मुआवजे के लिए शुरू हुई परदादा की लड़ाई चौथी पीढ़ी ने जीती, परपोते ने बताई पूरे सफर की कहानी

Greater Noida : मुआवजे के लिए शुरू हुई परदादा की लड़ाई चौथी पीढ़ी ने जीती, परपोते ने बताई पूरे सफर की कहानी

मुआवजे के लिए शुरू हुई परदादा की लड़ाई चौथी पीढ़ी ने जीती, परपोते ने बताई पूरे सफर की कहानी

Tricity Today | ब्रजेश भाटी (परपोता)

Greater Noida : शहर के सेक्टर-36 के पास बसे ऐच्छर गांव के किसानों की मुआवजे को लेकर चली लंबी लड़ाई की कहानी सुनोगें को दातों तले अगुली दबा लोगें। मुआवजे के लिए परदादा ने कोर्ट में लड़ाई शुरू की थी और अब परपोते ने लड़ाई जीत है। चार पीढ़ियों ने मुआवजे को लेकर लड़ाई लड़ी है। यह खबर आजकल ग्रेटर नोएडा के गांवों के किसानों में चर्चा का विषय बनी हुई है। 

ऐच्छर गांव के रहने वाले ब्रजेश भाटी बताते है कि उनके गांव ऐच्छर, कासना, तुगलपुर-हल्दौना और गुर्जरपुर की जमीन सन 1989 में यूपीएसआईडीसी ने इंडस्टी लगाने के लिए अधिग्रहण की थी। इस दौरान यूपीएसआईडीसी ने ऐच्छर गांव के किसानों को 39 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा दिया। जबकि कासना, हल्दौना, गुर्जरपुर के किसानों को 65 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजा दिया गया। 

ब्रजेश भाटी ने बताया कि इस दौरान ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का गठन हो गया। यूपीएसआईडीसी ने इस जमीन को सन 1992 में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को ट्रांसफर कर दी। कासना और ऐच्छर में दिए गए मुआवजे में काफी अंतर था। ब्रजेश भाटी बताते है कि उनके परदादा रामेश्वर ने कासना के बराबर 65 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से मुआवजे की मांग को लेकर सबसे पहले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में अर्जी लगाई, लेकिन अथॉरिटी अधिकारियों ने एक नहीं सुनी। इसके बाद परदादा रामेश्वर ने जिला अदालत का दरवाजा खटखटाया। इस दौरान उनके दादा की मौत हो गई। कोर्ट में मुआवजे की लड़ाई उनके दादा हरिशचंद ने संभाल ली। जिला अदालत से न्याय नहीं मिला तो उन्होने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस दौरान लड़ाई लड़ हुए उनकी भी मौत हो गई। इनके बाद इस लड़ाई को उनके पिता पप्पू भाटी ने संभाल लिया। पप्पू भाटी बुर्जुग हो गए। कोर्ट आने-जाने में दिक्कत होने लगी तो इस लडाई को उनकी चौथी पीढी ब्रजेश भाटी ने संभाल लिया। 

ब्रजेश भाटी बताते है कि उन्होने गांव के ही किसान मुनीराम, हरपाल सिंह और पतराम सिंह को शामिल कर लिया। सुप्रीम कोर्ट में मिलकर लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई 2021 को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी को एडीएम लैंड को आदेश दिया कि 56 दिन में किसानों को कासना के बराबर मुआवजा देकर अवगत कराए। ब्रजेश भाटी ने बताया कि लेकिन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के बजाय अथॉरिटी रिव्यू में सुप्रीम कोर्ट चली गई। बीते 10 जनवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट के रजिस्टार ने अथॉरिटी की रिव्यू पिटिशन खारिज कर दिया। इसके बाद भी अथॉरिटी और एडीएम लैंड ने मुआवजा देने में आनाकानी की। किसानों ने फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने सीईओ और एडीएम लैंड के खिलाफ कोर्ट के आदेश की अवमाना करार दे दिया गया। 32 साल तक लंबी लडाई लड़ने के बाद किसानों को एडीएम लैंड दफतर की और से मुआवजा बांटा गया है। इन किसानों को 1 लाख 60 हजार रुपए प्रति बीघा की दर से 32 साल बाद मुआवजा मिला है। अब यह किसान दस प्रतिशत आबादी के प्लॉट और अथॉरिटी की स्कीम में किसानों को मिलने वाले 17 प्रर्सेट प्लॉट के आरक्षण की मांग की लड़ाई लड़ रहे हैं।

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