Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट के लिए कई सवाल इस समय लोगों के बीच में हैं, उन्हीं सवालों का जवाब लेने के लिए एक बार फिर वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाराशर हमारे साथ है। पढ़िए मुख्य अंश...
सवाल : गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट पर भाजपा उम्मीदवार डॉ.महेश शर्मा के पक्ष में देश के दिग्गज नेताओं ने ताकत झोंक दी है, लेकिन अगर बात की जाए विपक्ष की तो एक भी दिग्गज या बड़ा चेहरा मैदान में नहीं आया है। तो इसका असली कारण क्या है? जवाब : भारतीय जनता पार्टी चुनाव को बेहद चुस्त और बेहद संगीतगी के साथ लड़ती है। यह पिछले लगातार विधानसभा लोकसभा चुनाव में देखने के लिए मिलता रहा है। डॉक्टर महेश शर्मा का पूरा जोर इस चीज के ऊपर है कि इस बार उनका विनिंग मार्जिन अच्छा खासा बड़ा होना चाहिए। वह विपक्ष की गैर मौजूदगी का भरपूर फायदा उठाना चाहते हैं। यही वजह है कि वह लगातार भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं को गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र में बुला रहे हैं। दूसरी तरफ अगर विपक्ष की बात करें तो विपक्ष को ही मालूम है कि गौतमबुद्ध नगर में कितना भी ताकतवर नेता बुला लें, लेकिन वह सब बेकार जाएगा। क्योंकि यह सीट भारतीय जनता पार्टी की डोमिनेंस वाली सीट है। यहां बीजेपी बहुत मजबूत है। केवल डॉक्टर महेश शर्मा के लिए टारगेट है अपना विनिंग मार्जिन बढ़ाना और विपक्षी पार्टियों के लिए टारगेट है कि दूसरे नंबर पर कौन आए। इसलिए विपक्ष के नेता गौतमबुद्ध नगर में आकर अपना समय बेकार नहीं करना चाहते है।
सवाल : क्या विपक्ष ने चुनाव से पहले ही अपने हथियार डाल दिए है? जवाब : अगर विपक्ष की पार्टी कांग्रेस, बसपा और समाजवादी पार्टी के नेताओं की बॉडी लैंग्वेज आप देखेंगे तो आप साथ तौर पर पहचान सकते हैं कि वह चुनाव शुरू होने से पहले ही हथियार डाल चुके हैं। तमाम ऐसे स्टेटमेंट अखिलेश यादव, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के आ रहे हैं। जिसमें वह सीधा सरकार के ऊपर आरोप लगा रहे हैं कि हमें चुनाव लड़ने नहीं दिया जा रहा है। तो यह स्टेटमेंट जो आते है, यह आने वाले भविष्य को रिफ्लेक्शन करते हैं। यह बिल्कुल कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय जनता पार्टी के सामने विपक्ष घुटने टिकाकर बैठा हुआ है और फाइट में नहीं है।
सवाल : वेस्ट यूपी में ठाकुर समाज भाजपा से नाराज है। दूसरी ओर बसपा ने ठाकुर उम्मीदवार खड़ा किया है, क्या इसका असर गौतमबुद्ध में पड़ेगा? जवाब : पहली बात यह है कि अभी परिणाम आएंगे, मतदान होगा और रुझान का पता चलेगा। लेकिन अगर आप वोटर की बात करेंगे तो राजपूत (क्षत्रिय या ठाकुर) समाज में भारतीय जनता पार्टी का कोर वोटर है। सबसे इंपोर्टेंट बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी उसे अपना कोर वाटर मानती हैं। दूसरी तरफ अगर देखेंगे कि अखिलेश यादव PDA की बात कर रहे हैं, लेकिन उसमें आप देखेंगे तो कहीं भी अगड़ा यानी कि क्षत्रिय, ब्राह्मण या वेश्य सामान शामिल नहीं है। अगर बहुजन समाज पार्टी की आप बात करेंगे तो अभी मायावती ने अपना टोन सेट नहीं किया है। अभी तक तो उनके सामने यही संघर्ष है कि इस बार कि वह सभी 80 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ ले। गौतमबुद्ध नगर में उन्होंने ठाकुर समाज के कैंडिडेट को उतारा है। हो सकता है कि उन्होंने यह प्लान किया हो कि ठाकुरों की नाराजगी नजर आ रही है तो उसका फायदा उठाते हैं। मायावती एक बार फिर अपने 2007 के फार्मूले पर लौटी है। अगर अगड़ो और दलितों का उनका वोट बैंक एक साथ हो जाए तो हो सकता है कि कहीं कामयाबी मिल जाए। लेकिन एक और बड़ी बात है कि जब बात यह आती है कि ठाकुर भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर क्या राजेंद्र सोलंकी को वोट देंगे तो भारतीय जनता पार्टी के पास राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ और सत्येंद्र सिसोदिया जैसे दिग्गज है। बड़े-बड़े पद वाले ठाकुर नेता भाजपा के पास है तो क्या लोग यह देखेंगे कि हम योगी, राजनाथ और सत्येंद्र सिसोदिया के साथ जाए या फिर राजेंद्र सोलंकी के पास जाए। यह विरोध आते हुए अंत में काफूर हो जाएंगे।
सवाल : जिले का गुर्जर समाज किसके साथ जाएगा, क्योंकि सपा ने गुर्जर उम्मीदवार को मैदान में उतारा है और गौतमबुद्ध नगर को गुर्जरों का गढ़ कहा जाता है? जवाब : क्या असर पड़ेगा, आज भारतीय जनता पार्टी के पास गुर्जर नेताओं की कमी है! भारतीय जनता पार्टी में सुरेंद्र सिंह नागर हैं, भारतीय जनता पार्टी में दादरी के विधायक तेजपाल नागर हैं, भारतीय जनता पार्टी में पूर्व मंत्री नवाब सिंह नागर हैं भारतीय जनता पार्टी में एमएलसी नरेंद्र भाटी है, भारतीय जनता पार्टी में पूर्व मंत्री पूर्व और विधायक वेदराम भाटी है, पूर्व दादरी के विधायक सतबीर गुर्जर है। मतलब एक लिस्ट है। जिसमें पिछले 10 वर्षों के दौरान तमाम पार्टियों के जो गुर्जर नेता है, वह पुरानी पार्टियों को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में चले गए। मैं तो यह बात कहता हूं कि केवल दूसरी पार्टी में वही बचा है, जिसको भारतीय जनता पार्टी ने नहीं लिया।अगर कोई कहे कि भारतीय जनता पार्टी को गुर्जर वोट नहीं मिलेंगे तो वह समझ से परे है।
सवाल : अगर पहले नंबर पर भाजपा रहेगी तो दूसरे नंबर पर कौन रहेगा? जवाब : बसपा के पास दलित वोटर है और समाजवादी पार्टी के पास अल्पसंख्यक वोटर है। अगर राजेंद्र सोलंकी मायावती के दलित वोटरों के साथ अपने समाज के लोगों को जोड़ने में कामयाब हुए तो वह दूसरे नंबर पर पहुंच जाएंगे, लेकिन अगर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार डॉ.महेंद्र नागर अल्पसंख्यकों के साथ अपनी बिरादरी के कुछ वोटरों को लेकर आता है तो दूसरे नंबर पहुंच जाएंगे, लेकिन कुल मिलाकर बसपा और सपा के दोनों उम्मीदवारों के बीच फाइट दूसरे नंबर पर आने के लिए है।