Tricity Today | अनिल दुजाना के घर में मची चीख-पुकार
Greater Noida News : अनिल दुजाना का शव उसके पैतृक गांव में पहुंच गया है। थोड़ी देर में उसका अंतिम संस्कार होगा। इससे पहले अनिल दुजाना के घर में चीख-पुकार मच गई है। दुजाना गांव के अलावा दूसरे इलाकों की महिलाएं और रिश्तेदार भी अनिल दुजाना के घर पहुंचे हैं। महिलाओं और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। बताया जा रहा है कि अनिल दुजाना की बीवी पूजा और उसके 6 महीने की बेटी भी अपने गांव में पहुंच गए हैं।
एनकाउंटर के बाद ग्रामीणों से की घर की साफ-सफाई
अनिल दुजाना का घर लंबे समय से बंद पड़ा हुआ था। जिसकी वजह से उसके घर पर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग गई थीं। जब गुरुवार को अनिल दुजाना का एनकाउंटर हुआ तो शाम के समय गांव के लोगों ने उसके घर का ताला तोड़ा और साफ-सफाई की थी।
बड़ा भाई भोपाल नागर मेरठ से लाया शव
एनकाउंटर की खबर आते ही उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गई थी। जैसे ही अनिल का शव गांव पहुंचा तो घर में पहले से ही लोग बैठे हुए थे। महिलाएं कुख्यात अनिल दुजाना के शव को देख कर रोने लगी। अनिल का बड़ा भाई भोपाल नागर उसके शव को मेरठ से लेकर आया है।
मेरठ मेडिकल कॉलेज में हुआ था पोस्टमार्टम
मेरठ के मेडिकल कॉलेज में विशेष डॉक्टरों की निगरानी और वीडियोग्राफी में अनिल दुजाना का पोस्टमार्टम हुआ। डॉक्टरों ने पुष्टि करते हुए कहा कि अनिल दुजाना की मौत छाती में गोली लगने की वजह से हुई है। बीते 4 मई 2023 को मेरठ में अनिल दुजाना और यूपी एसटीएफ टीम के बीच मुठभेड़ हुई। जिसमें एनकाउंटर के दौरान अनिल दुजाना ढेर हो गया।
यूपी के टॉप बदमाशों में शामिल था अनिल दुजाना
अनिल दुजाना की गिनती उत्तर प्रदेश के टॉप 65 बदमाशों में होती थी। उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय से माफियाओं और बदमाशों की सूची जारी की गई। जिसमें अनिल दुजाना का नाम भी शामिल था। अनिल दुजाना के ऊपर 65 मुकदमे दर्ज थे और मरने के बाद एक और नया मुकदमा दर्ज हो गया। अनिल दुजाना जैसे ही जेल से बाहर आया, उसने उन व्यक्तियों को धमकी देना शुरू कर दिया, जिनके परिजनों की हत्या की थी। अनिल दुजाना के गैंग में करीब 40-45 लोग हैं।
साल 2002 से शुरू हुआ सिलसिला, दोहरा हत्याकांड किया
यूपी एसटीएफ ने बताया कि अनिल दुजाना ने अपने गैंग के साथ मिलकर सबसे पहले 7 अक्टूबर 2002 को हरवीर पुत्र इच्छा राम की गाजियाबाद के मोदीनगर इलाके में हत्या की थी। इच्छा राम के साथ ग्रेटर नोएडा के रोजा जलालपुर गांव के रहने वाले राजू पुत्र शीशराम को भी मौत के घाट उतार दिया था। इस दोहरे ने दो जिलों गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर में सिस्टम को हिलाकर रख दिया था। तब तक अनिल दुजाना अपराध की दुनिया के लिए मामूली नाम था।
अवैध सरिया कारोबार के चलते कई हत्याएं की गईं
अनिल दुजाना ने 4 मार्च 2007 को विक्रम सिंह पुत्र अतर सिंह की नृशंस हत्या की थी। यह हत्या अनिल दुजाना और उसके गैंग ने दादरी इलाके में की थी। इसके बाद 12 मई 2011 को बुलंदशहर के मूढ़ी बकापुर गांव के रहने वाले विजय पुत्र बलवीर की हत्या की। हत्याओं का यह सिलसिला लगातार जारी रहा। वर्ष 2011 में अनिल दुजाना ने कहर बरपाया। 24 अगस्त 2011 को बादलपुर के रहने वाले आनंद उर्फ नंदू की हत्या कर दी थी। 22 सितंबर 2011 को खेड़ी गांव के रहने वाले जयचंद की हत्या की थी। यह हत्या सरिया के अवैध कारोबार में वर्चस्व को लेकर की गई थी। अनिल दुजाना गैंग के लिए हरेंद्र प्रधान दादूपूर सरिए का कारोबार करता था। जिससे प्रतिद्वंदी होने के चलते जयचंद की हत्या अनिल दुजाना ने की थी। पहले खुद अनिल दुजाना अवैध सरिए का कारोबार सुंदर भाटी के लिए करता था।
जब अनिल दुजाना से थर्रा गया था गाजियाबाद शहर
अपने आपराधिक इतिहास में अनिल दुजाना और उसके साथियों ने सबसे खूंखार और दुस्साहसिक वारदात को गाजियाबाद के साहिबाबाद इलाके में अंजाम दिया था। 18 नवंबर 2011 को एक शादी समारोह में अनिल दुजाना, रणदीप भाटी और अमित कसाना ने अपने गैंग के साथ मिलकर के-47 राइफल से सुंदर भाटी और उसके गैंग पर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। जिसमें 4 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था। उस नृशंस हत्याकांड में घंघोला गांव के रहने वाले शौकीन पुत्र किशनपाल, बादलपुर के रहने वाले नवीन पुत्र अरविंद, करावल नगर दिल्ली के रहने वाले जबर सिंह पुत्र धनपाल और बिसरख ग्रेटर नोएडा के रहने वाले धनवीर पुत्र हरी सिंह की मौत हो गई थी। खास बात यह है कि इस हत्याकांड में मुजफ्फरनगर के कुख्यात रोबिन त्यागी की पत्नी दिव्या सांगवान भी शामिल थी। दिव्या सांगवान ने ही सुंदर भाटी के खिलाफ अनिल दुजाना के लिए मुखबिरी की थी।