शाहबेरी कांड से अथॉरिटी अफसरों ने नहीं लिया सबक, काली कमाई के आगे सिस्टम फेल

ग्रेटर नोएडा में अवैध गोदाम में लगी भीषण आग : शाहबेरी कांड से अथॉरिटी अफसरों ने नहीं लिया सबक, काली कमाई के आगे सिस्टम फेल

शाहबेरी कांड से अथॉरिटी अफसरों ने नहीं लिया सबक, काली कमाई के आगे सिस्टम फेल

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा में अवैध गोदाम में लगी भीषण आग

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में खुलेआम धड़ल्ले से बड़े-बड़े अवैध निर्माण चल रहे हैं। इनमें बहुमंजिला आवासीय इमारत हैं। कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, बेंकवेट हॉल और फैक्ट्रियां भी शामिल हैं। ख़ास बात यह है कि विकास प्राधिकरण के अफ़सर आंखें बंद करके बैठे हुए हैं। दरअसल, अवैध निर्माण अथॉरिटी के कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए काली कमाई का ज़रिया बना हुआ है। आपको याद होगा कि ग्रेटर नोएडा वेस्ट के शाहबेरी गांव में 17 जुलाई 2018 ऐसी अवैध इमारत भरभराकर गिरी थी। जिसमें दबकर दस लोगों की मौत हो गई थी। अब शुक्रवार-शनिवार की दरम्याना रात ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक अवैध गोदाम में आग लगी। जिसे बुझाने के लिए आधा दर्जन दमकल को कड़ी मशक्क़त करनी पड़ी है।

ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अवैध निर्माण से बुरा हाल
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अवैध निर्माण से बुरा हाल है। कमोबेश हर सेक्टर, हाउसिंग सोसाइटी के आस पास और गांवों में खुलेआम अवैध निर्माण चल रहा है। जिसे कोई रोकने वाला नहीं है। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के तमाम वर्क सर्कल में तैनात अधिकारी और कर्मचारी इन अवैध निर्माण के संरक्षक बने हुए हैं। वर्क सर्किल के अफ़सरों और कर्मचारियों को मुंह मांगी क़ीमत अवैध निर्माण करने वाले अदा कर रहे हैं। जिसके चलते निर्माणाधीन साइटों की ओर कोई नहीं जाता है। इस पूरे गठजोड़ का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अगर विकास प्राधिकरण में कोई शिकायत पहुंचती है तो उसे बड़े अफ़सरों तक जाने से पहले ही दबा लिया जाता है। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में लंबे अरसे से तैनात कई टॉप लेवल के अधिकारी भी इस धंधे में शामिल हैं। सबका मक़सद ज़्यादा से ज़्यादा काली कमाई करना है।

इन जमीनों पर चल रहा है अवैध निर्माण
हाउसिंग सोसायटी और सेक्टरों के पास प्राइम लोकेशन बन चुकी ज़मीन अवैध निर्माण का केंद्र बन गई हैं। कई जगह तो ऐसे भी हैं, जहां अथॉरिटी ने भूमि अधिग्रहण कर रखा है, लेकिन ज़मीन ख़ाली पड़ी हुई है। उस ज़मीन पर भूमाफ़िया, कॉलोनाइजर, बिल्डर, स्थानीय नेता और प्राधिकरण के अफ़सर गठजोड़ करके अवैध निर्माण कर रहे हैं। मतलब, अथॉरिटी को करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। किसानों को आबादी विस्तार के लिए मिले चार प्रतिशत, छह प्रतिशत और दस प्रतिशत आवासीय भूखंड अवैध निर्माण के लिए मुफ़ीद बन गए हैं। दिल्ली, फ़रीदाबाद, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, चंडीगढ़ और तमाम बड़े-बड़े शहरों के इन्वेस्टर यह प्लॉट ख़रीद कर कमर्शियल कॉम्प्लेक्स, मॉल, बैंकवेट हॉल और हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च कर रहे हैं। इन इमारतों का ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से न तो नक़्शा पास करवाया जा रहा है और ना ही कोई मंज़ूरी ली जा रही है। इसी तरह किसानों को लीज़ बैक के नाम पर वापस लौटायी गई बड़ी-बड़ी ज़मीनों पर अवैध निर्माण हो चुके हैं।

कार्रवाई करने वाले पर हो गई उल्टी कार्रवाई
इस गठजोड़ की ताक़त का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि प्राधिकरण में अगर कोई अफ़सर अवैध निर्माण रोकने की कोशिश करता है तो उसे परेशान किया जाता है। अगर छोटी-मोटी धमकी से काम नहीं चलता तो अफ़सर से काम छीन लिया जाता है। हाल ही में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में तैनात एक विशेष कार्याधिकारी को अवैध निर्माण पर रोक लगाना भारी पड़ गया। ओएसडी ने बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध निर्माण को रोकने की कोशिश की तो उनसे विभाग का कामकाज छीन लिया गया है। इस घटना से युवा पीसीएस अफ़सर बेहद परेशान हैं।

अगर कोई बड़ा हादसा हुआ तो कौन ज़िम्मेदार होगा?
अवैध निर्माण की अथॉरिटी से शिकायत करने वाले लोगों का कहना है, “प्राधिकरण पूरी तरह आंखें बंद करके बैठा हुआ है। अगर किसी अवैध हाउसिंग प्रोजेक्ट, कमर्शियल कॉम्प्लेक्स या बैंक्वेट हॉल में बड़ा हादसा हो गया तो कौन ज़िम्मेदार होगा? शुक्रवार की देर रात ग्रेटर नोएडा वेस्ट के एक अवैध गोदाम आग लगी है। गोदाम में टेंट का सामान भरा हुआ था। भीषण आग को काबू करने के लिए दमकल विभाग के 50 से ज़्यादा कर्मचारियों को घंटों मशक़्क़त करनी पड़ी। छह दमकल की गाड़ियां बुलानी पड़ीं। क़रीब पांच साल पहले शाहबेरी गांव में अवैध इमारत ध्वस्त हो गई थी, जिसमें दबकर 10 लोगों की मौत हुई थीं। अवैध इमारतों में ऐसा भीषण हादसा भविष्य में नहीं होगा, यह कोई गारंटी नहीं है। प्राधिकरण के अफ़सर समझते हैं कि उन्हें साल या दो साल नौकरी करके चले जाना है। जब हादसा होगा उस वक़्त के अधिकारी ख़ुद झेलेंगे, क्योंकि शाहबेरी हादसे के लिए ज़िम्मेदार अफ़सरों पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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