यथार्थ हॉस्पिटल ने किया मासूम बच्चे  का निशुल्क इलाज, सात लाख की दी छूट

अच्छी खबर : यथार्थ हॉस्पिटल ने किया मासूम बच्चे का निशुल्क इलाज, सात लाख की दी छूट

यथार्थ हॉस्पिटल ने किया मासूम बच्चे  का निशुल्क इलाज, सात लाख की दी छूट

Tricity Today | यथार्थ हॉस्पिटल ने किया मासूम बच्चे का निशुल्क इलाज, सात लाख की दी छूट

ग्रेटर नोएडा : 7 जनवरी 2023 को सड़क दुर्घटना के बाद 9 वर्षीय बच्चे यश को बहुत गंभीर अवस्था में ग्रेटर नोएडा पुलिस, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी व किसान यूनियन के सहयोग से यथार्थ वैलनेस एंड ट्रामा सेंटर, ग्रेटर नोएडा में भर्ती कराया गया। घटना के बाद उसे सक्रिय रूप से दौरे पड़ रहे थे और मुंह और सिर से बहुत खून बह रहा था। जिसके चलते बच्चे को अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया। 

सर्जनों की टीम ने बच्चे की चुनौतीपूर्ण सर्जरी कर बचाई जान 
पेडियेट्रिक इंटेनसिविस्ट डॉ कुशाग्र गुप्ता की अध्यक्षता में आपातकालीन डॉक्टरों की टीम ने बच्चे को तुरंत अटेंड किया। जीवन रक्षक उपाय के रूप में श्वास की नली डाली गयी और सभी सहायक उपचार किये गए; बच्चा दो दिन तक मैकेनिकल वेंटिलेटर पर रहा। सीटी स्कैन में दोनों तरफ जबड़े का फ्रैक्चर पाया गया और खोपड़ी के बायीं ओर की सिर की हड्डी टूट के दिमाग में घुस चुकी थी। मरीज की हालत को देख कर सर्जनों की एक टीम बनाई गयी। जिनमें न्यूरोसर्जन डॉ. पुनीत राणा व डॉ. अंकित और मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. सौरभ कुमार रावत शामिल थे। बच्चे को तुरंत मस्तिष्क और चेहरे की सर्जरी के लिए ले जाया गया। दोनों सर्जरी को एक साथ करना चुनौतीपूर्ण था, परन्तु बच्चे की जान बचाने के लिए आवश्यक था।

आई सी यू में शिफ्ट होने के बाद परिजनों की देखरेख से बच्चा डिस्चार्ज 
बच्चे को सर्जरी के बाद पेडियेट्रिक आई सी यू में शिफ्ट किया गया, जहां डॉ कुशाग्र गुप्ता के नेतृत्व में बाल चिकित्सा टीम ने बच्चे का इलाज किया। बच्चा जल्द ही पूरी तरह से होश में आ गया और मुँह से भोजन करने लगा। वह अब अपने माता-पिता की देखरेख में डिस्चार्ज होने के लिए पूरी तरह से फिट है।

असिस्टेंट मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुनील बालियान ने कहा
यथार्थ वैलनेस एंड ट्रामा सेंटर, ग्रेटर नोएडा के असिस्टेंट मेडिकल डायरेक्टर डॉ सुनील बालियान ने कहा, "सड़क दुर्घटना के मरीज़ों के लिए पहले 24 घंटे महत्वपूर्ण होते हैं और अक्सर, पीड़ित के परिवार के सदस्यों से संपर्क करने और उनके अस्पताल आने में काफी समय लगता है। इस केस में भी बच्चे के साथ परिवार का कोई सदस्य नहीं था। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, हमने रोगी के जीवन को बचाने के लिए निदान और उपचार तुरंत शुरू करने का निर्णय लिया। बच्चे की सफलतापूर्वक सर्जरी की गयी और पेडियेट्रिक आई सी यू में देखभाल की गयी। जिसके लिए अस्पताल का लगभग 7 लाख का खर्च था, जिसे निःशुल्क किया गया। उन्होंने कहा "यथार्थ अस्पताल में हमने हमेशा मरीज  के इलाज को प्राथमिकता दी है। हमारा मुख्य उद्देश्य हमेशा लोगों की सेवा करना रहा है।"

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