बोड़ाकी गांव के किसानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रशासन से मांगा जवाब

दिल्ली-मुम्बई रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट : बोड़ाकी गांव के किसानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रशासन से मांगा जवाब

बोड़ाकी गांव के किसानों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और प्रशासन से मांगा जवाब

Google Image | बोड़ाकी गांव

दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल रेलवे फ्रेट कॉरिडोर के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण पर बोड़ाकी के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और रेलवे बोर्ड को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। किसानों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के लिए पहले जमीन गांव के बाहर खरीदी गई थी। अब उस जमीन को खाली छोड़ दिया गया है। अब रेलवे कोरिडोर गांव के बीच से निकाला जा रहा है। इसके लिए फिर जमीन खरीदी जा रही है। इससे गांवों को विस्थापित करने का बड़ा संकट खड़ा हो गया है।

दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल रेलवे कॉरिडोर बनाने के लिए ग्रेटर नोएडा में बोड़ाकी और रिठौरी गांव की जमीन ली जा रही है। अब बोड़ाकी गांव के किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। किसानों का कहना है कि विकास प्राधिकरण कई साल पहले रेलवे कॉरिडोर के लिए गांव के बराबर में जमीन खरीद चुका है। अब बताया गया है कि उस जमीन को खाली छोड़ दिया गया है। रेलवे कॉरिडोर गांव के बीच से होकर गुजरेगा। इसके लिए फिर जमीन खरीदी जा रही है। किसानों से घर खाली करवाए जा रहे हैं। बोड़ाकी गांव के प्रभावित 150 परिवारों को हजरतपुर गांव में शिफ्ट किया गया है।

गांव के विजय पाल सिंह और जयपाल सिंह समेत 11 किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। विजय पाल सिंह ने बताया कि हम लोगों ने पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। नए सिरे से किए जा रहे भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी थी। अब सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की है। न्यायालय को बताया है कि 11 फरवरी 2019 और 6 नवंबर 2019 को विशेष औद्योगिक रेलवे गलियारा बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया गया है। यह पूरी तरह गलत है। दरअसल, इसी परियोजना के लिए 24 अगस्त 2009 और 30 जुलाई 2010 को भूमि अधिग्रहण का नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जिसके तहत गांव में भूमि अधिग्रहण कर ली गई थी। परियोजना को इस तरह से बनाया जा रहा था, जिससे आबादी प्रभावित न हो।।इस अधिग्रहण प्रक्रिया का 30 अगस्त 2011 को अवार्ड भी घोषित कर दिया गया था। अब सवाल यह उठता है कि जिस प्रोजेक्ट के लिए पूर्व में भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है, अब दोबारा क्यों किया जा रहा है। लिहाजा, नए नोटिफिकेशन को रद्द किया जाना चाहिए। 

किसानों ने बताया कि इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार, गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और रेलवे बोर्ड को नोटिस भेजे हैं। इन पक्षों को अगले 3 सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। आपको बता दें की वर्ष 2009 में इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण किया गया था। जिसके तहत बोड़ाकी गांव के 190 किसान परिवारों को शिफ्ट करने की योजना बनी थी। बाकी गांव की आबादी को परियोजना से बाहर घोषित करते हुए छोड़ दिया गया था। इसके लिए 190 किसान परिवारों में से 150 को शिफ्ट किया जा चुका है। अब नए सिरे से परियोजना को लेकर हो रहे भूमि अधिग्रहण के कारण पूरे गांव पर संकट आ गया है। इसी को किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

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