Greater Noida West : धोखाधड़ी, जालसाजी और मनी लॉन्डरिंग जैसे गंभीर आरोपों के चलते सुपरटेक समूह के चेयरमैन आरके अरोड़ा जेल में बंद हैं। इसके बावजूद कम्पनी के अवैध धंधे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब ताज़ा मामला ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सुपरटेक इकोविलेज वन हाउसिंग सोसाइटी से सामने आया है। सोसाइटी के कुछ निवासियों ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से शिकायत की है। मुख्य कार्यपालक अधिकारी को बताया गया है कि सोसाइटी में अवैध रूप से दुकानों का निर्माण कर दिया गया है। कंप्लिशन सर्टिफ़िकेट और ऑक्यूपेंसी सर्टिफ़िकेट हासिल नहीं किया गया है। अवैध रूप से प्रॉपर्टी खरीददारों को इन दुकानों में क़ब्ज़ा दे दिया गया है। यह मामला संज्ञान में आने के बाद प्राधिकरण के नियोजन विभाग ने कंपनी को नोटिस जारी किया है।
पंद्रह दिनों में कंपनी से जवाब मांगा गया
नियोजन विभाग के सहायक प्रबंधक ने सुपरटेक लिमिटेड को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में कहा गया है, “एक शिकायत मिली है। जिसके मुताबिक़ आपने सुपरटेक इकोविलेज वन के कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में अवैध निर्माण किया है। प्राधिकरण से अब तक ऑक्यूपेंसी सर्टिफ़िकेट और कंप्लिशन सर्टिफ़िकेट हासिल नहीं किया है। इसके बावजूद अवैधानिक रूप से दुकानों में क़ब्ज़ा दिया जा रहा है। अवैध निर्माण भी किया जा रहा है। अगले 15 दिनों में इस पत्र का जवाब देना होगा। साथ ही अवैध निर्माण को हटाने की कार्यवाही की जाए।” नियोजन विभाग ने कम्पनी को चेतावनी दी है कि अगर 15 दिनों में आपकी ओर से कार्रवाई नहीं की गई और स्पष्टीकरण नहीं दिया गया तो माना जाएगा कि आपको कुछ नहीं कहना है। इसके बाद प्राधिकरण अवैध क़ब्ज़े को ख़त्म करने और अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई करेगा। जिसके लिए कंपनी ज़िम्मेदार होगी।
अवैध निर्माण तो सुपरटेक का शौक़
हाउसिंग सोसाइटी और कमर्शियल कॉम्प्लेक्स में अवैध निर्माण करना सुपरटेक कम्पनी का पुराना शग़ल है। गौतमबुद्ध नगर ही नहीं देश के इतिहास में अवैध निर्माण के चलते किसी बिल्डर पर सबसे बड़ी कार्रवाई की गई, वह बिल्डर सुपरटेक लिमिटेड है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक साल पहले नोएडा में ट्विन टावर को ध्वस्त किया गया था। सुपरटेक बिल्डर ने अवैध रूप से ट्विन टावर का निर्माण किया था। ग्रेटर नोएडा कि सुपरटेक ज़ार सोसाइटी में भी बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण करने के आरोप हैं। जिसके खिलाफ़ कुछ प्रॉपर्टी खरीददारों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। आपको बता दें कि सुपरटेक बिल्डर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी का सबसे बड़ा डिफॉल्टर बिल्डर है। इतना ही नहीं, हज़ारों की संख्या में प्रॉपर्टी खरीददार निर्माण पूरा होने और क़ब्ज़ा मिलने का इंतज़ार कर रहे हैं। ज़्यादातर ख़रीदार पूरा पैसा सुपरटेक बिल्डर को दे चुके हैं। अधिकांश परिवारों को उनका घर मिलने की समय सीमा 5 से 7 साल पहले बीत चुकी है।