सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- अभी जेल में ठीक है

बड़ी खबर : सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- अभी जेल में ठीक है

सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- अभी जेल में ठीक है

Tricity Today | चेयरमैन आरके अरोड़ा

Greater Noida : सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा की जमानत याचिका खारिज हो गई है। शनिवार को दिल्ली में स्थित पटियाला हाउस कोर्ट में आरके अरोड़ा की जमानत पर सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया। अभी उन्हें जेल में रहना पड़ेगा। आरके अरोड़ा 10 जुलाई 2023 को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे, तब से वह जेल में है।

सुनवाई के दौरान आरके अरोड़ा के वकील और जज साहब ने क्या कहा
सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने दलीलों और गवाहों को सुनते हुए सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आरके अरोड़ा की जमानत को खारिज किया है। आरके अरोड़ा की तरफ से परिवर्तन निदेशालय की पूछताछ खत्म होने के बाद जमानत याचिका दायर की गई थी। आरके अरोड़ा के वकील ने कोर्ट में कहा है कि परिवर्तन निदेशालय की कार्यवाही अधिकारों के विपरीत है। उन्होंने यह तर्क दिया है कि सुपरटेक लिमिटेड द्वारा भूमि पार्सल की खरीद से संबंधित कथित डायवर्शन कंपनी का उद्देश्य के भीतर है। हालांकि, अदालत ने परिवर्तन निदेशालय द्वारा आरोपी की जमानत याचिका का विरोध किए जाने को सही बताया है। अदालत ने कहा है कि मामले की जांच प्राथमिक चरण में है, इसलिए अभी जमानत नहीं दे सकते।

अब सुपरटेक बिल्डर का क्या होगा?
अब एक और बड़ी रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक डूबने के कगार पर पहुंच गई है। सवाल है कि वेंटिलेटर पर पहुंचे सुपरटेक ग्रुप के बायर्स को घर कैसे मिलेंगे? गौतमबुद्ध नगर में प्रॉपर्टी मामलों के जानकार एडवोकेट मुकेश शर्मा का कहना है, "यदि कंपनी दिवालिया हुई तो हालात बद से बदतर हो जाएंगे। पिछले सप्ताह सुपरटेक के चेयरमैन आरके अरोड़ा को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया है। 

27 हजार बायर्स का भविष्य क्या होगा?
अब सवाल उठ रहे हैं कि इसमें फंसे 27 हजार बायर्स का भविष्य क्या होगा? क्या यह कंपनी अन्य कंपनियों की तरह दिवालिया हो सकती है। सुपरटेक की हालत बिल्कुल वैसी होती जा रही है, जैसी चार साल पहले यूनिटेक की हुई थी।" रियल एस्टेट मामलों के जानकार और थ्री-सी ग्रुप की कंपनी में आईआरपी रह चुके मनीष अग्रवाल का कहना है, "यदि एक-दो झटके और लगे तो दिवालिया होने से सुपरटेक समूह को बचा पाना मुश्किल होगा। ऐसे में बायर्स के लिए ही संघर्ष बढ़ेगा। उसके बाद फंड का नए सिरे से इंतजाम करना और प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की जिम्मेदारी किसकी होगी? यह तय होने में लंबा वक्त निकल जाएगा।"

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