किन किसानों को मिलेंगे 10% आबादी भूखंड, बोर्ड ने यह फॉर्मूला तय किया

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से बड़ी खबर : किन किसानों को मिलेंगे 10% आबादी भूखंड, बोर्ड ने यह फॉर्मूला तय किया

किन किसानों को मिलेंगे 10% आबादी भूखंड, बोर्ड ने यह फॉर्मूला तय किया

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी

Greater Noida News : मंगलवार की सुबह उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (औद्योगिक विकास) की अध्यक्षता में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) की बोर्ड बैठक हुई है। जिसमें बड़ा फ़ैसला लिया गया है। प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक, विकास योजनाओं के लिए जमीन देने वाले किसानों को 10% आबादी भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। हालांकि, 10% आवासीय भूखंड केवल उन किसानों को मिलेंगे, जिन्हें प्राधिकरण ने 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा दिया है। आपको बता दें कि 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा इलाहाबाद हाईकोर्ट की संवैधानिक बेंच के वर्ष 2011 में आए फ़ैसले के आधार पर दिया गया था। किसान लगातार 10% भूखंड आवंटन करने की मांग कर रहे थे। प्राधिकरण ने यह मसला राज्य सरकार को भेजा था। सरकार ने फ़ैसला लेने के लिए प्राधिकरण के बोर्ड को स्वतंत्रता दी थी। अब मंगलवार को यह फ़ैसला ले लिया गया है।

क्या है पूरा मामला
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण भूमि अधिग्रहण के बदले किसानों को मुख्य रूप से दो फ़ायदे देता है। प्राधिकरण की प्रचलित दरों के आधार पर मुआवज़ा दिया जाता है। भविष्य में आबादी विस्तार करने के लिए 7% आवासीय भूखंड दिया जाता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बीच पतवाड़ी, बिसरख, मिलक लच्छी, सैनी, सुनपुरा और वेदपुरा जैसे गांवों में वर्ष 2007 लेकर वर्ष 2009 तक भूमि अधिग्रहण किया गया था। इन गांवों के किसानों ने व्यापक आंदोलन शुरू किया है। किसानों ने ज़्यादा मुआवज़ा और लाभ की मांग की थी। लंबे किसान आंदोलन और अदालती लड़ाई के बाद अक्टूबर 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फ़ैसला सुनाया था। जिसमें कहा गया था कि किसानों को 7% की बजाय 10% आवासीय भूखंड का आवंटन किया जाए। प्रचलित मुआवज़ा दरों पर 64.7% अतिरिक्त मुआवज़े का भुगतान किया जाए। 

मामला फिर उलझ गया
आगे चलकर इस फ़ैसले को लेकर गफलत पैदा हो गई। हाईकोर्ट जाने वाले किसान लाभ मांग रहे थे। साथ ही कोर्ट नहीं जाने वाले किसान भी लाभ मांगने लगे। प्राधिकरण के अफ़सरों ने ग़लत ढंग से बड़ी संख्या में उन किसानों को भी लाभान्वित किया, जो अदालत नहीं गए थे। जिसके चलते लगातार विवाद बढ़ता चला गया। पिछले क़रीब एक साल से किसान विकास प्राधिकरण के बाहर धरना दे रहे हैं। किसानों के साथ चल रहे इस विवाद को सुलझाने के लिए प्राधिकरण और सरकार के बीच कई दौर की बातचीत हुई।

सरकार ने बोर्ड को जिम्मा सौंपा
विकास प्राधिकरण ने इस मसले पर फ़ैसला लेने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा। योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से प्राधिकरण को कहा गया कि इस मसले पर अथॉरिटी के बोर्ड को फ़ैसला लेना चाहिए। अब मंगलवार को हुई बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा गया। जिस पर बोर्ड ने फ़ैसला ले लिया है। ग्रेटर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि कुमार एनजी ने बताया कि जिन किसानों को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले के आधार पर 64.7% अतिरिक्त मुआवज़ा दिया गया है, उन्हीं किसानों को 10 प्रतिशत आवासीय भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। कोर्ट जाने वाले किसानों को ही तो यह लाभ मिलेगा। कुल मिलाकर अब स्थिति साफ़ हो गई है कि विकास प्राधिकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले से आच्छादित किसान परिवारों को बढ़े हुए मुआवज़े और 10 प्रतिशत आवासीय भूखंड का लाभ देगा।

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