गौतमबुद्ध नगर के परिषदीय विद्यालयों में नहीं लगेगी डिजिटल हाजिरी, शिक्षकों की एकता लाई रंग

अच्छी खबर : गौतमबुद्ध नगर के परिषदीय विद्यालयों में नहीं लगेगी डिजिटल हाजिरी, शिक्षकों की एकता लाई रंग

गौतमबुद्ध नगर के परिषदीय विद्यालयों में नहीं लगेगी डिजिटल हाजिरी, शिक्षकों की एकता लाई रंग

Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो

Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के बीच डिजिटल हाजिरी पर रोक लगने के बाद से खुशी की लहर दौड़ गई है। शिक्षकों ने इसे अपनी एकता की जीत बताया है और आशा जताई है कि शासन द्वारा गठित कमेटी उनकी मांगों को पूरा करेगी। सभी परिषदीय विद्यालय के शिक्षकों को 8 जुलाई से डिजिटल हाजिरी लगानी थी, जिसका शिक्षकों ने जमकर विरोध किया गया। 

शिक्षकों ने किया था बहिष्कार
शिक्षकों ने विद्यालयों में काली पट्टी बांधकर डिजिटल हाजिरी लगाने का बहिष्कार किया और सोशल मीडिया पर भी अभियान चलाया। इस विरोध को गंभीरता से लेते हुए शासन ने डिजिटल हाजिरी लगाने पर रोक लगा दी है और तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए एक कमेटी का गठन किया है। अब डिजिटल हाजिरी केवल शासन के अग्रिम आदेश के बाद ही लगाई जाएगी।

शिक्षकों की समस्याएं और मांगें
शिक्षकों का कहना है कि कई स्कूल ऐसे हैं जहां पहुंचने के लिए रास्ता तक नहीं है और नेटवर्क भी नहीं आता है। उन्होंने अपनी कुछ मांगों को भी रखा है, जिसमें 31 उपार्जित अवकाश, 12 दूसरे शनिवार का अवकाश, अर्ध आकस्मिक अवकाश और अध्ययन अवकाश शामिल हैं। 

शिक्षकों की एकता से मिली सफलता
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष प्रवीण शर्मा ने कहा, "सभी शिक्षक डिजिटल हाजिरी से असहमत थे। अब मुख्य सचिव ने इसे स्थगित कर दिया है और एक कमेटी का निर्माण भी किया है। कमेटी से सभी शिक्षकों को उम्मीद रहेगी कि उनके हित को ध्यान में रखा जाएगा और सभी मांगें पूरी की जाएंगी।" 

"मुद्दों का समाधान करना चाहिए"
जूनियर शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष निरंजन सिंह नागर ने कहा, "सरकार के निर्णय का स्वागत करते हैं। सभी शिक्षक एक साथ मिलकर खड़े रहे, जिसके कारण शासन को अपने आदेश पर विचार करना पड़ा। यह शिक्षकों की एकता की जीत है और सरकार को हमारे मूलभूत मुद्दों का समाधान करना चाहिए।"

शिक्षकों के हित में फैसला
जनपद के परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों की डिजिटल हाजिरी पर रोक लगने से शिक्षक समुदाय में खुशी का माहौल है। इस निर्णय को शिक्षकों की एकता और संगठित प्रयासों की जीत माना जा रहा है। शिक्षकों की उम्मीदें अब शासन द्वारा गठित कमेटी पर टिकी हैं, जो उनकी समस्याओं और मांगों का समाधान निकालने के लिए कार्य करेगी। यह निर्णय न केवल शिक्षकों के हित में है बल्कि उनके संघर्ष और एकता की मिसाल भी प्रस्तुत करता है।

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