Tokyo paralympic games : वर्ष 2016 के रियो पैरालंपिक में देश को कांस्य पदक दिलाने वाले ग्रेटर नोएडा के वरुण भाटी (Varun Bhati paralympian) को टोक्यो पैरालंपिक का टिकट मिल गया है। वरुण का दूसरी बार पैरालंपिक के लिए चयन हुआ है। उनका ट्रायल दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम (JLN Stadium) में हुआ था। 29 जून को उनका चयन हुआ है। वरुण भाटी ने कहा, "इस बार देश को स्वर्ण पदक लाकर देंगे।"
मिल चुका है अर्जुन अवॉर्ड और लक्ष्मण पुरस्कार
वरुण भाटी ने बताया कि उन्होंने इसी साल चीन ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया था। 10 सितम्बर 2016 को रियो पैरालंपिक के दौरान पुरुष वर्ग की ऊंची कूद में कांस्य पदक जीता था। इसमें 1.86 मीटर की ऊंची कूद लगाकर पदक अपने नाम किया था। वरुण भाटी ने बताया कि एकबार फिर उनका चयन 29 जून को हो गया है। इस समय दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में कोच सत्यपाल की निगरानी में अभ्यास कर रहे हैं। वरुण भाटी के शानदार प्रदर्शन के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने उनको सम्मानित किया है। वरुण भाटी को भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार और उत्तर प्रदेश सरकार ने लक्ष्मण पुरस्कार से सम्मानित किया है।
देश को दूंगा सोने का तोहफा : वरुण
ट्राईसिटी टुडे से बातचीत करते हुए वरुण भाटी ने कहा, "मेरा अभ्यास बहुत अच्छा चल रहा है। मैं पूरी तरह स्वस्थ और फॉर्म में हूं। लिहाजा, इस बार पैरा ओलंपिक में प्रदर्शन पिछले बार के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर होने की उम्मीद है।" वरुण भाटी ने आगे कहा, "मैं इस बार देश को सोना लाकर देने की भरपूर कोशिश करूंगा। मुझे पूरा भरोसा है कि इस पैरा ओलंपिक में मैं आसानी से स्वर्ण पदक जीत सकता हूं।"
रोजाना तीन घंटे कर रहे हैं अभ्यास
वरुण भाटी ने बताया कि अभी टोक्यो जाने की तारीख तय नहीं हुई है। दिल्ली और ग्रेटर नोएडा दोनों जगह प्रैक्टिस कर रहे हैं। इस वक्त पूरा फोकस इस समय अभ्यास पर है।रोजाना करीब 3 घंटे फील्ड पर अभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार स्वर्ण पदक जीतने का लक्ष्य तय कर रखा है। पिछली बार के रिकॉर्ड को सुधारने का पूरा प्रयास करेंगे और देश को स्वर्ण पदक दिलाएंगे।
छोटे से गांव से शुरू किया सफर
ग्रेटर नोएडा में छोटे से गांव जमालपुर के रहने वाले 26 वर्षीय पैरा खिलाड़ी वरुण भाटी का जन्म 1995 में हुआ था। बचपन में वह पोलियो के शिकार हो गए थे। इससे उनका एक पैर लकवाग्रस्त हो गया था। लेकिन वरुण ने दिव्यांगता को अपने ऊपर उन्होंने हावी नहीं होने दिया। उन्होंने 2014 में इंचियोन पैरा एशियाई खेलों में 5वां स्थान हासिल किया था।