किसानों पर दिल्ली में दर्ज हुए थे फर्जी मुकदमे, हाईकोर्ट ने पुलिस से मांगा जवाब

चिटहेरा भूमि घोटाले में ट्राईसिटी टुडे की खबरों पर लगी सच्चाई की मुहर : किसानों पर दिल्ली में दर्ज हुए थे फर्जी मुकदमे, हाईकोर्ट ने पुलिस से मांगा जवाब

किसानों पर दिल्ली में दर्ज हुए थे फर्जी मुकदमे, हाईकोर्ट ने पुलिस से मांगा जवाब

Tricity Today | चिटहेरा भूमि घोटाले में ट्राईसिटी टुडे की खबरों पर लगी सच्चाई की मुहर

New Delhi/Greater Noida : गौतमबुद्ध नगर की दादरी तहसील के चिटहेरा गांव में हुए अरबों रुपये के भूमि घोटाले से जुड़ी अब तक की सबसे बड़ी खबर है। आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल ट्राईसिटी टुडे ने इस महाघोटाले पर लगातार खबरें प्रकाशित की हैं। हमने अपनी पड़ताल के जरिए बताया था कि गैंगस्टर भूमाफ़िया यशपाल तोमर और उसके गुर्गों ने ज़मीन हड़पने के लिए किसानों पर फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज करवाए। यशपाल तोमर का साथ कई राज्यों के पुलिस अफ़सर दे रहे थे। किसानों के ख़िलाफ़ ऐसा ही एक मुकदमा दिल्ली के कश्मीरी गेट पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। उस मुक़दमे में चिटहेरा गांव के सात किसान अभियुक्त बनाए गए थे। तीन किसानों को गिरफ़्तार करके जेल भेजा गया था। यह मुक़दमा कश्मीरी गेट थाने के तत्कालीन एसएचओ ने यशपाल तोमर गैंग से रिश्वत लेकर दर्ज किया था। अब इसी मामले में बेहद सनसनीख़ेज़ जानकारी सामने आई है।

मुकदमे के वादी ने हाईकोर्ट में कहा- मैंने कोई शिकायत ही नहीं दी
किसानों के ख़िलाफ यह मुकदमा दिल्ली के कश्मीरी गेट थाने में दर्ज किया गया था। दिल्ली के निवासी नरेंद्र कुमार को वादी बनाया गया था। अब नरेंद्र कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत से कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420, 468, 471, 364ए और 120बी के तहत एफआईआर दर्ज करवाई गई। यह मुकदमा राज्य बनाम योगेन्द्र सिंह और अन्य टाइटल से चल रहा है। नरेंद्र ने अदालत में कहा कि किसी ने उसका नाम और पहचान फर्जी बनाकर यह मुकदमा दर्ज करवाया है। याचिकाकर्ता ने न तो पुलिस स्टेशन कश्मीरी गेट में ऐसी कोई शिकायत दी है और न ही किसानों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत कोई शिकायत दर्ज की है। नरेंद्र कुमार ने फर्जी शिकायत को रद्द करने के लिए याचिका दायर की है।

अदालत ने जांच का आदेश दिया, कहा- यह बेहद गंभीर मामला
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वर्तमान याचिका में उठाया गया मुद्दा गंभीर है, क्योंकि एक व्यक्ति की पहचान के आधार पर झूठी आपराधिक शिकायत दर्ज की गई है। जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है और आरोप पत्र दायर किया गया है। कई लोगों को जेल भेजा गया है। इन परिस्थितियों में यह उचित समझा जाएगा कि मामले की जांच संयुक्त पुलिस आयुक्त की देखरेख में एसीपी नॉर्थ (अपराध शाखा) द्वारा की जाए। जांच रिपोर्ट इस न्यायालय के समक्ष पेश की जाए। अब अदालत 14 दिसंबर 2023 को इस मामले में सुनवाई करेगी।

ट्राईसिटी टुडे ने किया था खुलासा, सामने आ गई हकीकत
आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल ट्राईसिटी टुडे ने इस मामले का ख़ुलासा किया था। हमने आपको बताया था कि दिल्ली पुलिस के एसीपी देवेंद्र सिंह ने गैंगस्टर से कार लेकर निर्दोष किसानों को जेल भेजा था। खबर पर संज्ञान लेकर दिल्ली के पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने जांच का आदेश दिया था। पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा ने स्पेशल स्टाफ में तैनात सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) देवेंद्र सिंह के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। यह जांच विशेष पुलिस आयुक्त (सतर्कता) नुज़हत हसन को सौंपी गई है। आपको बता दें कि चिटहेरा भूमि घोटाले की जांच कर रही गौतमबुद्ध नगर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गैंगस्टर और इंटरस्टेट भू-माफिया यशपाल तोमर के मुखौटे मालू का बयान दर्ज किया। जिसमें मालू ने स्वीकार किया है कि चिटहेरा गांव के किसानों पर दिल्ली में उन्होंने फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए। यह फर्जी मुकदमे कश्मीरी गेट थाने में दर्ज करवाए गए। उस वक्त कश्मीरी गेट थाने के एसएचओ देवेंद्र सिंह थे। ट्राईसिटी टुडे ने इस समाचार को प्रकाशित किया था। दिल्ली पुलिस से मामले में आधिकारिक बयान की मांग की थी। जिस पर पुलिस कमिश्नर की ओर से जवाब दिया गया था।

गौतमबुद्ध नगर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कार्रवाई नहीं की
चिटहेरा भूमि घोटाले की जांच कर रही गौतमबुद्ध नगर पुलिस की क्राइम ब्रांच को मालू ने बयान दिया, "मैं अपनी मां के सारे बैंक खातों का संचालन करता हूं। चिटहेरा भूमि घोटाले से जुड़े पैसे मेरी मां के खाते में आए थे। इनमें से 9 लाख रुपये यशपाल तोमर के ममेरे भाई गजेंद्र सिंह पुत्र इंद्रपाल के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए थे। गजेंद्र सिंह बागपत में रमाला थाना क्षेत्र के किरठल गांव का रहने वाला है। यह पैसा गजेंद्र को बतौर उसकी हिस्सेदारी दिया गया था। गजेंद्र कुख्यात किस्म का बदमाश है और फिलहाल यशपाल के साथ उत्तराखंड की जेल में बंद है। गजेंद्र को बागपत में सजा भी हो चुकी है और वह फिलहाल जमानत पर बाहर था। गजेंद्र ने उन रुपयों से एक होंडा अमेज कार खरीद ली थी। जो बाद में उसने एक फर्जी मुकदमा लिखवाने के बदले उस वक्त के कश्मीरी गेट के इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह को दे रखी है। इसी दौरान नरेंद्र ने भी कश्मीरी गेट थाने में चिटहेरा के लोगों के खिलाफ अपहरण करने, मारपीट करने और फर्जीवाड़ा करके प्लॉट बेचने के आरोपों में लिखवाया था। जिसमें यशपाल के कहने पर मैंने झूठी गवाही दी थी। हमने एक झूठी कहानी बनाकर अपहरण करने वाले बदमाशों को 5 लाख रुपये देने की बात कही थी।" मालू इस घोटाले के मास्टरमाइंड यशपाल तोमर का मुखौटा है। वह अभी गौतमबुद्ध नगर जेल में बंद है।

नोएडा क्राइम ब्रांच ने जांच ही नहीं की, तथ्यों को नजरअंदाज किया
गौतमबुद्ध नगर पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मालू का यह बयान बाकायदा क्राइम डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) में दर्ज किया है, लेकिन आगे बढ़कर इसकी तस्दीक करने और किसानों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज करने वाले इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह तक पहुंचने की कोई कोशिश नहीं की। इस बयान के आधार पर TRICITY TODAY ने छानबीन की। मालू का बयान पूरी तरह सही निकला। दिल्ली पुलिस का इंस्पेक्टर नोएडा के सेक्टर-22 में रहता है। उसके घर के बाहर हौंडा अमेज कार 1 अप्रैल 2023 की सुबह तक खड़ी मिली। कार का नंबर DL 3CBE 8383 है। यह कार गजेंद्र सिंह पुत्र इंद्रपाल चौहान के नाम थी। कार के रजिस्ट्रेशन का पता दिल्ली में कृष्णानगर दर्ज है। आसपास के निवासियों ने बताया कि यह कार लंबे वक्त से यहीं इंस्पेक्टर के घर के बाहर पार्क होती है। खुद इंस्पेक्टर और उसके परिवार के सदस्य इसका इस्तेमाल करते हैं। TRICITY TODAY में खबरें प्रकाशित होने के बाद से कार गायब हो गई थी।

देवेंद्र सिंह ने किसानों के खिलाफ दर्ज किया था मुकदमा, जेल भेजा था
चिटहेरा गांव के किसानों के खिलाफ 13 अप्रैल 2018 को कश्मीरी गेट थाने में एक एफआईआर दर्ज की गई थी। यह मुकदमा अदालत के आदेश पर 7 किसानों नीरज पुत्र चरण सिंह, योगेंद्र पुत्र मोहर सिंह, ऋषि राज पुत्र जयचंद, वीरेंद्र पुत्र जयचंद, विजय गौतम पुत्र छोटन, रामकुमार पुत्र तुलाराम और ब्रह्म सिंह पुत्र हरिचंद के नाम दर्ज किया गया था। यह सभी अनुसूचित जाति से ताल्लुक रखने वाले किसान हैं। इन पर आईपीसी की धारा 420, 468, 471, 364-ए और 120-बी के तहत यह मुकदमा दर्ज किया गया। कश्मीरी गेट पुलिस ने आनन-फानन में इन किसानों को उठाकर जेल भेज दिया। इसके बाद दिल्ली के दूसरे थानों में दर्ज लूट के फर्जी मुकदमों में किसानों को फंसाया गया। जब यशपाल तोमर और उसके गुर्गों के नाम इनकी जमीन ट्रांसफर करवा ली गई, तब जाकर इन्हें जमानत मिली। चिटहेरा गांव के लोगों ने बताया कि जेल से छूटने के तुरंत बाद ऋषि राज की मौत हो गई। उसकी पूरी जमीन यशपाल तोमर गैंग है हड़प ली। फिलहाल उसका परिवार बेहद बुरे दौर से गुजर रहा है। परिवार में जवान बेटियां थीं। किसी तरह रिश्तेदारों ने उनकी शादी की है। गांव वालों का कहना है कि इन लोगों का दिल्ली जाकर क्राइम करने का कोई मतलब नहीं था। अदालत से सीआरपीसी 156(3) के तहत आदेश करवाना तो बस एक सेफगार्ड था। मालू का बयान तस्दीक करता है कि उस वक्त का कश्मीरी गेट थाने का एसएचओ (अब एसीपी देवेंद्र सिंह) यशपाल तोमर गैंग का समर्थक था।

कमिश्नर ने स्पेशल सीपी (विजलेंस) को जांच सौंपी
1 और 2 अप्रैल 2023 को 'ट्राईसिटी टुडे' ने देवेंद्र सिंह और यशपाल तोमर के गठजोड़ पर विस्तार से समाचार प्रकाशित किए। यह समाचार दिल्ली पुलिस के आयुक्त संजय अरोड़ा को भेजे गए। उनसे आधिकारिक बयान का निवेदन किया। मंगलवार को दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने जवाब दिया है। पुलिस कमिश्नर की ओर से बताया गया है कि इस मामले की जांच और कार्रवाई करने के लिए विशेष पुलिस आयुक्त (सतर्कता) नुज़हत हसन को जिम्मेदारी दी गई है। वह जांच करेंगी और उचित कदम उठाएंगी। कुल मिलाकर देवेंद्र सिंह के काले कारनामों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।

ग्रामीणों ने कहा- नोएडा पुलिस का रवैया निराशाजनक
दूसरी ओर पीड़ित ग्रामीणों का कहना है, "इस मामले का खुलासा होने के बाद उम्मीद जगी कि अब इंसाफ होगा। यशपाल तोमर में हमें बर्बाद करने की ताकत नहीं थी, उसके पीछे बड़े-बड़े पुलिस और प्रशासन के अफसर हैं। कुछ नेताओं का उसे संरक्षण है। जिनके बूते उसने करीब 20 परिवारों को बर्बाद किया है। गौतमबुद्ध नगर के तत्कालीन जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने सारे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। अब पता चला है कि हमारी पुलिस ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है। यह अन्याय है। यशपाल तोमर के साथ नेता और अफसर हैं। इसी वजह से किसान बर्बाद हो गए। हमारी किसी ने नहीं सुनी। दरअसल, जब भी किसानों ने आवाज उठाने की कोशिश की, उन्हें कुचल दिया गया। फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए। अपहरण करके यातनाएं दी गईं। उस वक्त भी गौतमबुद्ध नगर पुलिस और प्रशासन ने शिकायतों पर सुनवाई नहीं की। अब एक बार फिर हमारे साथ धोखा हुआ है।"

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