- सीईओ के निर्देश पर ग्रीनरी को दुरुस्त करने का अभियान जारी
- उद्यान विभाग ने इस पार्क के वॉटर बॉडी को भी किया पुनर्जीवित
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के उद्यान विभाग ने सेक्टर-36 के पार्क को नए सिरे से सौंदर्यीकृत किया है। सी ब्लॉक में बना यह पार्क अब सेक्टर के पहचान बन चुका है। पार्कमें वाटर बॉडी को पुनर्जीवित कर दिया है। ठंडी और ताजी हवा में सांस लेने के लिए पूरे सेक्टर के निवासी इस पार्क में आने लगे हैं। ग्रेटर नोएडा की पहचान एनसीआर के सबसे हरे-भरे शहरों में होती है।
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बागडोर संभालने के बाद सीईओ व मेरठ मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह ने सबसे पहले शहर की ग्रीनरी को ही और बेतहर बनाने के निर्देश उद्यान विभाग को दिए थे। उद्यान विभाग ने इस पर तत्काल अमल करते हुए अभियान शुरू कर दिया। ग्रेटर नोएडा के सभी रोटरी, रोड साइड ग्रीनरी, ग्रीन बेल्ट और पार्कों आदि को दुरुस्त किया जा रहा है।
इसी कड़ी में उद्यान विभाग ने सेक्टर-36 के पार्क को और हरा-भरा बना दिया है। सेक्टर वासियों के सहयोग से इसे मॉडल पार्क के रूप में विकसित कर दिया गया है। इस पार्क में बने वॉटर बॉडी को भी पुनर्जीवित किया गया है। लोग सुबह-शाम इस वॉटर बॉडी के आसपास बैठकर ठंडी और ताजी हवा का आनंद लेते हैं। सेक्टर के निवासी प्राधिकरण के उद्यान विभाग के इस प्रयास की जमकर सराहना कर रहे हैं। उद्यान विभाग के प्रभारी कपिल सिंह ने बताया कि शहर के अन्य पार्कों को भी और बेहतर बनाया जा रहा है। पार्क में लगी घास और पेड़-पौधों की सिंचाई की जा रही है। आने वाले दिनों में सभी पार्क और बेहतर नजर आएंगे।
पार्क और ग्रीन बेल्ट की रात में भी हो रही सिंचाई
रात में सिंचाई होने से पेड़ों की जड़ें और मजबूत होंगी, उन्हें ज्यादा पानी मिल सकेगा, वे ज्यादा हरे-भरे होंगे, इसे ध्यान में रखते हुए प्राधिकरण का उद्यान विभाग रात में भी सेंट्रल वर्ज, पार्कों व ग्रीन बेल्ट में लगे पेड़ों व घास की सिंचाई करवा रहा है। बृहस्पतिवार रात को भी सेक्टर ईटा वन, जीटा वन और ज्यू टू आदि जगहों पर सिंचाई की गई। इस कार्य में लगे कर्मचारियों से बतौर प्रूफ जीपीएस लोकेशन भी टैग की जा रही है। उद्यान विभाग के प्रभारी कपिल सिंह ने बतया कि उद्यान विभाग का एक व्हाट्स एप ग्रुप बनाया गया है। सिंचाई कार्य में लगे सभी कर्मचारियों को जीपीएस टैगिंग वाले फोटो शेयर करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि धूप में पानी भरने से पेड़ों और घास को नमी कम मिल पाती है। इसलिए रात में भी सिंचाई कराने का निर्णय लिया गया।