मैं जानता था जो मैं और मेरे बेटे नहीं कर पाए, वह एक दिन मेरी पोती जरूर कर दिखाएगी

पार्शवी चोपड़ा और परिवार से खास बातचीत : मैं जानता था जो मैं और मेरे बेटे नहीं कर पाए, वह एक दिन मेरी पोती जरूर कर दिखाएगी

मैं जानता था जो मैं और मेरे बेटे नहीं कर पाए, वह एक दिन मेरी पोती जरूर कर दिखाएगी

Tricity Today | पार्शवी चोपड़ा

Greater Noida News : पहला अंडर-19 महिला वर्ल्ड कप भारत ने जीत लिया। विश्वविजेता टीम में ग्रेटर नोएडा की शान पार्शवी चोपड़ा भी शामिल थीं। पार्शवी भारतीय महिला क्रिकेट में एक उभरता हुआ सितारा हैं। बेटी ने साउथ अफ्रीका में इंग्लैंड को करारी शिकस्त देने में भारतीय टीम को भरपूर सहयोग किया। 16 वर्षीय पार्शवी ग्रेटर नोएडा की प्लूमेरिआ गार्डन एस्टेट में रहती हैं। लेग स्पिनर के तौर पर पार्शवी ने भारतीय टीम के लिए सबसे ज्यादा विकेट हासिल किए। उनकी गेंदबाज दक्षिण अफ्रीका में टूर्नामेंट जीतने का आधार बनी है।

तुरुप का पत्ता साबित हुई पार्शवी की गुगली
पार्शवी ने कहा, "दक्षिण अफ्रीका के पोटचेफस्ट्रूम में श्रीलंका के खिलाफ वाले मैच में एक गुगली थी, जो तुरुप का पत्ता साबित हुई। मुझे उस गेंद ने टूर्नामेंट में शीर्ष भारतीय विकेट लेने वाली खिलाड़ी बना दिया। मैंने उस दिन पारंपरिक लेग-स्पिन को छोड़ दिया और एक गुगली फेंक दी। गेंद को श्रीलंका की कप्तान विस्मी गुणारत्ने समझ नहीं पाईं और ऑफ स्टंप में जाकर गेंद गिरी।" पार्शवी अपना आदर्श दिवंगत ऑस्ट्रेलियाई दिग्गज स्पिनर शेन वार्न को मानती हैं। उनका मानना है कि अभी तो बस शुरुआत है और बहुत कुछ आना बाकी है।

शाकाहारी पार्शवी ने खाएं केवल फल और दही 
भारत ने 29 जनवरी को टूर्नामेंट के फाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ शानदार जीत दर्ज की। पार्शवी ने उस मैच में दो विकेट लिए, जिससे टूर्नामेंट में उनके शिकारों की संख्या 11 हो गई। जिससे वह 16-दिवसीय टूर्नामेंट में दूसरी सबसे अधिक विकेट लेने वाली खिलाड़ी बन गईं। पार्शवी के सामने एक तरफ दुनिया की शीर्ष बल्लेबाजों की चुनौती थी तो दूसरी तरफ ग्रेटर नोएडा की इस किशोरी के लिए और बड़ी चुनौती अफ्रीका में सुपाच्य शाकाहारी भोजन की अनुपलब्धता थी। पार्शवी ने बताया, "मैं पूरी तरह शाकाहारी हूं। मैंने खाना खाने के लिए काफी संघर्ष किया। वहां शाकाहारी भोजन में सिर्फ फल और दही थे, लेकिन मांसहारी भोजन वालों के लिए बहुत वैरायटी थीं।"

पार्शवी का पहला प्यार है स्केटिंग
पार्शवी चोपड़ा का पहला प्यार स्केटिंग था लेकिन परिवार के डीएनए में क्रिकेट है तो धीरे-धीरे उनका झुकाव क्रिकेट की तरफ बढ़ता गया। उनके दादा और पिता ने जोनल लेवल पर यह खेल खेला है लेकिन इस तरह इंटरनेशनल चैंपियनशिप में क्रिकेट खेलने वाली वह अपने परिवार की पहली महिला हैं। पार्शवी चोपड़ा के पिता गौरव चोपड़ा ने कहा, "क्रिकेट हमारे खून में है। मेरे पापा जोनल के लिए खेल चुके हैं। मैं और मेरा भाई क्लब क्रिकेट खेल चुके हैं।"

सचिन तेंदुलकर ने की तारीफ
भारत लौटने के बाद टीम को अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में बुलाया गया। एक फरवरी को यह कार्यक्रम था। जिसमें सचिन तेंदुलकर और बीसीसीआई के अधिकारियो ने सम्मानित किया। सचिन तेंदुलकर ने दिल खोलकर पार्शवी की तारीफ की। उसके अगले दिन पार्शवी का ग्रेटर नोएडा में ढोल धमाकों के साथ स्वागत किया गया।

‘यह सबसे खास एहसास है’
पार्शवी के पिता गौरव चोपड़ा कहते हैं, "आज हम आज जितने खुश हैं, उतने खुश नहीं होते अगर वह सीनियर भारतीय टीम के साथ जीती होतीं। दरअसल, यह पहली बार है जब वह U-19 महिला क्रिकेट विश्वकप में खेल रही थीं। यह सबसे खास एहसास है। पार्शवी की मां शीतल शर्मा कहती हैं, "ये सिर्फ हमारे परिवार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए भावुक पल हैं। आज पूरे देश को यकीन हो गया है कि वर्ल्डकप भारत की झोली में आने वाला है।"

‘यकीन था पोती कुछ करके दिखाएगी’
पार्शवी के दादाजी परशुराम चोपड़ा कहते हैं, "पार्शवी हमारे खानदान की इकलौती बेटी हैं। मैं उसके जन्म से ही जानता था कि जो मैं और मेरे बेटे नहीं कर पाए, वह एक दिन मेरी पोती जरूर कर दिखाएगी।"

गर्व से भरे बेहद खुश नजर आये कोच
पार्शवी के कोच विकास भाटिया युवराज सिंह के हेड कोच रह चुके हैं। वह कहते हैं, "आगामी महिला इंडियन प्रीमियर लीग पार्शवी चोपड़ा को राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। एक गुरु को और क्या चाहिए? उसका चेला ऐसी जानदार जीत हासिल करे।"

'पार्शवी का समर्पण देखने लायक था'
विकास भाटिया की ग्रेटर नोएडा में क्रिकेट अकादमी है। पार्शवी वहीं खेलने जाती हैं। वह आगे कहते हैं, "क्रिकेट के प्रति पार्शवी का समर्पण देखने लायक था। साल 2017-18 में जब पार्शवी अकादमी में शामिल हुईं तो हिमाचल महिला क्रिकेट टीम यहां खेलने आई थी। हरलीन देओल और रेणुका सिंह जैसी सीनियर खिलाड़ी भी टीम में खेल रही थीं। पार्शवी 13 साल की भी नहीं थीं और उसने अभी खेलना शुरू किया था, लेकिन उसने मैदान पर क्षेत्ररक्षण में अपना सबकुछ झोंक दिया था।" वह कहते हैं कि मुझे पता था कि उनके हाथों में एक नवोदित चैंपियन था।

पार्शवी करती हैं सातों दिन 4 घंटे प्रैक्टिस 
गौरव चोपड़ा ने बताया, "मैंने कभी इसकी प्रैक्टिस पर ब्रेक नहीं लगने दिया। ये सातों दिन चार घंटे अकादमी जाती है और प्रैक्टिस करती है। इसने कोरोना में भी प्रैक्टिस की और हमने उसे दो अकादमी से ट्रेनिंग दिलवाई है। जैसा उसने चाहा, वैसा किया। कोरोना के टाइम हमने प्राइवेट सुविधाएं दिलवाईं। जिससे उसकी प्रैक्टिस में कोई मुश्किल नहीं आई।"

मोबाइल पर समय बर्बाद नहीं किया
पार्शवी चोपड़ा के पिता ने बताया कि पार्शवी ने कभी मोबाइल पर समय नहीं बिगाड़ा। उसको फेम पसंद है लेकिन वो बहुत संकोची है। शर्मीले स्वभाव की है। भगवान पर भरोसा रखती है और बहुत ही संतुलित जीवन जीती है। उसको पता है कि कब पढ़ाई पर फोकस करना है और कब सिर्फ क्रिकेट पर करना है। वो दोनों चीजों को आपस में मिलाती नहीं है। आज के यूथ को ये समझना होगा कि मोबाइल में कीमती समय न जाया करें। लाइफ बनाने के लिए कोई भी स्पोर्ट खेलें लेकिन एक्टिव रहें और पढ़ाई-लिखाई पूरी लगन से करें।

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