पुलिस-पब्लिक पार्टिसिपेशन के साथ माइक्रो पुलिसिंग होगी और दिखेगा एक्शन का रिफ्लेक्शन

लक्ष्मी सिंह ने कहा : पुलिस-पब्लिक पार्टिसिपेशन के साथ माइक्रो पुलिसिंग होगी और दिखेगा एक्शन का रिफ्लेक्शन

पुलिस-पब्लिक पार्टिसिपेशन के साथ माइक्रो पुलिसिंग होगी और दिखेगा एक्शन का रिफ्लेक्शन

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर की नई पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह से खास बातचीत

Greater Noida : गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट की नई आयुक्त लक्ष्मी सिंह ने विधिवत कामकाज संभाल लिया है। उनसे 'ट्राईसिटी टुडे' ने खास बातचीत की है। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ने जिले की कानून-व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए अपना एक्शन प्लान साझा किया है। जिसमें खासतौर से 3 हिस्से हैं। उनका मानना है कि पुलिस ना केवल कार्रवाई करें बल्कि कार्रवाई करते हुए दिखने भी चाहिए। पुलिस के कामकाज में 'पुलिस पीपल पार्टिसिपेशन' यानी जनसहभागिता जरूरी है। पुलिसकर्मी कुछ चुनिंदा लोगों तक सीमित नहीं रहे। उनकी पहुंच व्यापक होनी चाहिए।

1. पुलिस-पब्लिक पार्टिसिपेशन : लक्ष्मी सिंह ने कहा, "कानून-व्यवस्था को संभालना और अपराध को नियंत्रित करना सभी की संयुक्त जिम्मेदारी है। अगर जनता पुलिस का सहयोग करेगी तो पुलिस भी जनता के आगे चलती हुई नजर आएगी। हम जनसहयोग के माध्यम से आगे बढ़ेंगे। मैं लखनऊ में बतौर आईजी अपने अनुभव से कह सकती हूं कि अगर 'पब्लिक-पुलिस पार्टिसिपेशन' हो तो हत्या जैसे जघन्य अपराधों को रोका जा सकता है। हमने यह लखनऊ में करके दिखाया है। पूरे लखनऊ जोन में उत्तर प्रदेश में सबसे कम हत्याओं की वारदातों का रिकॉर्ड कायम किया।" उन्होंने आगे कहा, "गौतमबुद्ध नगर मेट्रोपॉलिटन अर्बन पुलिसिंग का शानदार केंद्र बनेगा। हम कंसलटिंग पुलिस को बढ़ावा देंगे। लोगों के विचार जानेंगे। उनके बीच जाएंगे। उनकी समस्याएं सुनेंगे और उनसे सुझाव लेकर समाधान करेंगे। पुलिस आयुक्त व्यवस्था परंपरागत पुलिस से बिल्कुल अलग है। पुलिस आम आदमी के साथ 'फ्रेंडशिप बिहेवियर' करेगी लेकिन अपराधियों के प्रति 'जीरो टोलरेंस पॉलिसी' बरकरार रहेगी।"

2. माइक्रो पुलिसिंग : लक्ष्मी सिंह ने कहा, "टेक्नोलॉजी, सोशल मीडिया और अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करके पुलिसिंग को मुकम्मल शक्ल देना संभव नहीं है। बीट सिस्टम को और मुखबिर तंत्र को बेहतर बनाया जाएगा।" उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा, "मानो किसी गांव में सब इंस्पेक्टर गए हैं तो उन्हें केवल प्रधान जी या गांव के एक-दो लोगों के यहां बैठकर वापस नहीं लौट आना चाहिए। अगर सब इंस्पेक्टर या एसएचओ अपनी बाइक-जीप पूरे गांव में घुमाकर 10-20 लोगों से बात कर लेंगे तो पुलिस की मौजूदगी पूरे गांव में महसूस होगी। हम केवल चुनिंदा लोगों तक सीमित नहीं रहेंगे। सामान्य तौर पर थाना स्तर के पुलिसकर्मी निष्पक्ष रहते हैं लेकिन जब वह गांव, सेक्टर या सोसाइटी में कुछ चुनिंदा लोगों से ही मिलकर वापस लौट आते हैं तो बाकी सारे लोग उन्हें प्रभावित मानने लगते हैं। ऐसे में सही एक्शन को पक्षपातपूर्ण करार देने लगते हैं। पुलिस इससे बचने का प्रयास करेगी। 'माइक्रो पुलिसिंग' पर पूरा ध्यान दिया जाएगा।" लक्ष्मी सिंह कहती हैं, "एक पुलिस वाले का इकबाल इतना होना चाहिए कि वह जहां खड़ा हो उसके 200 मीटर के दायरे में कोई अपराध ना हो। पुलिस अगर कहीं जाए तो लोगों को इस बात का पता चलना चाहिए। अपराध को कम करने में पुलिस की मौजूदगी ही सबसे बड़ा संसाधन है।"

3. एक्शन का रिफ्लेक्शन : अपनी पुलिसिंग के तीसरे पॉइंट पर लक्ष्मी सिंह ने कहा, "किसी क्राइम को रोकने या क्राइम होने के बाद उससे जुड़ी तमाम प्रक्रियाएं पुलिस पूरा करती है। समय पर तफ्तीश पूरी हो जाती है। चार्जशीट लगा दी जाती है। दूसरी निरोधात्मक कार्रवाई भी हो जाती हैं लेकिन इन सबके बारे में आम आदमी तक कोई जानकारी नहीं पहुंचती है। इससे लोगों को लगता है कि पुलिस कुछ नहीं कर रही है। जबकि सही मायने में पुलिस बहुत कुछ करती रहती है। मैं कोशिश करूंगी कि पुलिस के 'एक्शन का रिफ्लेक्शन' दिखना चाहिए। मतलब, पुलिस जो करे वह आम आदमी को होते हुए भी दिखना चाहिए। इससे आम आदमी के मन में पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ेगा।"

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