Greater Noida : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के प्रोजेक्ट प्लानिंग, लैंड विभाग और आधी प्रॉपर्टी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को अभी तक सैलरी नहीं मिली है। सैलरी नहीं मिलने का कारण सीएजी की तरफ से आपत्ति लगाई जाना बताया जा रहा है। पता चला है कि इन विभागों ने सीएजी की तरफ से लगाई गई आपत्तियों का अभी तक जवाब नहीं दिया है। इसी वजह से इन विभागों में तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों की सैलरी रोकी गई है।
प्रत्येक माह की 1 तारीख को आती थी सैलरी
कर्मचारियों ने बताया कि प्रत्येक माह की 1 तारीख को सैलरी मिल जाती थी, लेकिन इस बार नहीं मिली है। आपको बता दें कि योगी सरकार सत्ता में आते ही नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी का सीएजी से जांच करवाने का फैसला लिया गया था। उसके बाद से इन तीनों प्राधिकरण में सीएजी जांच कर रही है।
कर्मचारियों पर टूटा दुखों का पहाड़
इन विभागों में तैनात कर्मचारियों का कहना है कि सैलरी नहीं मिलने के कारण बच्चों की फीस जमा नहीं कर पा रहे हैं। घर में राशन खत्म हो गया है, जो लोग ग्रेटर नोएडा में किराए पर रहते हैं, वह अपने मकान का किराया नहीं दे पा रहे हैं। मौसम बदलने के कारण कुछ कर्मचारियों के बच्चों की भी तबीयत खराब है, जिसकी वजह से वह अपने बच्चों का ठीक तरीके से ट्रीटमेंट भी नहीं कर पा रहे हैं। बिजली का बिल बकाया है।
सीएजी ने लगाई आपत्ति
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सीएजी की ओर से प्रोजेक्ट, प्लानिंग, लैंड और आधी प्रॉपर्टी विभाग में कई आपत्तियां दर्ज करवाई हैं। इन आपत्तियों का निस्तारण करने के लिए सीएजी की ओर से इन विभागों को पत्र भेजे गए हैं, लेकिन विभाग के अधिकारी सीएजी की तरफ से भेजे गए आपत्तियों का जवाब नहीं दे पाए हैं। बताया जाता है कि यही कारण है कि 10 दिन बाद भी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के इन विभागों में तैनात अधिकारियों से लेकर बाबू और चपरासी को भी सैलरी नहीं मिल पाई है।
नोएडा और यमुना प्राधिकरण के अफसर भी जांच के घेरे में
सीएजी की जांच में के गंभीर मामले भी पकड़ में आए हैं। जिसको लेकर उच्च अधिकारी जांच कर रहे हैं। इतना ही नहीं नोएडा प्राधिकरण में काफी मामलों में सीएजी ने अधिकारियों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी भी की है। बताया जा रहा है कि नोएडा प्राधिकरण में 42 ऐसे मामले लंबित हैं, जिनका जवाब अधिकारी नहीं दे पाए हैं। इसमें नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन अधिकारी भी शामिल हैं। नोएडा के अलावा ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना विकास प्राधिकरण में भी सीएजी का शिकंजा कसता जा रहा है।