अब 800 करोड़ रुपये और चुकाने पड़ेंगे, रजिस्ट्री न करवाना पड़ा भारी

यमुना अथॉरिटी से आवासीय भूखंड लेने वालों को झटका : अब 800 करोड़ रुपये और चुकाने पड़ेंगे, रजिस्ट्री न करवाना पड़ा भारी

अब 800 करोड़ रुपये और चुकाने पड़ेंगे, रजिस्ट्री न करवाना पड़ा भारी

Google Image | यमुना प्राधिकरण कार्यालय

Greater Noida News : इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यमुना सिटी) क्षेत्र के 13 बिल्डर समेत 94 शैक्षिक संस्थानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा किसानों को चुकाना पड़ेगा। अब शुक्रवार को यमुना प्राधिकरण की ओर से जानकारी दी गई है कि 6,508 आवासीय प्लॉटों के आवंटियों को भी यह भुगतान करना होगा। हाईकोर्ट के इस फ़ैसले से आवासीय भूखंडों के मालिकों को भी झटका लगा है। प्राधिकरण इन आवंटियों से भी किसानों का 64.7 प्रतिशत मुआवजे की रकम वसूल करेगा। 

ब्याज सहित भुगतान करना पड़ेगा, रजिस्ट्री नहीं करवाना पड़ा भारी
सेक्टर-18 और सेक्टर-20 में वर्ष 2009 से लेकर 2014 तक निकाली गई आवासीय प्लॉटों की योजना में क़रीब 30,000 प्लॉट आवंटित किए हैं। ऊना आवंटियों ने अब तक अपने भूखंडों की रजिस्ट्री नहीं कराई हैं, उन्हें ब्याज सहित भुगतान करना होगा। आपको बता दें कि किसानों के 64.7 प्रतिशत मुआवजा भुगतान से जुड़े मामले में हाईकोर्ट ने यमुना प्राधिकरण के हित में फैसला सुनाया है। फैसले में 13 बिल्डरों समेत 94 संस्थानों की याचिका को खारिज कर दिया है। किसानों के 64.7 प्रतिशत मुआवजे को ब्याज समेत देने के आदेश दिए गए हैं। प्राधिकरण के मुताबिक बिल्डरों और शैक्षणिक संस्थाओं को प्राधिकरण में 6 हजार करोड़ रुपए जमा करने होंगे। बकाया वसूल करने के लिए प्राधिकरण ने बिल्डर और संस्थाओं के नक्शे पास करने पर रोक भी लगा दी है। इन्हें कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी जारी नहीं किए जाएंगे। इस मामले में शुक्रवार को प्राधिकरण के अधिकारियों ने बकायेदारों की गणना की है। यीडा क्षेत्र के 6508 आवासीय प्लॉट के आवंटी भी इसके दायरे में आ गए हैं। हालांकि, उन्हीं आवंटियों को मुआवजे की 64.7 प्रतिशत राशि का ब्याज समेत भुगतान करना होगा, जिन्होंने 2009 से 2014 तक यीडा की आवासीय प्लॉट स्कीमों में प्लॉट लिया है और अभी तक रजिस्ट्री नहीं कराई है। 

आवासीय आवंटियों पर करीब 800 करोड़ बकाया
प्राधिकरण के अनुमान के मुताबिक इन 6508 आवासीय प्लॉटों के आवंटियों पर करीब 800 करोड़ की देनदारी बनती है। जिसमें अपने-अपने प्लॉट के हिस्से की जमीन का किसानों को दिया गया 64.7 फीसदी का मुआवजा और उसका ब्याज दोनों ही चुकाना है। बता दें कि 2014 में कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि किसानों को उन्हें दिए गए मुआवजे में 64.7 फीसदी पैसा बढ़ाकर प्राधिकरण देगा। इसकी वसूली वह अपने आवंटियों से कर सकता है। प्राधिकरण ने उस समय विभिन्न बैंकों से 4700 करोड़ रुपये लोन लेकर किसानों को बांटा था। आवंटियों से जब पैसा मांगा तो वह कोर्ट चले गए। यह मामला तभी से लंबित पड़ा था।  

2016 में लोगों ने जमा कराने शुरु कर दिए थे पैसे
प्राधिकरण ने वर्ष 2016 में आवंटियों को उनकी देनदारी का हिसाब बनाकर दिया था। 64.7 फीसदी मुआवजे के चलते किस आवंटी को कितना अतिरिक्त पैसा देना है, इसको लेकर पूरा चार्ट तैयार किया गया था। सेक्टर-18 और सेक्टर-20 के कुछ आवासीय आवंटियों ने इसका विरोध किया और कोर्ट चले गए थे। अब कोर्ट के आदेश के अनुसार इन आवंटियों को ब्याज के साथ रकम चुकानी होगी।

यमुना अथॉरिटी ने क्या कहा
यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने कहा, “हाईकोर्ट के फैसला के अनुसार सिर्फ बिल्डर और संस्थान ही नहीं बल्कि 6508 आवासीय आवंटी भी इसके दायरे में आए हैं। उन्हें भी प्राधिकरण में 64.7 प्रतिशत के रूप में 800 करोड़ का भुगतान करना होगा। हम सभी श्रेणी के आवंटियों को यह पैसा जल्दी से जल्दी जमा करने के लिए माँग पत्र भेज रहे हैं।

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