गलगोटिया में शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल शुरू, गजेंद्र चौहान ने कलाकार की बताई पहचान

Greater Noida News : गलगोटिया में शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल शुरू, गजेंद्र चौहान ने कलाकार की बताई पहचान

गलगोटिया में शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल शुरू, गजेंद्र चौहान ने कलाकार की बताई पहचान

Tricity Today | गलगोटिया में शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल शुरू

Greater Noida News : दो दिन चलने वाले ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल का गलगोटिया विश्वविद्यालय में शुभारंभ हो गया। फिल्म फेस्टिवल के जाने माने कलाकार गजेंद्र चौहान ने कार्यक्रम में शामिल अतिथियों के साथ दीप प्रज्ज्वलित करके किया। ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के प्रथम सत्र के प्रारंभ में गलगोटिया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन डॉ आज्ञाराम पांडे ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी।

गलगोटिया विश्वविद्यालय के कुलाधिपति की सलाहकार रेनू लूथरा ने कहा कि मीडिया परिवर्तन का इंस्ट्रूमेंट है। देश में राष्ट्रभक्ति की भावना बढ़ रही है, देश विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि फिल्मों से घटनाओं को अनुभव किया जा सकता है। कला को जीवंत करने के लिए भावनाएं और प्रयास लगते हैं। उन्होंने कश्मीर फाइल और केरल स्टोरी का उदाहरण देकर अपने अनुभव के बारे में बताया।
कार्यक्रम की रूपरेखा
ग्रेटर नोएडा शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल के प्रथम सत्र के प्रारंभ में गलगोटिया विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डीन डॉ.आज्ञाराम पांडे ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। उन्होंने कहा कि फिल्म फेस्टिवल में देश के विभिन्न राज्यों  से 200 से अधिक फिल्मों की एंट्री आईं, जिसमें 111 फिल्मों को फेस्टिवल की थीम के अनुसार सही पाया गया। फिल्मों की समीक्षा फिल्म जगत से जुड़े लोगों द्वारा की गई और उनमें से श्रेष्ठ का चयन किया गया। प्रथम सत्र के अंत में राष्ट्रगीत का गायन हुआ। 

मेहनत करने से सफलता मिलती है : गजेंद्र चौहान
उद्घाटन सत्र में ऐतिहासिक सीरियल महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका निभा चुके गजेंद्र चौहान ने कहा कि कलाकार वह है, जो अपनी कला से भविष्य को आकार देता है। कला अपना रास्ता ढूंढ ही लेती है। कलाकार वही है, जिसके अंदर जिज्ञासाएं हैं। कभी किसी को जीवन में हार नहीं माननी चाहिए, प्रयास से निश्चित रूप से एक दिन सफलता मिलती है।
पटकथा लेखक और निर्देशक आकाश आदित्य लांबा ने कहा, “मैं भी कभी छात्र रहा हूं, सभी व्यक्ति जीवन भर कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं। उन्होंने भारतीय सिनेमा की गुणवत्ता पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि सिनेमा में इनोवेशन आवश्यक है।  हमें इन्नोवेटिव होना चाहिए। भारत में सकारात्मकता का नया माहौल बन रहा है। हम सभी को भारतीय संस्कृति का अध्ययन करना चाहिए। अपनी मूलभूत और ओरिजिनिलिटी को ध्यान में रखना चाहिए। भारत विश्व गुरु रहा था, पुनः विश्व गुरु बनेगा। आकाश आदित्य लांबा गदर जैसी फिल्मों के सह निर्देशक रह चुके हैं।”

कलाकार सुप्रिया शुक्ला ने कहा-
टेलीविजन और फिल्मों की जानी-मानी कलाकार सुप्रिया शुक्ला ने कहा कि हमें अपनी फिल्मों में अपनी संस्कृति दिखानी चाहिए। दुनिया के तमाम देश अपने सिनेमा में अपनी संस्कृति को गौरव के साथ दिखाते हैं। हमारे पास तो संस्कृति के विविध तत्व मौजूद हैं, जिन्हें सिनेमा के जरिए दर्शकों तक पहुंचाया जा सकता है। हमें सिनेमा के जरिए अपनी संस्कृति को समृद्ध बनाना है।

भारत की संस्कृति पूरी दुनिया का करेगी मार्गदर्शन
संयुक्त क्षेत्र प्रचारक प्रमुख कृपा शंकर ने कहा कि जला हुआ दीपक ही बुझे हुए दीपकों को जला सकता है। हजार बुझे हुए दीपक एक दीपक नहीं जला सकते, लेकिन एक जला हुआ दीपक हजारों बुझे हुए दीपकों को जला सकता है, हम सभी को जला हुआ दीपक बनना है। आने वाले समय में भारत की संस्कृति पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करेगी। सिनेमा इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

क्षेत्र प्रचारक प्रमुख पदम सिंह ने कहा, “हमें आने वाले 25 वर्षों के लिए अपनी भूमिका तय करनी है। विश्व गुरु भारत और बसुधैव कुटुंबकम भारत के लिए अपनी वर्तमान में अपनी भूमिका तय करनी है। आने वाले समय में भारत निश्चित रूप से विश्व गुरु बनेगा। हमें अपने अंदर झांकना है और अपनी भूमिका तय करनी है। हमें देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पहचानना होगा। फिल्मों का समाज पर गहरा प्रभाव होता है। फिल्में भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।”

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