिन बद से बदतर होती जा रही है। एक वक्त में वर्ल्ड क्लास माना जाने वाला आधारभूत ढांचा चरमरा आ रहा है।

1. एसीईओ स्तर के कई अफसर भरोसे के लायक नहीं
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में बुरी तरह अनुशासनहीनता घर बना चुकी है। हर विभाग में छोटे कर्मचारियों से लेकर टॉप लेवल तक प्रशासनिक इस्तकबाल की बेहद कमी है। जिसके चलते अथॉरिटी में दलाल गैंग बुरी तरह हावी है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बड़े-बड़े अफसरों के दफ्तरों में दलालों को चाय-पकौड़ी उड़ाते देखा जा सकता है। निचले स्तर की तो बात दूर अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी लेवल के कई टॉप अफसरों पर भरोसा करना संभव नहीं है। इन अफसरों पर गंभीर आरोप हैं।  मसलन, किसानों के नाम पर अपात्रों को बड़े पैमाने पर भूखंड आवंटित किए गए हैं। जिससे प्राधिकरण को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ है। अथॉरिटी में कर्मचारियों और अधिकारियों की मनमानी ढंग से नियुक्तियां की गई हैं।  अथॉरिटी में रिश्तेदारी और भाई-भतीजावाद बुरी तरह हावी है। टॉप अफसरों के रिश्तेदार और दोस्त अथॉरिटी में दलाली कर रहे हैं।

2. आम आदमी की नजर में विश्वसनीयता नहीं
प्राधिकरण के कामकाज में भ्रष्टाचार पूरी तरह हावी है। ग्रेटर नोएडा के निवासी और किसान लगातार भ्रष्टाचार की शिकायत कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्राधिकरण में तैनात रहे तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी के ढुलमुल रवैया के चलते हालात बेहद बिगड़े हैं। कुछ महीने पहले सुरेंद्र सिंह ने नट-बोल्ट कसने शुरू किए थे, लेकिन वह प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए। सुरेंद्र सिंह का तबादला होने की जानकारी मिली तो अनुशासनहीन और भ्रष्ट अफसरों ने मिठाइयां बांट दीं। इसके बाद खबर सामने आई कि अब ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का जिम्मा ऋतु महेश्वरी को सौंपा जाएगा। यह खबर सामने आने के बाद से पूरे प्राधिकरण में एक बार फिर हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल, ऋतु महेश्वरी की छवि सख्त प्रशासनिक अफसर की है। प्राधिकरण से भ्रष्टाचार खत्म करके आम आदमी में एक बार फिर भरोसा कायम करना ना केवल ऋतु महेश्वरी के लिए चुनौती होगी, बल्कि यह उनकी बड़ी जिम्मेदारी भी है।

3. भारी भरकम कर्ज से उबरने की जरूरत होगी
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण करीब एक दशक से भारी भरकम कर्ज तले दबा हुआ है। इस वक्त प्राधिकरण के ऊपर करीब 7,000 करोड रुपए का कर्ज है। बुरे हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण की आमदनी चवन्नी और खर्चा रुपए से भी ज्यादा है। रोजाना करीब एक करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर चुकाने पड़ रहे हैं। वेतन देने के लाले हैं। शहर में नागरिक सुविधाओं का विकास, नई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने और भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाने जैसी बड़ी समस्याएं सामने खड़ी हुई हैं। पैसे की कमी के कारण लंबे अरसे से जमीन खरीद नहीं हो रही है। पिछले 5 वर्षों के दौरान केवल लैंडबैंक को बेचकर काम चलाया गया है। इन हालात में प्राधिकरण को कर्जे से उबारकर पटरी पर लाना आसान बात नहीं होगी।  शनिवार को कार्यभार संभालने के साथ ही इस मुद्दे पर ऋतु महेश्वरी ने चिंता जाहिर की है। माहेश्वरी ने कहा है कि प्राधिकरण की आय और व्यय में भारी अंतर है। प्राधिकरण की आय बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है।

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