1344 करोड़ की हेरा-फेरी में आरोपियों पर लटकी तलवार, 7 साल पहले इन वरिष्ठ पत्रकार ने उठाया था मुद्दा

ग्रेटर नोएडा चकबंदी घोटाला : 1344 करोड़ की हेरा-फेरी में आरोपियों पर लटकी तलवार, 7 साल पहले इन वरिष्ठ पत्रकार ने उठाया था मुद्दा

1344 करोड़ की हेरा-फेरी में आरोपियों पर लटकी तलवार, 7 साल पहले इन वरिष्ठ पत्रकार ने उठाया था मुद्दा

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Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में स्थित दनकौर क्षेत्र के गांव अट्टा फतेहपुर में फर्जी पत्रावलियों के सहारे लिए गए पट्टों के मामले में जिला प्रशासन बड़ी कार्रवाई करने जा रहा है। इसके लिए एडीएम वित्त और राजस्व के न्यायालय की ओर से 55 पट्टा धारकों को नोटिस जारी कर अंतिम चेतावनी दी गई है। मामला चकबंदी घोटाले से जुड़ा बताया गया है। आपको बता दें कि इस मुद्दे को करीब 7 साल पहले वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाराशर ने काफी गंभीरता से उठाया था, उन्होंने इस घोटाले में 50 से भी ज्यादा खबरें लिखी थी।

15 जनवरी तक का दिया समय
एडीएम वित्त और राजस्व वंदिता श्रीवास्तव की ओर से इस नोटिस को जारी कर कहा गया है कि उनके खिलाफ न्यायालय में पट्टा निरस्त की कार्रवाई चल रही है। यह पट्टे खसरा संख्या 75 और 76 पर काटे गए थे। इस मामले में उनके न्यायालय में सुनवाई की अगली तारीख 15 जनवरी है और 15 जनवरी को उक्त 55 लोग भूमि आवंटन के संबंध में अपना पक्ष रखें। यदि वह अपना पक्ष रखने के लिए नहीं आते हैं तो माना जाएगा कि यह प्रवष्टियां फर्जी हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

नोएडा के अलावा दूसरे जनपदों के नाम भी शामिल
यह नोटिस, नोएडा, मेरठ, बुलंदशहर, बल्लभगढ़ और फरीदाबाद के लोगों के नाम जारी किए गए हैं। मामले को अट्टा फतेहपुर में हुए चकबंदी घोटाले से जुड़ा बताया गया है, जिसमें ग्राम समाज की भूमि की बंदरबांट हुई थी।

घोटाले की जांच पूरी हुई
यमुना एक्सप्रेसवे में शामिल गांव जगनपुर, अफजलपुर, फतेहपुर अट्टा और दनकौर में वर्ष 1982 से 2011 के बीच चकबंदी की गई थी। किसानों का आरोप था कि अधिकारियों ने मिलीभगत करके ग्राम सभा की करीब 2,000 बीघा भूमि को फर्जी कागजात बनाकर अपने रिश्तेदारों और भूमाफिया को दे दी। इतना ही नहीं यमुना अथॉरिटी से मुआवजा भी उठा लिया। फर्जी खतौनी की नकल और पत्रावली बनाकर मुआवजा उठाया गया था। हाईकोर्ट के आदेश पर शासन ने सितंबर 2014 में राजस्व विभाग की पांच सदस्यीय कमेटी को इस मामले की जांच सौंपी थी।

1344 करोड़ से अधिक की हेरा-फेरी
जांच कमेटी में राजस्व विभाग के सचिव अशोक कुमार वर्मा, उप भूमि व्यवस्था आयुक्त ओपी आर्य, विशेष सचिव जयप्रकाश सागर, संयुक्त चकबंदी आयुक्त सुरेश सिंह यादव और बोर्ड ऑफ रेवेन्यू के स्टाफ अफसर शुभराम शुक्ला शामिल थे। कमेटी की जांच में 1,344 करोड़ की सरकारी जमीन की हेरा-फेरी की बात सामने आई थी। चकबंदी अधिकारी और कर्मचारियों के साथ कुछ स्थानीय लोगों ने भी मिलीभगत कर सरकारी जमीन अपने नाम करा ली थी। अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी खुद के परिवारजनों के नाम से जमीन ली। बाद में अधिग्रहण होने पर और मुआवजा बांटा था।

वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाराशर की रिपोर्ट के मुताबिक
वरिष्ठ पत्रकार पंकज पाराशर की 7 साल पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में काफी लोगों पर एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिए गए थे। चकबंदी विभाग की ओर से पुलिस को लिखित शिकायत दे दी गई है। करीब 1344 करोड़ रुपये के इस घोटाले का खुलासा किया था। गौतमबुद्ध नगर में वर्ष 1981 से चकबंदी की शुरुआत हुई थी। सबसे पहले जगनपुर अफजलपुर गांव में चकबंदी की गई, लेकिन जैसे ही ग्रेटर नोएडा की स्थापना हुई और भूमि अधिग्रहण शुरू हुआ, उसके साथ ही भूमाफिया का खेल शुरू हो गया। यमुना एक्सप्रेस वे के लिए अधिग्रहण में तो खुली लूट मच गई। इस मामले में गौतमबुद्ध नगर में तैनात रहे कई अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया था। इनमें दो जिलों के चकबंदी अधिकारी शामिल थे। दो कानूनगो रजिस्ट्रार और तीन लेखपाल भी निलंबित किए गए थे।

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