इन 4 घटनाओं के कारण समझौते को मजबूर हुए दोनों, इस नेता ने करवाया 2 शर्तों का फैसला

अनिल दुजाना बनाम सुंदर भाटी : इन 4 घटनाओं के कारण समझौते को मजबूर हुए दोनों, इस नेता ने करवाया 2 शर्तों का फैसला

इन 4 घटनाओं के कारण समझौते को मजबूर हुए दोनों, इस नेता ने करवाया 2 शर्तों का फैसला

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Noida News : सरिये के अवैध कारोबार में अनिल दुजाना अपराधी बना था। इसी अवैध कारोबार की वजह से अनिल दुजाना और सुंदर भाटी आमने-सामने आए। साल 2011 के बाद चार ऐसी घटनाएं हुईं, जिनकी वजह से सुंदर भाटी को अनिल दुजाना के सामने फैसले के लिए आकर खड़ा होना पड़ा था। दोनों के बीच फैसला हुआ और इसकी पटकथा गौतमबुद्ध नगर के एक सफेदपोश कद्दावर नेता ने रखी थी। इस सफेदपोश नेता की मौजूदगी में दोनों गैंगेस्टर आमने-सामने बैठे। एक-दूसरे के खिलाफ हथियार नहीं उठाने की कसम खाई। अदालतों में एक-दूसरे के खिलाफ चल रहे मुकदमों में गवाही नहीं देने का वादा किया। तत्कालीन सरकार में यह सफेदपोश नेता बड़ा कद रखता था।

22 सितंबर 2011 : जयचंद हत्याकांड
अनिल दुजाना गैंग के गुर्गों ने खेड़ी भनौता गांव के जयचंद पुत्र धनपाल की हत्या कर दी। जयचंद पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई। जिसमें उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस हत्याकांड के लिए अनिल दुजाना समेत कई लोगों पर आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। यह हत्या सरिए के अवैध कारोबार में वर्चस्व को लेकर की गई थी। दरअसल, अनिल दुजाना गैंग के लिए हरेंद्र प्रधान दादूपूर सरिए का कारोबार करता था। जिससे खेड़ी भनौता के जयचंद की प्रतिद्वंद्विता थी। अनिल दुजाना गैंग का मानना था कि जयचंद, सुंदर भाटी के लिए कारोबार कर रहा है। इसी वजह से अनिल दुजाना गैंग ने जयचंद की हत्या की।

18 नवंबर 2011 : सुंदर भाटी पर हमला
अनिल दुजाना किसी भी सूरत में सुंदर भाटी के सामने झुकने को तैयार नहीं था। यह वह वक्त था जब सुंदर भाटी को राजनीतिक संरक्षण हासिल था, लेकिन अनिल दुजाना के पास नए-नए युवा अपराधियों की फौज खड़ी थी। सुंदर भाटी के ध्रुव विरोधी अमित कसाना, रणदीप भाटी और बलराम ठाकुर जैसे युवा अपराधी अनिल दुजाना के साथ थे। लिहाजा, इन सारे लोगों ने सुंदर भाटी का सफाया करने के लिए तैयारी की। उस दिन सुंदर भाटी को गाजियाबाद के पास साहिबाबाद में एक शादी समारोह में शामिल होने जाना था। अनिल दुजाना गैंग को मुजफ्फरनगर के कुख्यात रोबिन त्यागी गैंग का सहयोग भी था। खुद रोबिन त्यागी की पत्नी साहिबाबाद के शादी समारोह में शामिल हुई और उसने सुंदर भाटी के पूरे मूवमेंट की जानकारी अनिल दुजाना को भेजी।  अनिल दुजाना, रणदीप भाटी और अमित कसाना ने संगठित होकर एके-47 से सुंदर भाटी और उसके गैंग पर हमला किया। इस हमले में सुंदर भाटी किसी तरह बच निकला, लेकिन उसके 4 साथी शौकीन घंघोला, नवीन बादलपुर, जबर सिंह करावल नगर और धनवीर बिसरख की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा के जरायम पेशेवरों को दहलाकर रख दिया। दरअसल, अब तक किसी ने इतनी हिम्मत नहीं जुटाई थी कि सुंदर भाटी पर जानलेवा हमला कर सकता। यह काम अनिल दुजाना ने अंजाम दिया। जिसके चलते सुंदर भाटी और उसके सरपरस्त पूरी तरह हिल गए थे।

12 जनवरी 2014 : देवेंद्र साकीपुर की हत्या
अनिल दुजाना और उसका गैंग बुरी तरह सुंदर भाटी के पीछे हाथ धोकर पड़ चुका था। एक-एक करके सुंदर भाटी के लिए काम करने वाले लोगों का सफाया किया जा रहा था। इसी सिलसिले में एक और बड़ा झटका सुंदर भाटी को 12 जनवरी 2014 को लगा। उस दिन अनिल दुजाना ने अपने गैंग के संजय और वीरेंद्र को सुंदर भाटी के बेहद नजदीकी देवेंद्र साकीपुर की हत्या करने की जिम्मेदारी सौंपी। अनिल दुजाना और उसके गैंग का मानना था कि देवेंद्र नोएडा व ग्रेटर नोएडा के व्यापारियों से सुंदर भाटी के लिए उगाही कर रहा है। देवेंद्र साकीपुर की कासना इलाके में गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी।

23 जनवरी 2014 : सुंदर भाटी का पलटवार
सुंदर भाटी और उसके लिए काम करने वालों पर अनिल दुजाना गैंग ताबड़तोड़ हमले कर रहा था। जिससे सुंदर भाटी की पूरे इलाके में पकड़ ढीली पड़ रही थी। पुलिस, प्रशासन, आम आदमी और व्यापारी वर्ग में यह चर्चा आम हो गई थी कि सुंदर भाटी अब गुजरे दिनों की बात हो चुका है। ऐसे में सुंदर भाटी और उसके गैंग ने अनिल दुजाना गैंग पर पलटवार करने की योजना बनाई। सुंदर भाटी गैंग ने देवेंद्र साकीपुर के मर्डर का बदला लेने के लिए अनिल दुजाना पर सबसे बड़ा हमला किया। सुंदर भाटी के गुर्गों ने अनिल दुजाना के सगे भाई जय भगवान नागर को गोलियों से भून डाला। इस हत्याकांड के लिए सुंदर भाटी, सहदेव भाटी और सिंहराज भाटी समेत 7 लोगों को नामजद करवाया गया। यह मुकदमा बादलपुर थाने में दर्ज हुआ।

इन दो शर्तों के साथ हुआ समझौता
अनिल दुजाना के भाई जय भगवान की हत्या के बाद एक बार फिर माहौल बदल गया। सुंदर भाटी इस गैंगवार में वापसी कर चुका था। लिहाजा, दोनों पक्ष समझौते के लिए तैयार हो गए। इस समझौते की भूमिका तत्कालीन सरकार में बेहद रसूखदार नेता ने तैयार की। एक पुलिस अफसर को भरोसे में लेकर सफेदपोश नेता की मौजूदगी में सुंदर भाटी और अनिल दुजाना आमने-सामने बैठे। दोनों ने एक दूसरे पर हमला नहीं करने का वादा किया। एक-दूसरे के खिलाफ अदालतों में चल रहे मुकदमों को खत्म करवाने पर सहमति बनी। लिहाजा, अनिल दुजाना की ओर से जय भगवान नागर हत्याकांड में कोई गवाही नहीं दी गई। इसी तरह साहिबाबाद में सुंदर भाटी पर हुए कातिलाना हमले और चार लोगों की हत्या में अनिल दुजाना गैंग के खिलाफ गवाही नहीं दी गई। एक तरफ सुंदर भाटी गैंग जय भगवान हत्याकांड में बरी हो गया तो दूसरी ओर अनिल दुजाना गैंग साहिबाबाद कांड में साफ बच गया।

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