Greater Noida News : मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को ग्रेटर नोएडा बादलपुर गांव में हुआ। उनके पिता प्रभुदयाल दादरी के पास एक पोस्ट ऑफिस में काम करते थे। मायावती ने अपना ग्रेजुएशन दिल्ली का कालिंदी कॉलेज से किया है। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी और गाजियाबाद के एक कॉलेज से बीएड किया। मायावती शुरुआत में दिल्ली के इंदरपुरी जेजे कॉलोनी में रहती थीं। वह दिन में बच्चों को पढ़ातीं और रात में सिविल सर्विस की परीक्षा की तैयारी करती थीं।
आसान नहीं थी जिंदगी
दिसंबर 1977 की सर्द रात थी। दिल्ली के खचाखच भरे कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजनारायण भाषण दे रहे थे। राजनारायण की छवि इंदिरा गांधी को चुनौती देने वाले एक कद्दावर नेता के रूप में थी। उस समय हॉल कई दलित समुदाय के लोग बैठे थे, लेकिन इस बीच राजनारायण ने एक बात का ध्यान नहीं दिया। वह लगातार अपने संबोधन में 'हरिजन' शब्द का जिक्र कर रहे थे। राजनारायण का भाषण खत्म हुआ। तभी मंच पर 21 साल की एक युवती चढ़ी और राजनारायण पर जमकर हमला बोला। उसने कहा, "आप हमें बार-बार हरिजन कहकर अपमानित कर रहे हैं।" इस एक रात ने उस युवती की जिंदगी बदल दी। वक्त का पहिया घूमा और कुछ सालों बाद वह लड़की देश की सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य की मुख्यमंत्री बनी, लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं था। इसे पूरा करने के लिए मायावती को लंबे संघर्ष से गुजरना पड़ा। कई ताने सुनने पड़े और परिवार तक छोड़ना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
फिर बदला मायावती का वक्त
दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब वाली जिस घटना का जिक्र हमने आप से किया, उस वक्त सभा हॉल में बामसेफ के कुछ लोग मौजूद थे। मायावती जब मंच से राजनारायण पर हमला कर उतरीं, तो उन्हें बधाई देने के लिए दलित नेताओं में होड़ लग गई। ये बात बामसेफ के प्रमुख कांशीराम के कानों तक भी पहुंची। एक रात कांशीराम मायावती के जेजे कॉलोनी स्थित घर पर पहुंचे। मायावती के पिता ने दरवाजा खोला को देखा कि गले में मफलर डाले एक अधेड़ उम्र का शख्स खड़ा था।
"और मायावती को मिल गया ऑफर"
मायावती के घर उस वक्त लाइट नहीं थी। कांशीराम ने देखा कि वह लालटेन की रोशनी में इतनी रात में पढ़ाई कर रही थीं। कांशीराम ने मायावती से पहला सवाल पूछा, "तुम आईएएस बनकर क्या करोगी?" इस पर मायावती ने कहा कि वो आईएएस बनकर अपने समुदाय के लोगों की सेवा करेंगी। इस पर कांशीराम ने मायावती से कहा कि मैं तुम्हें एक ऐसा नेता बना सकता हूं जिसके पीछे एक नहीं, दसों कलेक्टरों की लाइन लगी रहेगी। तब तुम सही मायनों में अपने लोगों की सेवा कर पाओगी।
मायावती ने कैसे की बगावत
कांशीराम की बातों से मायावती प्रभावित हुई। वह उनके बताए गए रास्तों पर चलना चाहती थी, लेकिन मायावती के पिता इसके खिलाफ खड़े हो गए। उन्होंने साफ-साफ कहा, "तुम कांशीराम से मिलना बंद कर दो और आईएएस की तैयारी दोबारा शुरू करो, वरना घर छोड़ दो।" इसके बाद मायावती ने बतौर टीचर जुटाए कुछ पैसों और कपड़ों को अपने सूटकेस में रखा और पार्टी ऑफिस में आकर रहने लगीं। कहते हैं कि कांशीराम बेहद ही गर्म मिजाज के शख्स थे। लेकिन मायवती से उनकी अच्छी केमेस्ट्री थी। अगर वह कभी मायावती पर गुस्सा करते, तो वह भी ठीक उसी भाषा में जवाब देती थीं।
तीन चुनावों में करारी हार, फिर पहुंची लोकसभा
कांशीराम ने 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की थी। इसके बाद मायावती को 1984 में कैराना से लोकसभा का उम्मीदवार बनाया गया, लेकिन वो हार गईं। इसके बाद फिर 1985 में बिजनौर और 1987 में हरिद्वार से बसपा की प्रत्याशी बनीं, लेकिन फिर हार गईं। लेकिन एक वक्त के बाद किस्मत ने करवट ली और फिर मायावती ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1989 में बसपा के टिकट पर मायावती ने चुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा पहुंची।
यूपी की सबसे युवा मुख्यमंत्री
वक्त का पहिया घूमता रहा और मायावती की छवि देश की एक कद्दावर नेता के रूप में बनती चली गई। 1995 में बेहद थोड़े समय के लिए ही सही, लेकिन मायावती ने उत्तर प्रदेश की सबसे युवा और पहली दलित मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद 1997, फिर 2002 में भी कम अंतराल के लिए मुख्यमंत्री बनीं। लेकिन 2007 में मायावती जब यूपी की सीएम बनीं, तो उन्होंने पूरे 5 साल पूरे किए।
1995 का वीभत्स गेस्ट हाउस कांड
ये घटना मायावती के जीवन की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है। दरअसल, वर्ष 1993 में बसपा और सपा ने गठबंधन कर सरकार बनाई थी। लेकिन ये रिश्ता ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाया। इसके बाद 2 जून 1995 को शाम 4 बजे स्टेट गेस्ट हाउस पर करीब 200 मुलायम समर्थकों ने हमला बोल दिया। ये सभी गेस्ट हाउस का मुख्य द्वार तोड़कर अंदर घुस आए और मायावती समर्थकों की पिटाई की। इन्होंने कमरे के बिजली-पानी का कनेक्शन तक काट दिया। मायावती उस समय करीब रात 1 बजे तक वहां कैद रही थीं।
विवादों से जुड़ा कई बार रिश्ता
मायावती के नाम कई विवाद भी जुड़े। कहते हैं कि मायावती ने इस बात की सख्त हिदायत दे रखी थी कि उनके अलावा मंच पर कोई दूसरा नेता जूते पहनकर न चढ़े। 1999 में वाजपेयी सरकार केवल 1 वोट से गिर गई थी। इसकी वजह भी मायावती ही थीं। उन पर शहरों और विश्वविद्यालयों के नाम बदलने और पार्क बनवाने व उसमें मूर्तियां लगवाकर करोड़ों बर्बाद करने का भी आरोप है। 2008 में एक बार उनके दौरे से ऐन पहले कलेक्टर ने नाले की मरम्मत करवा दी थी। इसकी जानकारी लगने पर उन्होंने कलेक्टर का तबादला कर दिया था।
भ्रष्टाचार के लगे गंभीर आरोप
मायावती पर भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप लगे। ताज कॉरिडोर मामले से लेकर ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के फंड को इधर-उधर करने के मामले में उनकी काफी किरकिररी हुई थी। 2012 में दाखिल हलफनामे में उन्होंने अपनी संपत्ति 112 करोड़ रुपये से अधिक बताई थी। इसमें करीब 1 करोड़ रुपये से ज्यादा के आभूषण थे। इतना ही नहीं, मायावती के रिश्तेदारों पर भी आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप लगे हैं। उनकी पार्टी पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगते रहते हैं।
हाशिए पर चला गया बसपा का सियासी भविष्य
जिन मायावती को एक समय में विश्व की टॉप 100 महिला अचीवर्स की लिस्ट में जगह मिली थी, आज उनका सियासी भविष्य हाशिए पर चला गया है। मायवाती ने राजनीतिक पंडितों को हमेशा गलत साबित किया है। लेकिन 2012 के बाद से उनका और उनकी पार्टी का सियासी भविष्य अधर में चला गया है। 2014 की मोदी लहर में उनकी पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। 2019 में उन्हें थोड़ा फायदा जरूर मिला, लेकिन पार्टी अभी भी वापसी नहीं कर पाई है।