Prayagraj/Greater Noida : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से जुड़ी बड़ी खबर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक बार फिर ग्रेटर नोएडा की मुख्य कार्यपालक अधिकारी ऋतु महेश्वरी (Ritu Maheshwari IAS) के खिलाफ आदेश सुनाया है। एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीईओ के वेतन से 10 हजार रुपये काटने का आदेश दिया है। यह मामला ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एमएमआर समूह की कंपनियों के स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट से जुड़ा है।
क्या है मामला
एमएमआर समूह की कंपनी देवसाई कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट से जुड़े मामले में एक याचिका दायर की थी। जिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को विचार करने के लिए प्रकरण भेजा था। याची का कहना है कि उनके मामले में सीईओ ने सुनवाई नहीं की। इसके खिलाफ कंपनी की ओर से एक अवमानना याचिका दायर की गई। अवमानना याचिका पर 20 दिसंबर 2022 को हाईकोर्ट में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत में सुनवाई हुई।
अथॉरिटी की वकील ने मांगा वक्त
उस दिन सुनवाई के दौरान प्राधिकरण की अधिवक्ता अंजली उपाध्याय को याची की ओर से अवमानना आवेदन सौंपा गया। प्राधिकरण की वकील ने अदालत से इस मामले में निवेदन किया कि उन्हें प्राधिकरण की सीईओ से निर्देश लेने होंगे। इसके लिए 4 सप्ताह का वक्त मांगा गया। अदालत ने प्राधिकरण की वकील को समय दिया और मामले में सुनवाई करने के लिए 31 जनवरी की तारीख लगा दी।
प्राधिकरण ने फिर वक्त मांगा
अब इस मामले की सुनवाई 31 जनवरी को हुई। जस्टिस पीयूष अग्रवाल ने सुनवाई की। उन्होंने प्राधिकरण की वकील से पूछा कि 20 दिसंबर को पिछली सुनवाई के दौरान आपने विपक्षी से निर्देश मांगने की बात कही थी। अब तक आपको विपक्षी से निर्देश प्राप्त नहीं हुए हैं। प्राधिकरण की वकील ने एक बार फिर समय की मांग की। वकील ने कहा कि सीईओ इस मामले में रिट कोर्ट के आदेश का अनुपालन करने के लिए वक्त मांग रही हैं।
कोर्ट ने दिया वेतन काटने का आदेश
अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। आदेश दिया कि विपक्षी की वकील 10,000 रुपये हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में जमा करेंगी। यह पैसा एक सप्ताह में जमा करवाना होगा। यह धनराशि विपक्षी के वेतन से काटा जाएगा। अब अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 23 फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। अदालत ने आदेश दिया है कि उस दिन सुनवाई के समय 10,000 रुपये जमा करवाने की रशीद अदालत के सामने पेश की जाए।
विधि विभाग की बड़ी लापरवाही
कुल मिलाकर प्राधिकरण के विधि विभाग की लापरवाही रितु महेश्वरी को बार-बार भारी पड़ रही है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट और जिला उपभोक्ता अदालत से सीईओ के खिलाफ कड़े आदेश जारी हो चुके हैं। जिनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी से जुड़े एक मामले में सीईओ के खिलाफ वारंट जारी कर दिया था। इसी तरह पिछले दिनों उपभोक्ता अदालत में भी वारंट जारी किया था और एक महीने की सजा सुनाई थी। सुपरटेक बिल्डर से जुड़े मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में तो पिछले साल नोएडा अथॉरिटी पर गंभीर टिप्पणियां की थीं।