शारदा विश्वविद्यालय में दो दिवसीय साइबर सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन, छात्रों को बताये बचाव के तरीके

Greater Noida : शारदा विश्वविद्यालय में दो दिवसीय साइबर सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन, छात्रों को बताये बचाव के तरीके

शारदा विश्वविद्यालय में दो दिवसीय साइबर सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन, छात्रों को बताये बचाव के तरीके

Tricity Today | साइबर सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन

Greater Noida : ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क में स्थित शारदा विश्वविद्यालय (Sharda University) के साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोलॉजी केंद्र ने "साइबर सुरक्षा में हालिया विकास" विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में सरकारी नीति निर्माताओं, साइबर सुरक्षा पेशेवरों, प्रौद्योगिकी और सेवा प्रदाताओं ने भाग लिया। सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य साइबर सुरक्षा के बारे में छात्रों को आवगत कराना रहा। इस सम्मेलन में कुल 11% से भी कम पेपर मौखिक प्रस्तुति के लिए स्वीकार किए गए थे। विशेषज्ञों ने साइबर हमलों को रोकने के तरीकों पर अपने विचार रखे।  

उपकरणों और रणनीतियों की आवश्यकता बढ़ी 
फॉरेंसिक गुरु डॉट कॉम के संस्थापक और डिजिटल इन्वेस्टिगेटर्स एसोसिएशन और साइबर सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष समीर दत्त ने सोशल इंजीनियरिंग के उपयोग से साइबर अपराधों की बढ़ती प्रवृत्ति पर प्रकाश डाला। उन्होंने ऐसे उपकरणों की आवश्यकता पर जोर दिया जिनसे इन हमलों को विफल किया जा सके। उन्होंने बताया कि रक्षा और खुफिया दुनिया के अधिक जुड़े होने से युद्धक विमानों को पहले की तुलना में अधिक तेजी और सटीकता से जानकारी प्राप्त हो रही है। हालांकि, इस बढ़ी हुई कनेक्टिविटी के कारण साइबर हमलों, डेटा लीक और अन्य आईटी सुरक्षा उल्लंघनों के अवसर भी बढ़े हैं। आधुनिक साइबर सुरक्षा मुद्दों की जड़ में यही समस्या है कि प्रौद्योगिकी के विकास के साथ हमारे महत्वपूर्ण नेटवर्कों की सुरक्षा के लिए भी नए उपकरणों और रणनीतियों की आवश्यकता बढ़ती है।

साइबर हमलों से बचाव, साइबर युद्ध की तैयारी
विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च, डॉ. भुवनेश कुमार ने अपने भाषण में साइबर हमलों से बचाव, साइबर युद्ध की तैयारी और साइबर डोमेन में नए नवाचारों के साथ अनुसंधान की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने आधुनिक मामलों के अध्ययन और एआई तथा डीप लर्निंग के उपयोग से नवीन समाधान विकसित करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला। विश्वविद्यालय के साइबर सुरक्षा विभाग के एचओडी डॉ. श्रीकांत ओझा ने साइबर सुरक्षा के आधुनिक परिदृश्य और एआई की भूमिका, सुरक्षा में क्वांटम प्रौद्योगिकी के आगामी प्रभाव तथा पूर्वानुमानित साइबर सुरक्षा के लिए आधुनिक दृष्टिकोण पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि साइबर रक्षा पेशेवरों को विरासत और क्लाउड नेटवर्क, जुड़े हुए हथियार प्रणालियों की सुरक्षा करनी होगी, बुरे लोगों को उनके रास्ते में आने से रोकना होगा और अंत में सहयोगियों का समर्थन करना होगा।

यह लोग रहे मौजूद 
इस सम्मेलन में सैन्य साइबर सुरक्षा के नेता, तकनीकी विशेषज्ञ, शोधकर्ता, शिक्षाविद और उद्योग के सदस्य शामिल हुए। उन्होंने दुनिया में साइबर सुरक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भविष्य के युद्ध मुख्य रूप से साइबर क्षेत्र में ही लड़े जाएंगे। उन्होंने साइबर स्पेस के क्षेत्र में परिचालन प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी बल दिया।

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